बाराबंकी।
जिन सीएम योगी का नाम सुनकर सूबे के बड़े बड़े अपराधी तख्ती लेकर ख़ुद ही पुलिस के सामने सरेंडर करने पहुंच जाते हैं उन्हीं सीएम योगी आदित्यनाथ और उनके आदेशों को बाराबंकी के राजस्व महकमें के बेलगाम अधिकारी ठेंगें पर रखते है। चाहे ज़मीनों से संबंधित विवाद हो या सरकारी ज़मीनों पर अवैध कब्ज़े के मामले हो राजस्व महकमे के अधिकारी कर्मचारी सीएम के निर्देशों की जमकर धज्जियां ही नही उड़ाते बल्कि ख़ुद सीएम पर भी ‘कटाक्ष’ करने से नही चूकते।
ताज़ा मामला बाराबंकी की नवाबगंज तहसील का है। जहां पाटमऊ गांव के रहने वाले ब्रजेश वर्मा को सीएम योगी से गांव के सरकारी तालाबों पर अवैध कब्ज़ों की शिकायत करना भारी पड़ गया। सीएम योगी से शिकायत किए जाने से चिढ़ी महिला अधिकारी ने शिकायतकर्ता पर ही कार्रवाई करते हुए उसके ख़िलाफ़ मुकदमा भी दर्ज करवा दिया। इतना ही नही महिला अधिकारी सीएम योगी पर भी कटाक्ष करने से नही चूकी और यहां तक बोल दिया कि “आप योगी जी के पास गए थे..योगी जी आये क्या यहां आपकी ज़मीन नपवाने ?” कुल मिलाकर मैडम शिकायतकर्ता को यही सबक देना चाह रही थी कि राजस्व विभाग की मर्ज़ी नही होगी तो सीएम योगी भी उन्हें न्याय नही दिला पाएंगे। पीड़ित शिकायत चाहे जहां करे लेकिन आखिर में उसे उन्ही की शरण मे आना होगा।
दरअसल ग्रामपंचायत पाटमऊ के निवासी ब्रजेश वर्मा करीब एक साल से गांव के सरकारी तालाबों पर ग्रामप्रधान राजकिशोर व हल्का लेखपाल दीपक पाल की साठगांठ से किए गए अवैध कब्ज़ों को हटवाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। दर्जनों बार आईजीआरएस और सम्पूर्ण समाधान दिवस में शिकायत करने के बाद भी जब ज़िले के अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नही करी तो बीती 12 अगस्त को लखनऊ जाकर ब्रजेश ने सीएम योगी से मामले की शिकायत करी थी।
इसी बात से चिढ़ी महिला अधिकारी ने 14 अगस्त को गांव पहुंच कर न सिर्फ ब्रजेश द्वारा तालाब से सटी अपनी ज़मीन पर लगाई गई फसल के कुछ हिस्से को अवैध कब्ज़ा बताकर जुतवा दिया बल्कि जमीन कब्जा करने के आरोप में उनके ऊपर एफआईआर भी दर्ज करायी गयी है। एक साल से सरकारी तालाब पर अवैध कब्जे हटवाने की जद्दोजहद में जुटे ब्रजेश पर हुई यह कार्रवाई पूरे इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है।
लेखपाल और प्रधान ने दी थी शांत बैठने की धमकी
पीड़ित ब्रजेश वर्मा ने बताया कि अवैध कब्ज़ों को लेकर करी गयी दर्जनों शिकायतो के बावजूद ना तो सरकारी तालाबों से अवैध कब्ज़े हटवाए गए और न दोषियों पर ही कोई कार्रवाई करी गयी। उल्टा लेखपाल और ग्रामप्रधान द्वारा उसे ही शांत बैठने के लिए धमकाया जाने लगा। शांत ना बैठने पर जान से मरवा देने से लेकर सरकारी जमीन पर अवैध कब्ज़े के फर्ज़ी मामले में फंसाकर उसकी ही पुश्तैनी ज़मीन पर लगी फसल जुतवा देने और फर्ज़ी मुकदमे में फंसाकर जेल भेजने की धमकियां दी गयी थी।
रिपोर्ट – कामरान अल्वी
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Author: Barabanki Express
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