ऊपर वाले का और सिर्फ लखनऊ वाले ही नहीं, दिल्ली वाले ऊपर वाले का भी लाख-लाख शुक्र है कि संभल में खुदाई चल रही है। बल्कि खुदाई से ज्यादा ढुंढाई चल रही है। आखिर, कुछ तो मिलना चाहिए। अब बेचारे लखनऊ और दिल्ली के ऊपर वाले भी क्या करें? खुदाई-वुदाई पर तो सुप्रीम कोर्ट ने कम-से-कम अभी तो रोक लगा दी है। खुदाई छोड़िए, सुप्रीम कोर्ट वालों ने तो सर्वे तक पर रोक लगा दी है। और सिर्फ संभल में ही नहीं, बाकी हर जगह भी सर्वे तक के आदेशों पर तब तक के लिए रोक लगा दी है, जब तक बड़ी अदालत का अगला आदेश नहीं आ जाता है। सच पूछिए, तो शुरू-शुरू में तो संभल का प्रशासन भी इस फरमान से कुछ हैरान-परेशान सा हो गया। शाही मस्जिद तो मस्जिद, उसके आस-पास के इलाके में भी, योगीशाही हाथ-पांव समेट कर बैठ गयी। पर ज्यादा-से-ज्यादा दो दिन। तीसरे दिन तो बुलडोजर बाबा के बुलडोजरों ने बाकायदा मोर्चा संभाल ही लिया।
अब सुप्रीम कोर्ट के ही एक और फैसले को धता बताते हुए, जमीन से ऊपर दुकानों, मकानों वगैरह पर बुलडोजरी खुदाई शुरू हो गयी। न्याय की देवी की आंखों की पट्टी पहले ही खुल चुकी थी, सो बिना किसी मुश्किल से कपड़ों से पहचान-पहचान कर, मुसलमानों के दुकानों, मकानों पर, जमीन के ऊपर वाली बुलडोजरी खुदाई हुई। और जब बुलडोजर ही मैदान में आ गया, फिर बाकी सरकारी अमला पीछे कैसे रह जाता? जिलाधिकारी की लीडरशिप में शाही मस्जिद के इर्द-गिर्द के इलाके में अतिक्रमणों की खुदाई शुरू हो गयी। इससे मन नहीं भरा, तो मस्जिदों वगैरह पर लाउडस्पीकरों की तलाशी शुरू हो गयी। उससे भी संतोष नहीं हुआ, तो बिजली चोरी की ढुंढाई शुरू हो गयी। आखिरकार, यह गहरी खोज सफल हुई। इस इलाके में भी जमीन के ऊपर खुदाई में एक मंदिर निकल आया, वर्षों से बंद पड़ा मंदिर। रहीम दास जी इसलिए तो सैकड़ों साल पहले कह गए थे — जिन खोजा तिन पाइयां गहरे पानी पैठ। कहीं भी गहरा खोदोगे, मंदिर मिल ही जाएगा!
जब मस्जिद की बगल में मंदिर मिल गया है, तो क्या मस्जिद के अंदर मंदिर नहीं मिल जाएगा? बस जरा तबियत से खुदाई हो जाए। खैर, जब तक मस्जिद के अंदर मंदिर खोदकर नहीं निकाल लिया जाता है, तब तक मस्जिद की बगल वाला मंदिर सही। इस मंदिर की बस एक ही प्राब्लम है। न उसे किसी ने तोड़ा है, न कोई मंदिर को मस्जिद या मजार जैसा कुछ भी बताता है। मंदिर बस मंदिर है, बंद पड़ा मंदिर। यानी न कोई स्टोरी और न कोई विवाद। ऐसा मंदिर किसी के किस काम का? पर व्हाट्सएप इतिहास में इस मंदिर की भी एक स्टोरी है। मंदिर मुसलमानों के इलाके में है और दसियों साल से बंद पड़ा है ; यानी यह जरूर एक हिंदू मंदिर पर मुसलमानों के जबरन कब्जा करने का मामला है। अभी मंदिर पर ताला लगवाया है, एक दिन वहां मस्जिद या दरगाह भी बना देंगे। वह तो योगी जी का डर है, वर्ना कभी की शाही मस्जिद की बगल में, एक नन्ही सी मस्जिद बन गयी होती। बस इस स्टोरी में एक ही समस्या है। मंदिर जिनकी मिल्कियत का हिस्सा है, वे हिंदू खुद कह रहे हैं कि मंदिर पर ताला उनके परिवार वालों ने लगाया था। करते भी तो क्या करते, मंदिर को चलाने के लिए पुजारी मिलता नहीं है और घर वाला कोई अब वहां रहता नहीं है! पर इस समस्या का समाधान भी निकलेगा। मंदिर की मिल्कियत वालों का बयान भी बदलेगा। बस खुदाई जारी रहे। जरा गहरा खोदो भाई!
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व्यंग्यकार वरिष्ठ पत्रकार और ‘लोक लहर’ के संपादक हैं।
Author: Barabanki Express
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