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World Sparrow Day 2024: गौरैया संरक्षण के लिये सात वर्षों से विशेष मुहिम चला रही इटावा की यह शिक्षिका, हजारों स्वनिर्मित घोसलें कर चुकी हैं दान

 

इटावा-यूपी।
आज 20 मार्च को दुनिया भर में इस उद्देश्य के साथ गौरैया संरक्षण दिवस मनाया जाता है, ताकि विलुप्त होने के कगार पर पहुँच चुकी इस नन्ही चिड़िया को बचाने के लिए लोगों में जागरूकता बढ़ाई जा सके। आज विश्व गौरैया दिवस पर हम आपको एक ऐसी शख्सियत से रूबरू करवा रहे है, जो बीते सात सालों से इस चहकते पक्षी के संरक्षण के लिए विशेष मुहिम चला रही है। गौरैया लोगों के घरों में वास करे इसके लिये वह स्वयं अपने संसाधनों से हजारों घोंसले बनाकर लोगों को दान कर चुकी हैं। गौरैया संरक्षण की उनकी इस मुहिम की देश भर के लोग न सिर्फ प्रशंसा कर रहे है बल्कि उनके साथ भी जुड़ रहे है।

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हम बात कर रहे है उत्तर प्रदेश के इटावा जिले की गंगा विहार कालोनी निवासी गौरैया संरक्षिका डॉ0 सुनीता यादव की। पेशे से शिक्षिका डॉ0 सुनीता यादव वर्ष 2017 से गौरैया संरक्षण के लिये विशेष मुहिम चला रही हैं। उनके घर में 50 से अधिक घोंसले लगे हुए हैं, जिनमें गौरैया रह रही हैं। वह गत्ते और बोरे की सहायता से प्रतिदिन कम से कम एक घोंसले का निर्माण करती हैं और लोगों को गिफ्ट करती हैं। उनके द्वारा बनाए गए 1000 से अधिक घोंसले प्रयागराज, गाजियाबाद, जयपुर, एटा, अलीगढ़, बरेली, मथुरा, मैनपुरी, आगरा आदि शहरों में गौरैया का संरक्षण कर रहे हैं।
फ़ोटो – डॉ0 सुनीता के घर मे लगे स्वनिर्मित घोंसले
डॉ सुनीता सभी से अनुरोध करते हुए कहती है कि अपने घर में नजर बट्टा न लगाकर गौरैया का घोंसला अवश्य लगाएं। अगर आपके पास घोंसला नहीं है तो आप चप्पल, जूते के छोटे डिब्बे में गोल छेद करके या छोटी मटकी भी टांग सकते हैं। गौरैया अपना घोंसला उसमें आराम से बना लेती है। वह कहती है कि गर्मी का समय आ रहा है गौरैया के लिए दाना और पानी की व्यवस्था जरूर करें। इस पक्षी को गर्मी बहुत सताती है। इसे नहाना भी बहुत पसंद है। अतः आप छत पर छायादार स्थान पर पानी की व्यवस्था जरूर करें। पक्षी आसमान के तारे हैं, इन्हें तोड़ोगे तो जीवन में अंधकार ही अंधकार है।
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गौरैया संरक्षण की मुहिम चला रही डॉ सुनीता यादव बताती हैं कि एक समय ऐसा था जब हमारे घर चिड़ियों की चहचहाहट से हमेशा गुंजायमान रहते थे। हमारे बड़े बुजुर्ग कभी अकेलापन महसूस नहीं करते थे क्योंकि गौरैया चिड़िया भी परिवार की एक सदस्य हुआ करती थी जो हमेशा चहकती रहती थी। गौरैया अचानक हमारे जीवन से गायब सी हो गई है। इसके विभिन्न कारण हैं जैसे कीटनाशक दवाइयों का अत्यधिक प्रयोग, विकास के नाम पर पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से उसके आवास की कमी। वह कहती है कि पहले घर कच्चे होते थे जिन पर छप्पर एवं खपरैल पड़े रहते थे। पक्के घरों में भी मौखले खुले रहते थे जिसमे गौरैया चिड़िया अपना घोंसला आराम से इसमें बना लेती थी। आजकल घर बहुत बड़े हो गए हैं लेकिन हमने छोटी चिड़िया के लिए जगह नहीं छोड़ी है।वह चिड़िया जो हमारे साथ रहना पसंद करती है आज विलुप्त होने की कगार पर है।

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डॉ0 सुनीता बताती है कि गौरैया को इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) द्वारा रेड लिस्ट में अस्थाई विलुप्त की कगार के रूप में सम्मिलित किया गया है। वह कहती है कि पर्यावरण को संतुलित करने में गौरैया का विशेष महत्व है। गौरैया हमारी फसलों में नुकसान पहुंचाने वाले कीट पतंगों का सफाया करती हैं। अंजीर, गूलर, शहतूत आदि फल खाकर एक जगह से दूसरी जगह बीट करती हैं। जिससे नए पौधे तैयार होते हैं। गौरैया का घोंसला बहुत शुभ होता है। जिस घर में गौरैया का घोंसला होता है, उस घर में सभी वास्तुदोष दूर हो जाते है। इसके मधुर संगीत से हमारे मन मस्तिष्क में आनंद की अनुभूति होती है जिससे मनोरोग दूर होते है। वह बताती है कि गौरैया का प्रजनन समय मार्च से लेकर अगस्त तक चलता है। इस दौरान वह तीन या चार बार अंडे देती है। एक बार में दो से तीन अंडे देती है।
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डॉ सुनीता कहती है कि हमें चीन से सबक लेना चाहिए। उसने सन 1958 में माओ के आदेश पर गौरैया चिड़िया को चुन चुन कर मारा था, यहां तक कि मारने वालों को संख्या के आधार पर इनाम भी घोषित था। इसका परिणाम हुआ कि 2 वर्षों में कीट पतंगों की संख्या इतनी बढ़ गई कि कीटों ने अधिक से अधिक मात्रा में फसलों को नुकसान पहुंचाया, जिससे वहाँ भुखमरी फैल गई। अतः प्राकृतिक सन्तुलन बनाये रखने के लिये गौरैया का संरक्षण अति आवश्यक है।

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रिपोर्ट – उमेश यादव

Barabanki Express
Author: Barabanki Express

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