घरेलू गौरैया विश्व का एक ऐसा पक्षी है जो इंसानों के बीच ही रहना पसंद करती है। यह पक्षी मनुष्य के लिए बहुत उपयोगी है इसीलिए कुदरत ने इसे मनुष्य के साथ रहने के लिए बनाया है। लगभग तीन दशक से गौरैया की संख्या में बहुत अधिक कमी आई है। विश्व में गौरैया 20 प्रतिशत ही बची है। हम कह सकते हैं कि गौरैया अब विलुप्त होने की कगार पर पहुँच चुकी है। यदि हम अभी भी गौरैया के प्रति सचेत न हुए तो बहुत ही जल्दी गिद्ध की तरह गौरैया के दर्शन दुर्लभ हो जाएंगे और हमारी आने वाली पीढ़ियाँ गौरैया को चित्रों में ही देखेंगी।
गौरैया एक पक्षी ही नहीं बल्कि हमारे पर्यावरण को संतुलन बनाए रखने की प्रजाति भी है। यह फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले घातक कीट पतंगों एवं उनके लार्वा को खाकर समाप्त करती है। यह पक्षी जिस घर में अपना घोंसला बनाता है उसे घर के सभी वास्तु दोष दूर हो जाते हैं एवं घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है। गौरैया की मधुर चहचहाट मानसिक विकारों को दूर करती है। पहले के समय में घर कच्चे बने हुए होते थे जिन पर छप्पर पड़े रहते थे, उन छप्परों में गौरैया बहुत ही आसानी से अपने घोंसले बनाती थी यदि कोई घर पक्का बना होता था उसके सुराख खुले रहते थे उनमें भी गौरैया बहुत आसानी से अपना घोंसला बनाती थी और अपनी वंश वृद्धि को बनाए रखती थी। घरों में आँगन बड़े एवं खुले हुआ करते थे जिम खाना बनाया जाता था। उसमें गौरैया के खाने पीने की उचित व्यवस्था हो जाती थी। महिलाएं सूप से अनाज फटका करती थी, टूटे हुए दानों पर गौरैया का एकाधिकार रहता था। अनाज भी छत पर सुखाया जाता था जो गौरैया का सुलभ भोजन हुआ करता था। घरों के आसपास बहुत सारे पेड़ पौधे घास के मैदान हुआ करते थे।
आज की आधुनिक जीवन शैली में ये सारी व्यवस्थाएं खत्म हो गई हैं, इसी कारण गौरैया भी मृत्यु शैय्या पर पहुँच गई है। हम सबको मिलकर गौरैया को बचाना होगा। गौरैया संरक्षण बहुत ही सरल और सहज है। आपको अपनी बालकनी, छज्जे या जहाँ गौरैया आ सकती है वहाँ एक छोटी सी मटकी, कोई कृत्रिम घोंसला अथवा चप्पल जूते का डिब्बा छेद करके टांगना होगा जो गौरैया के लिए एक बहुत सुंदर घर होगा। गौरैया सर्वाहारी प्राणी है उसे जो मिल जाता खा लेती है । आप उसके लिए एक मुट्ठी अनाज, पीने के लिए एक प्याला पानी रख दें। घर में बचे चावल, बासी रोटी को भी भिगोकर कर रख सकते हैं, इसे गौरैया बड़े चाउ से खाती है। घर में पेड़ पौधे जरूर लगाए जिनमें गौरैया बैठना पसंद करती है। यदि आप ऐसा करते हैं तो गौरैया बहुत जल्द ही आपके घर की ओर रुख करेगी। गौरैया को साफ सफाई बहुत पसंद है वह अपने बच्चों के मल को चोंच में दबाकर दूर बाहर फेंकने जाती है।
हमें चीन से सबक लेना चाहिए, सन 1958 में चीन ने मारो चार के अंतर्गत गौरैया को भी समाप्त कर दिया था। दो वर्षों में चीन में कीट पतंगे, टिड्डी आदि इतने बढ़ गए थे कि चीन की सारी फसल चट कर गए और चीन में अकाल पड़ गया था जिसमें लाखों लाख लोग भूख से तड़प तड़प कर मर गए थे। अतः चीन ने अपनी भूल सुधार के लिए सोवियत संघ से ढाई लाख गौरैयां मंगवाई थी। हम सबको सबक लेते हुए हर घर घोंसला, हर घर गौरैया की मुहिम को साकार करते हुए गौरैया संरक्षण करना चाहिए।
डॉ0 सुनीता यादव (गौरैया संरक्षिका)
गंगा विहार कॉलोनी, इटावा, उत्तर प्रदेश।

Author: Barabanki Express
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