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बाराबंकी।
अमन शांति व भाई चारे का पैगाम देने वाले वरिष्ठ समाजसेवी मोहम्मद तहजीब अस्करी के निधन से उनके चाहने वालो में कोहराम मंच गया। निधन की खबर फैलते ही उनके आवास पर चाहने वालों का हुजूम उमड़ पड़ा। स्व मोहम्मद तहजीब अस्करी की उम्र लगभग 72 वर्ष की थी।
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बताते चले कि 16 दिन पूर्व उनके पोते का भी बीमारी के चलते निधन हुआ था। अभी पोते के ग़म से उभर भी नही पाये थे कि उनको गम्भीर बीमारी ने घेर लिया। लखनऊ के मशहूर डाक्टरों की सलाह पर वो अपने छोटे पुत्र एबाद अस्करी के साथ इलाज के लिये मुंबई गये हुवे थे। मुम्बई के नामचीन डाक्टर सुल्तान प्रधान द्वारा गले की जाँच की गई। जांच के बाद वो मुम्बई के कल्याण स्थित अपने रिश्तेदार के घर चले गये। जहाँ पर कुछ ही देर के बाद मृत्यु हो गई। जैसे ही ये सूचना मुम्बई से बाराबंकी पहुँची तो यहाँ पर कौहराम मच गया।
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स्व अस्करी तहसील हैदरगढ़ के सिद्धौर ब्लाक के ग्राम सरायमीर के जमीदार परिवार से थे। जिलाधिकारी कार्यालय में सरकारी कर्मचारी से सेवानिवृत्त स्व0 अस्करी इंसाफ़ पसन्द व्यक्ति थे, कलेक्ट्रेट कर्मचारी संघ के अध्यक्ष रहते हुवे हमेशा कर्मचारियों के हितों की लड़ाई लड़ते रहे। इस बीच वो कई बार जेल भी जा चुके थे, रिटायर होने के वह देवा रोड स्थित मौलाना गुलाम अस्करी हाल के सामने आवास बनाकर परिवार के साथ रहने लगे। रिटायर होने के बाद भी उनका समाजसेवा का जज्बा खत्म नही हुआ। वह फातिमा सोसाइटी के ज़रिए आवाम की खिदमत में जुट गये। सोसायटी के जरिये बेवा, यतीम, गरीब की हर सम्भव मदद करते थे। रात के अंधेरे में गरीबो के घर-घर जाकर मदद करना उनका शोक बन गया था। स्व तहजीब अस्करी की तमन्ना थी कि गरीब बच्चो के लिये स्कूल डिग्री कालेज खोलना ताकि बच्चो को अच्छी तालीम दिया जा सके।
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स्व मोहम्मद तहजीब अस्करी अपने पीछे पत्नी, पुत्र शारिब अस्करी, मौलाना जव्वाद अस्करी एवं एबाद अस्करी के अलावा दो बेटियो को रोता बिलखता छोड़ गये। बड़ा बेटा शारिब अमरीका में एक कंपनी में नौकरी करता है, जो पिता की मौत की खबर सुनकर वापस हिंदुस्तान आ रहा है। उनका अन्तिम संस्कार कल रविवार की सुबह कमरियाबाग कब्रिस्तान में होगा।
रिपोर्ट- आसिफ हुसैन
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Author: admin
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