हैदरगढ़-बाराबंकी।
परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हेतु सरकार विभिन्न प्रकार की योजनाएं चला कर पानी की तरह पैसा खर्च कर रही है। लेकिन जनपद के दूरस्थ इलाकों के विद्यालयो में अध्यापको का टोटा होने के चलते गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा नही मिल पाने से प्रतिदिन स्कूल आने में बावजूद छात्रों का भविष्य अंधकार मय बना हुआ है। दूरस्थ ब्लाकों के विद्यालयों में शिक्षकों की कमी के पीछे कई वर्षों से शिक्षको की भर्ती न होने के साथ ही जनपद मुख्यालय से सटे क्षेत्र के विद्यालयों में मानक से ज्यादा शिक्षकों की तैनाती को अहम वजह बताया जा रहा है।
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गौरतलब है कि जनपद मुख्यालय व राजधानी लखनऊ से सटे बंकी, देवा व निंदूरा विकास खंडों के अंतर्गत आने वाले प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षको की संख्या जहां छात्रों के अनुपात में या किसी किसी विद्यालय में ज्यादा ही शिक्षक तैनात हैं। वही त्रिवेदीगंज, हैदरगढ़, सूरतगंज, बनीकोडर आदि दूरस्थ विकास खंडों के अंतर्गत आने वाले स्कूलों में शिक्षकों का टोटा होने के चलते इन स्कूलों में अध्ययनरत छात्र गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित नज़र आ रहे है। हालत इतने बदतर है कि एकल अध्यापक के सहारे संचालित स्कूलों के बच्चे अपने भविष्य की दुहाई देकर शिक्षा विभाग के अधिकारियों से टीचर भेजने की गुहार लगाने को मजबूर हैं।
विकास खंड हैदरगढ़ क्षेत्र के पूर्व माध्यमिक विद्यालय आलापुर पिछले कई वर्षो से एकल अध्यापक के सहारे संचालित किया जा रहा है। पूर्व में प्रधानाध्यापक के पद पर तैनात रहे राम तीरथ मिश्रा के सेवानिवृत्त हो जाने के बाद प्राथमिक विद्यालय पूरे विद्दी में तैनात रहे शैलेंद्र रावत को विद्यालय के संचालन की जिम्मेदारी दी गई। लेकिन विभागीय अधिकारियों ने उन्हें पुनः उसी विद्यालय को भेज दिया। छात्र संख्या अधिक होने के चलते बच्चो को सुचारू रूप से शिक्षा नही मिल पा रही है जिससे उनका भविष्य अंधकार मय है। स्कूल के छात्र छात्राओ ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से एक और अध्यापक की तैनाती किए जाने की गुहार लगाई है।
हैदरगढ़ क्षेत्र के ही पूर्व माध्यमिक विद्यालय पट्टी में करीब 178 बच्चे नामंकित है। 30 छात्रों पर एक शिक्षक व यूपीएस विद्यालयो में कम से कम अलग अलग विषय के 3 शिक्षको की नियुक्ति का मानक होने के बावजूद यहां भी सिर्फ एक अध्यापक इमामुद्दीन अंसारी की नियुक्ति है। आज तक अन्य शिक्षक की तैनाती नही की जा सकी। जिसकी वजह से बच्चो को सुचारू रूप से शिक्षा नही मिल पा रही है। अभिभावक का कहना है की अलग अलग विषय का पाठ्यक्रम संचालित करने हेतु कम से कम तीन शिक्षक होना चाहिए, जिससे बच्चो को सुचारू रूप से शिक्षा मिल सके। विद्यालय में बच्चो की पढ़ाई के साथ सरकारी लेखा जोखा का कार्य सहित अन्य तमाम आफिशियल कार्य देखना होता है। अकेले शिक्षक होने की वजह से गुणवत्ता पूर्वक शिक्षा देने में असुविधा होती है जिसके चलते बच्चो को सुचारू रूप से शिक्षा नही मिल पा रही है।
इसके अलावा यूपीएस चकौरा में भी अध्यापक की संख्या शून्य है। प्राइमरी स्कूल के अध्यापक को अटैच कर काम चलाऊ तरीके से विद्यालय का संचालन किया जा रहा है। यूपीएस मकरई भी एकल अध्यापक के सहारे संचालित किया जा रहा है। विद्यालय में मानक के अनुरूप शिक्षक न होने से बच्चो को सुचारू रूप से शिक्षा नही मिल पा रही है जिससे प्रतिदिन स्कूल आने के बावजूद हज़ारों नौनिहालों का भविष्य अंधकार मय बना हुआ है। तो यही अभिभावकों का भी सरकारी स्कूलों से मोहभंग होने लगा है। वही इस संबंध में जब बाराबंकी के बेसिक शिक्षा अधिकारी से बात की गई तो उनका कहना था कि शासन स्तर से तबादला और भर्ती प्रक्रिया न शुरू किए जाने तक इस समस्या का कोई समाधान नही किया जा सकता है।
रिपोर्ट – मन्सूफ़ अहमद / मोहम्मद इदरीस
Author: Barabanki Express
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