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बाराबंकी : “एड्स पीड़ितों के साथ हो समानता का व्यवहार ” विश्व एड्स दिवस पर आयोजित गोष्ठी में बोले राष्ट्रीय सेवा योजना कार्यक्रम अधिकारी पंकज पटवा

 

बाराबंकी।
विश्व एड्स दिवस के अवसर पर मोहनलाल वर्मा एजुकेशनल इंस्टीट्यूट बाराबंकी में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर एच.एन. चौधरी द्वारा सरस्वती माता के चित्र पर पुष्प अर्पित करके एवं माल्यार्पण कर गोष्ठी का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर प्राचार्य डॉक्टर चौधरी ने कहा कि एड्स एक भयावह महामारी है। इससे जुड़ी हुई जानकारी को प्राप्त करना तथा लोगो को जागरूक करना ही इससे बचने का रास्ता है।मुख्य वक्ता अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नगर मंत्री सूर्यांशु शर्मा ने गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि यह वार्षिक कार्यक्रम एच.आई.वी. से संबंधित कलंक को समाप्त करने के लिए वैश्विक संघर्ष की याद दिलाता है। जिन्हें हमने खो दिया है यह उनका सम्मान करने का अवसर है। एच.आई.वी. अब सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बहुत हद तक खतरा नहीं है।  पहला विश्व एड्स दिवस 1988 में मनाया गया, जिसने एचआईवी और एड्स के बारे में जागरूकता बढ़ाने और महामारी से प्रभावित लोगों का सम्मान करने के लिए एक मंच प्रदान किया। इस वर्ष इस महत्वपूर्ण दिन का 35वाँ स्मरणोत्सव मनाया जा रहा है। पिछले 35 वर्षों में, चिकित्सा अनुसंधान में प्रगति, उपचार और रोकथाम तक पहुंच में वृद्धि और वायरस की व्यापक समझ के कारण एचआईवी और एड्स से निपटने में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है।राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी पंकज कुमार पटवा ने गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि एचआईवी से पीड़ित केवल 52% बच्चे ही जीवन रक्षक उपचार पर हैं। यदि हम बच्चों में नए संक्रमणों को समाप्त करने में प्रगति दिखा सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि सभी को गुणवत्तापूर्ण एंटीरेट्रोवाइरल (एआरवी) मिलें, तो हमें अधिक आशा है, कि हम 2030 तक सभी आबादी में एड्स को समाप्त करने के लिए अधिक राजनीतिक प्रतिबद्धता सुनिश्चित कर सकते हैं।  उन्होंने कहा कि विश्व स्तर पर 70% नए एचआईवी संक्रमण उन लोगों में होते हैं जो हाशिए पर हैं और अक्सर अपराधी होते हैं। हम केवल एचआईवी सेवाओं को बढ़ाकर और हर देश में संरचनात्मक बाधाओं और कलंक और प्रमुख आबादी के भेदभाव को दूर करके ही एड्स को समाप्त कर सकते हैं।इस अवसर पर निबंध प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया। जिसमे गुलशन आरा प्रथम, अमरजीत रावत द्वितीय तथा सिद्धांत अवस्थी तृतीय स्थान पर रहे तथा उन्हें प्रमाणपत्र भी वितरित किए गए। गोष्ठी में प्राध्यापक सियाराम वर्मा, मधुलिका राय, अनामिका सिंह, दुर्गेश वर्मा, राकेश कुमार पाल, अरविंद, रूपेश, मानसी शर्मा ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ स्वयंसेवक जय गुप्ता, अनन्या तथा सदफ मेराज ने किया। इस अवसर पर वरिष्ठ स्वयंसेवक इंद्रजीत, विनीत, शिवम, सिद्धांत, गुलशन, प्रांसी, नेहा, कुसुम, कविता, शिवानी, अनन्या, रविंद्र सहित पूरा महाविद्यालय परिवार उपस्थित रहा।
रिपोर्ट – मन्सूफ अहमद
Barabanki Express
Author: Barabanki Express

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