बाराबंकी।
खेतो में धान गेंहू जैसी पारंपरिक फसलों के साथ साथ मछलियां उगाकर जिले के किसान मालामाल बनने जा रहे हैं। नवाबगंज तहसील और मत्स्य विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा खोजी गई इस अनोखी तकनीक से अब जलविहीन तालाबों और समतल खेतों में भी मछली पालन किया जा सकेगा। फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर सदर तहसील की ग्रामपंचायत पाटमऊ के कुछ जलविहीन समतल तालाबों को इस योजना के लिए चुना गया है। सकारात्मक परिणाम मिलने पर जिले की अन्य ग्रामपंचायतो में भी इसी तर्ज पर मछली पालन कर किसानो को मालामाल करने का खाका तैयार किया जाएगा।
हमारी यह बात सुनने में भले ही आपको अटपटी लग रही हो लेकिन भ्रष्टाचार के दलदल में डूबी बाराबंकी की तहसील नवाबगंज में तैनात लेखपाल, रजिस्ट्रार कानूनगो, नायब तहसीलदार, तहसीलदार और मत्स्य विभाग के जिम्मेदारो ने इस असंभव काम को संभव करने की स्पेस टेक्नोलॉजी का ईजाद कर डाला है। यही वजह है कि तहसील क्षेत्र अंतर्गत ग्रामपंचायत पाटमऊ के कई ऐसे भूखंडों का मत्स्य पालन के लिए 10 वर्ष का पट्टा किया गया है जो राजस्व अभिलेखों में तो तालाब दर्ज है लेकिन मौक़े पर समतल और जलविहीन है। काफी अर्से से स्थानीय लेखपाल की मिलीभगत से ग्रामप्रधान के कुछ समर्थक व परिवार के लोग इन तालाबों पर अवैध कब्जा कर धान गेंहू की फसलें उगा रहे हैं।
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आपको बताते चले कि मत्स्य पालन हेतु तालाबो की सार्वजनिक नीलामी की प्रक्रिया के प्रथम चरण में क्षेत्रीय लेखपाल द्वारा राजस्व ग्राम में उपलब्ध तालाबों की सूचना तहसीलदार को उपलब्ध कराई जाती है। इसके अगले चरण में रजिस्ट्रार कानूनगो उपलब्ध सूची का परीक्षण कर यह सुनिश्चित करता है कि कौन सा तालाब आवंटित है और कौन सा खाली है। इसके पश्चात मत्स्य अधिकारी से बैठक कर नीलामी योग्य तालाबों की अंतिम सूची को समाचार पत्रों में नीलामी की तिथि सहित मत्स्य शिविर के आयोजन हेतु सर्वसामान्य के लिए प्रकाशित कराया जाता है। नियत तिथि को शिविर में प्राप्त आवेदनों की पत्रावलियां तैयार की जाती है। इसके अगले चरण में क्षेत्रीय लेखपाल, राजस्व कानूनगो, नायब तहसीलदार, तहसीलदार की रिपोर्ट अंकित होने के उपरांत उपजिलाधिकारी से अनुमोदन लेने के बाद नायब नाजिर के यहाँ तालाब का लगान जमा कराया जाता है। उपरोक्त सभी प्रक्रिया पूरी होने के बाद आवेदक को मछली पालन के लिए 10 वर्ष की अवधि के लिए तालाब का पट्टा दिया जाता है।
यहाँ ताज्जुब की बात यह है कि मत्स्य पालन हेतु तालाबों की नीलामी हेतु दिनांक 25 सितंबर 2024 के दैनिक जागरण समाचार पत्र में प्रकाशित सार्वजनिक नीलामी सूचना में उपरोक्त नियमों को दरकिनार कर पाटमऊ गांव की गाटा संख्या 126 रकबा .500हे0, 1266 रकबा 1.245हे0, 1289(क) रकबा 0.511हे0, 1289(ख) रकबा 0.512हे0 व 1130 रकबा 2.183हे0 को न सिर्फ नीलामी में शामिल किया गया। बल्कि 22 अक्टूबर 2024 को आयोजित नीलामी शिविर में गाटा संख्या 126 और गाटा संख्या 1266 को अवैध रूप से कब्ज़ा कर खेती कर रहे राम सुमिरन और सुधीर कुमार सिंह के ही पक्ष में 10 वर्ष के लिए आवंटित भी कर दिया गया।
सबसे रोचक बात तो यह है कि सितंबर माह में जिस क्षेत्रीय लेखपाल दीपक कुमार पाल की रिपोर्ट पर गाटा संख्या 126 व 1266 को मत्स्य पालन के लिए सार्वजनिक नीलामी में शामिल कर 22 अक्टूबर को सुधीर कुमार के नाम आवंटित किया गया है। उसी लेखपाल द्वारा बीते अगस्त माह में गाटा संख्या 1266 पर अवैध रूप से कब्जा कर खेती करने के मामले में पट्टा धारक सुधीर कुमार समेत कई लोगो के खिलाफ जैदपुर थाने में धारा 329 बीएनएस व सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम की धारा 3,4 के तहत मु0अ0स0 303/2024 भी दर्ज कराया गया था।
अब जलविहीन समतल तालाबों में मत्स्य पालन कैसे हो सकता है यह तो नियम कानून को ताक पर रख अवैध कब्ज़ेदारो के ही नाम पट्टा करने वाले क्षेत्रीय लेखपाल, राजस्व कानूनगो, नायब तहसीलदार और मत्स्य विभाग के अधिकारी ही बता सकते हैं। हालांकि इस सम्बंध में जब नवाबगंज तहसील के उपजिलाधिकारी आर जगतसाई से बात की गई तो उन्होंने खुद हैरानी जताई और मामले की जांच कराकर इस गोरखधंधे में शामिल लोगो पर कार्रवाई की बात कही है।
रिपोर्ट – मन्सूफ अहमद
Author: Barabanki Express
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