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यूपी में पत्रकार के खिलाफ FIR को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कही बड़ी बात, पत्रकार को अंतरिम सुरक्षा के साथ सरकार को दी यह नसीहत

 

नई दिल्ली।
उत्तर प्रदेश सरकार पर जातिगत पक्षपात का आरोप लगाने वाले पोस्ट के बाद विदेशी फंडिंग और देशद्रोह समेत कई गंभीर धाराओं में दर्ज मुकदमे का सामना कर रहे पत्रकार अभिषेक उपाध्याय को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार अभिषेक उपाध्याय की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि एक पत्रकार की रचना को सरकार की आलोचना के रूप में देखा जाता है, लेखक के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया जाना चाहिए।

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लखनऊ के पत्रकार अभिषेक उपाध्याय द्वारा अपने अधिवक्ता अनूप कुमार अवस्थी के ज़रिये दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि यह याचिका एक लेख के कारण गिरफ्तारी की आशंका के चलते दायर की गई है, जिसमें राज्य में जिम्मेदार पदों पर तैनात अधिकारियों की जातिगत स्थिति पर टिप्पणी की गई है। पीठ ने कहा, “लोकतांत्रिक देशों में अपने विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता का सम्मान किया जाता है। कोर्ट ने कहा कि पत्रकार को उसके विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संविधान के अनुच्छेद 19(1) से सुरक्षित है। केवल सरकार की आलोचना के लिए किसी पत्रकार के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं होना चाहिए। साथ ही पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। साथ ही यह भी आदेश दिया कि तब तक इस लेख के संबंध में याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाएगा।

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अभिषेक उपाध्याय  के वकील अनूप कुमार अवस्थी ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल द्वारा “यादव राज बनाम ठाकुर राज” शीर्षक से लिखे गए लेख के बाद उन्हें धमकियों और अपशब्दों का सामना करना पड़ा है। इसके साथ ही एक शिकायत के आधार पर उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 353, 197(1)(सी), 302, 356 और आईटी एक्ट की धारा 66 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।शिकायतकर्ता पंकज कुमार द्वारा यह आरोप लगाया गया कि उपाध्याय का लेख नफरत फैलाने वाला और देश की एकता के खिलाफ है।

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दरअसल अभिषेक उपाध्याय ने अपने लेख में दावा किया था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में ठाकुर (या सिंह) समुदाय के अधिकारियों का राज्य प्रशासन में वर्चस्व बढ़ रहा है। उन्होंने इस प्रवृत्ति की तुलना पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के कार्यकाल से की, जब यादव समुदाय के लोगों को सत्ता के उच्च पदों पर देखा जाता था। इस पोस्ट की सपा मुखिया अखिलेश यादव द्वारा अपने एक्स अकाउंट पर रिपोस्ट किया गया जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ा और पंकज कुमार नाम के व्यक्ति द्वारा हज़रतगंज थाने में पत्रकार अभिषेक उपाध्याय के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी गयी थी। 

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Author: Barabanki Express

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