बाराबंकी।
उप आयुक्त एवं उप निबंधक सहकारिता अयोध्या मंडल द्वारा जिला सहकारी बैंक के 13 में से 12 संचालकों/सदस्यों को एक साथ अयोग्य घोषित किए जाने संबंधी आदेश को अनियमित व एकपक्षीय करार देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने उक्त आदेश पर रोक लगाते हुए संचालकों का दर्जा बहाल कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह आदेश बैंक संचालकों की ओर से उनके अधिवक्ता द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है जिसमे उप आयुक्त एवं उप निबंधक सहकारिता अयोध्या मण्डल के आदेश दिनांक-16-08-2024 को चुनौती दी गयी थी।
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उक्त जानकारी देते हुए बैंक संचालकों के अधिवक्ता फ़ारूक अय्यूब एडवोकेट (हाईकोर्ट) ने बताया कि बैंक संचालकों के विरूद्ध साज़िश करते हुए ज़िले में तैनात सहायक आयुक्त एवं सहायक निबंधक सहकारिता तथा बैंक में कार्यरत सचिव/मुख्य कार्यपालक अधिकारी द्वारा वास्तविक तथ्यों से परे रिपोर्ट प्रेषित की गई, जिस पर उप आयुक्त एवं उप निबंधक सहकारिता अयोध्या मण्डल द्वारा एक पक्षीय कार्यवाही करते हुए बैंक के 12 संचालको/सदस्यों को अयोग्य घोषित कर आनन फ़ानन में अंतरिम कमेटी का गठन और नैसर्गिक न्याय के तहत अपील का समुचित अवसर दिये बग़ैर तुरंत बैंक की नयी प्रबंध कमेटी की चुनाव प्रक्रिया भी प्रारंभ करवा दी गई। ऐसे ही तमाम तथ्यों को माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर न्याय की माँग की गई, जिस पर सर्वोच्च न्यायालय ने उप आयुक्त एवं उप निबंधक सहकारिता अयोध्या मण्डल के आदेश दिनांक-16-08-2024 पर स्टे लगाते हुए संबंधित प्रतिपक्षी गणों को नोटिस जारी करी है।
रिपोर्ट – मन्सूफ़ अहमद
Author: Barabanki Express
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