बाराबंकी : पत्रकार उत्पीड़न के मामलों को लेकर पत्रकार प्रेस महासंघ ने की बैठक, प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति को प्रेषित किया ज्ञापन

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बाराबंकी।

पत्रकार उत्पीड़न के मामलों के खिलाफ पत्रकारों को एकजुट करने को लेकर शहर के सतरिख नाका स्थित पत्रकार प्रेस महासंघ के जिला कार्यालय पर जिला अध्यक्ष मोहम्मद आदिल तन्हा की अध्यक्षता में तमाम पत्रकारों की एक अहम बैठक आहूत हुई। बैठक में बतौर मुख्य अतिथि प्रदेश मध्य अध्यक्ष संजय वर्मा ‘पंकज’, प्रदेश मध्य उपाध्यक्ष मनोज शर्मा, देवीपाटन मंडल अध्यक्ष देवेंद्र नाथ मिश्रा, जिला महामंत्री सार्वजीत वर्मा सहित तमाम पत्रकार मौजूद रहे।

पत्रकार प्रेस महासंघ के जिला कार्यालय पर आयोजित अहम बैठक में प्रदेश के गोंडा जिले में छतौनी नामक स्थान पर पुलिस द्वारा पत्रकार के कार्यालय में घुसकर पत्रकारों को मारना पीटना व खाकी का दुरुपयोग करते हुए उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जेल भेजे जाने व इसी तरह उन्नाव जिले में भी पत्रकार उत्पीड़न के मामले में सभी पत्रकारों ने एक स्वर में विरोध कर घटना को निदंनीय व असंवैधानिक कृत्य बताते हुए पुलिस प्रशासन के दोषी अधिकारियों को बर्खास्त किए जाने तक इसके खिलाफ संघर्ष की बात कही।
प्रदेश (मध्य) अध्यक्ष संजय वर्मा ‘पंकज’ ने अपने संबोधन में कहा कि वर्तमान सरकार राम राज्य के नाम पर रावण राज को पोषित कर रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पूर्व कार्यकाल में जारी अध्यादेश जिसमें पत्रकार उत्पीड़न पर 3 साल की सज़ा व भारी जुर्माने का प्रावधान था उसमें आज तक किसी भी पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाही ना होने को इस बात का जीवंत प्रमाण बताते हुए कहा कि सरकार व पुलिस प्रशासन के खाने के दांत और हैं व दिखाने के और है। लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में संविधान को ही अगर आधार माना जाए तो पत्रकार तो दूर की कौड़ी है किसी अपराधी को भी पीटना कानूनन जुर्म ही है और किसी को भी इसका अधिकार प्राप्त नहीं है। लेकिन पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा मामलों में निर्लज्जता पूर्वक यह कहना कि पत्रकारों के खिलाफ आपराधिक मामले थे कहीं यह साबित नहीं करता कि पत्रकारों के कार्यालय में घुसकर पुलिस को तांडव मचाने का अधिकार मिल जाता है। अगर पुलिस के मुकदमा दर्ज करने को सही मान भी लिया जाए तो पत्रकार के आरोपों पर भी संबंधित के खिलाफ मुकदमा दर्ज होना चाहिए।

प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि पूर्व में योगी सरकार के जारी अध्यादेश को ही अगर आधार माना जाए तो उसमें स्पष्ट प्रावधान है कि पत्रकारों के मामले में राजपत्रित अधिकारी ही जांच करेगा कहीं भी दोनो मामलों में देखने में नहीं आया। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा की भाजपा का शासन काल इंदिरा गांधी के इमरजेंसी शासन काल के से भी गैर गुजरा है जिसमें कम से कम इमरजेंसी तो सरकार ने घोषित किया था लेकिन वर्तमान सरकार में तो लोकतंत्र केवल नाममात्र है वो भी केवल कथित जनप्रतिनिधियों व नौकरशाहों के लिए। जनता तो जनता मीडिया तक के बोलने पर सरकार की मूक सहमति में खाकी व नौकरशाह अधिकारों का दुर्पयोग कर भ्रष्टाचार को सार्वजनिक कर अपना दायित्व इमानदारी से निभा रहे मीडियाकर्मियों को फर्जी केसों में अधिकारों का दुरुपयोग कर फंसा रही है, इसपर रोक लगना स्वस्थ्य लोकतान्त्रिक व्यवस्थाओं के लिए जरूरी है।

कार्यक्रम के अंत में अयोध्या प्रसाद उपाध्याय, उस्मान चौधरी, रामदुलारी पटेल, सद्दाम राईन, मोहम्मद तौफीक, शरद श्रीवास्तव को संगठन के आई कार्ड प्रदान किए गए व माल्यार्पण कर प्रदेश अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष सहित तमाम पदाधिकारियों का स्वागत में किया गया। बैठक में नए पत्रकारों ने लाखूराम पटेल, अरशद जमाल ने संगठन की सदस्यता ग्रहण की जिनका माल्यार्पण कर जिला महामंत्री सर्वजीत ने स्वागत किया। इस दौरान बलराम केसरी के उप संपादक शैलेंद्र सिंह पटेल, गंगा प्रसाद श्रीवास्तव, विपिन शर्मा, गुलशन यादव, आदर्श रावत, ऋषभ सैनी, जिला सह संरक्षक उत्तम कुमार गुप्ता व अमित सिंह सहित चार दर्जन पत्रकार मौजूद रहे।

रिपोर्ट – मन्सूफ अहमद

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