मसौली-बाराबंकी।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय व किसान कल्याण विभाग के तत्वाधान मे क्षेत्रीय केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र परियोजना द्वारा विकास खंड मसौली में आयोजित दो दिवसीय आईपीएम ओरिएंटेशन एचआरडी प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ संयुक्त निदेशक डॉ. ज्ञान प्रकाश सिंह तथा प्रगतिशील बागवान असद किदवई एवं अलीम किदवई द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
संयुक्त निदेशक डा0 ज्ञान प्रकाश सिंह ने कहा कि किसानों द्वारा फसलों को कीट एवं बीमारियों से बचाने के लिए किसानों द्वारा रासायनिक कीटनाशकों का अनुचित एवं अंधाधुंध प्रयोग किया जा रहा है। रासायनिक कीटनाशक हर किसी के स्वास्थ्य के साथ साथ पर्यावरण के लिए भी बेहद नुकसानदेह है। इसलिए जरुरी है कि कृषकों को एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन अपनाने के लिए प्रेरित किया जाए। उन्होंने कहा कि आईपीएम अपनाकर उत्पादन किए गए सब्जियों एवं फलों में रसायनिक कीटनाशक के अवशेष नहीं पाए जाते हैं। परिणामस्वरूप सब्जियों एवं फलों के निर्यात में सहायता मिलती है जो कि किसानों की आय दोगुनी करने में एक महत्वपूर्ण विकल्प साबित हो रहा है। डा0 सिंह ने कहा कि किसानों को जरुरत पड़ने पर केन्द्रीय कीटनाशी बोर्ड एवं पंजीकरण समिति द्वारा संस्तुत रासायनिक कीटनाशक ही अंतिम विकल्प के तौर पर उपयोग करना चाहिए।
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प्रगतिशील बागवान असद किदवई ने किसानों को संबोधित करते हुऐ कहा कि किसान आई.पी.एम. के अंतर्गत आने वाले अन्य तकनीकी के साथ जैविक कीटनाशकों के प्रयोग पर जोर दें उन्होंने कृषकों को संबोधित करते हुए कहा कि पौध संरक्षण के लिए आई.पी.एम. को बढ़ावा दें परिणामस्वरूप कम लागत के साथ गुणवत्तायुक्त कृषि उत्पाद प्राप्त करें। प्रगतिशील बागवान अलीम किदवई ने किसानों से कहा कि आई.पी.एम. वनस्पति संरक्षण के साथ-साथ पर्यावरण, पारिस्थितिक तंत्र, जैव विविधता एवं प्रकृति को सुरक्षित रखता है। वनस्पति सरंक्षण अधिकारी शैलेश कुमार ने किसानों को सर्वेक्षण एवं निगरानी विषय पर जानकारी देने के साथ साथ रासायनिक कीटनाशकों से होने वाले दुष्परिणाम के बारे में जानकारी प्रदान की।
वनस्पति संरक्षण आधिकारी अमित कुमार सिंह ने एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन (IPM) के विभिन्न अवयव के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करते हुए खरीफ मौसम की फसलों में लगने वाले बीमारियों के लक्षण एवं उसके प्रबन्धन के बारे में जानकारी दी। सहायक वनस्पति संरक्षण अधिकारी राहुल सुतार ने आई पी एम के अतंर्गत आने वाले शस्य क्रियाओं के बारे में तथा अमित सिंह, सहायक, वनस्पति संरक्षण अधिकारी ने यांत्रिक विधि के बारे में प्रशिक्षित करते हुए खरीफ मौसम की फसलों में लगने वाले कीट की पहचान तथा उसके प्रबन्धन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। डा.सुधीन्द्र संशि ने आई पी एम जैविक विधि के बारे में विस्तार से जानकारी दी तथा धर्मराज सिंह एपीपीओ ने रासायनिक कीटनाशकों के सुरक्षित एवं विवेकपूर्ण उपयोग से सम्बन्धित विषय पर तथा फराज अहमद खान ने एनपीएसएस एप के बारे में जानकारी प्रदान किया। इस मौक़े पर RCIPMC लखनऊ द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का किसानों द्वारा उत्साह के साथ अवलोकन किया गया।
केंद्रीय टीम द्वारा किसानों के साथ खेत में जाकर मित्र कीट एवं शत्रु कीटों की पहचान कराई गई और फसलों में कीड़े के यांत्रिक नियन्त्रण हेतु फेरोमोन ट्रैप, फल मक्खी ट्रैप, लाइट ट्रैप,पीला और नीला चिपचिपा ट्रैप लगाकर उसके कार्य करने के ढंग के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की गई। कार्यक्रम में प्रतिभाग कर रहे कृषकों को केंद्रीय टीम द्वारा जैविक फंफूदनाशी एवं कीटनाशी ट्राईकोडर्मा, ब्यूवेरिया बैसियाना तथा मेटाराईजियम आदि का वितरण किया। कार्यक्रम का संचालन अमित सिंह द्वारा किया गया।
रिपोर्ट – नूर मोहम्मद
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Author: Barabanki Express
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