UP News: एनकाउंटर में “पारदर्शिता” की कमी पर कोर्ट की बड़ी कार्रवाई, महिला थाना प्रभारी के खिलाफ केस दर्ज करने के दिए आदेश

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गाजियाबाद एनकाउंटर मामले में कोर्ट ने महिला थाना प्रभारी सरिता मलिक के खिलाफ प्रकीर्ण वाद दर्ज करने का आदेश दिया है। आरोपियों ने दावा किया कि उन्हें थाने से उठाकर फर्ज़ी मुठभेड़ में गोली मारी गई। कोर्ट ने CCTV फुटेज और मेडिकल जांच के आदेश दिए।

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गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश।

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद ज़िले के क्रॉसिंग रिपब्लिक थाना क्षेत्र में 26 अक्टूबर को हुए पुलिस एनकाउंटर मामले ने अब कानूनी मोड़ ले लिया है। अदालत ने इस प्रकरण में थाना प्रभारी महिला एसओ सरिता मलिक के खिलाफ प्रकीर्ण वाद (Miscellaneous Case) दर्ज करने का आदेश जारी किया है। यह कार्रवाई उस एनकाउंटर से जुड़ी है, जिसमें पुलिस ने दो बदमाशों के घायल होने और चार आरोपियों की गिरफ्तारी का दावा किया था।

 

क्या है पूरा मामला

26 अक्टूबर की रात पुलिस ने चेकिंग के दौरान एक संदिग्ध ऑटो को रोकने की कोशिश की थी। तभी उसमें सवार लोगों ने फायरिंग शुरू कर दी। पुलिस की जवाबी कार्रवाई में इरफान और शादाब नाम के दो आरोपियों के पैर में गोली लगने का दावा किया गया था, जबकि अमन गर्ग और नाजिम खान को पुलिस ने गिरफ्तार किया था।

UP News: एनकाउंटर में "पारदर्शिता" की कमी पर कोर्ट की बड़ी कार्रवाई, महिला थाना प्रभारी के खिलाफ केस दर्ज करने के दिए आदेश

पुलिस के अनुसार, ये चारों आरोपी महिलाओं से लूटपाट करने वाले गिरोह से जुड़े थे। पुलिस ने उनके पास से ऑटो, दो तमंचे, कारतूस, मोबाइल और जेवरात बरामद करने की बात कही थी।
मामले की जांच एसीपी वेव सिटी प्रिया श्रीपाल द्वारा की गई थी।

 

कोर्ट में आरोपियों ने लगाए गंभीर आरोप

एनकाउंटर के बाद जब चारों आरोपियों को अदालत में पेश किया गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें एनकाउंटर स्थल से नहीं, बल्कि थाने से उठाया गया था। उनके मुताबिक, उन्हें थाने से सीधे जंगल में ले जाकर गोली मारी गई। इस दावे के बाद अदालत ने थाना प्रभारी को थाने की CCTV फुटेज पेश करने का आदेश दिया।

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पहले पुलिस ने “तकनीकी कारणों” का हवाला देकर समय मांगा, और बाद में कहा कि फुटेज जारी करने से थाने आने वाले लोगों की निजता (Privacy) और मुखबिरों की पहचान उजागर हो सकती है।

कोर्ट ने इन तर्कों को अस्वीकार करते हुए आदेश का पालन न करने को गंभीर माना और महिला एसओ सरिता मलिक के खिलाफ प्रकीर्ण वाद दर्ज करने का निर्देश दिया।

 

मेडिकल बोर्ड गठित करने के आदेश

अदालत ने सीएमओ (मुख्य चिकित्सा अधिकारी) को निर्देश दिया है कि मेडिकल बोर्ड गठित कर चारों आरोपियों का परीक्षण कराया जाए और चोटों के निशानों की गिनती कर रिपोर्ट पेश की जाए।
यह जांच अदालत की निगरानी में कराई जाएगी ताकि यह स्पष्ट हो सके कि आरोपियों को गोली लगने की वास्तविक परिस्थितियाँ क्या थीं।

 

प्रकीर्ण वाद क्या होता है?

“प्रकीर्ण वाद” एक ऐसा स्वतंत्र कानूनी मामला होता है, जो किसी मुख्य मुकदमे से अलग चलाया जाता है। यह तब दर्ज किया जाता है जब किसी अधिकारी या व्यक्ति पर यह आरोप लगे कि उसने अदालत के आदेश की अवहेलना की है, अधूरी जानकारी दी है या सबूत छिपाने की कोशिश की है।

इसका उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता और अदालत के आदेशों के पालन को सुनिश्चित करना है।

 

मिशन शक्ति के दौरान हुआ था एनकाउंटर

गौरतलब है कि यह एनकाउंटर नवरात्रि के दौरान हुआ था, जब यूपी सरकार की ओर से “मिशन शक्ति” अभियान चलाया जा रहा था।
इस कार्यक्रम के तहत महिला पुलिस अधिकारियों द्वारा अपराधियों पर कार्रवाई पर जोर दिया जा रहा था।

लेकिन अब उसी अभियान के दौरान हुआ यह एनकाउंटर विवादों में आ गया है, जिससे महिला थाना प्रभारी सरिता मलिक पर कानूनी संकट मंडराने लगा है।

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पुलिस की कार्यशैली और जवाबदेही पर गंभीर सवाल

गाजियाबाद एनकाउंटर केस में अदालत की यह कार्रवाई यूपी पुलिस की कार्यशैली और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

अब देखना यह होगा कि आगे की न्यायिक प्रक्रिया में क्या निष्कर्ष निकलता है — क्या यह एनकाउंटर वाकई मुठभेड़ थी या फिर एक फर्ज़ी मुठभेड़?


रिपोर्ट – नौमान माजिद 

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Author: Barabanki Express

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