Barabanki: जिला अस्पताल के डॉक्टर ने पेश की मानवता और संवेदनशीलता की मिसाल — सात महीने बाद परिवार से मिली पश्चिम बंगाल की बीमाला बाउरी

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बाराबंकी जिला अस्पताल के डॉक्टर ने पेश की मानवता की मिसाल। सात माह तक इलाज के बाद पश्चिम बंगाल की बीमाला बाउरी अपने बेटों से मिलीं, डॉक्टरों को दिया आशीर्वाद।

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बाराबंकी, उत्तर प्रदेश।

मानवता और संवेदनशीलता की एक मिसाल बाराबंकी जिला अस्पताल में देखने को मिली। पश्चिम बंगाल की 60 वर्षीय महिला बीमाला बाउरी, जो पिछले सात महीनों से जिला अस्पताल में उपचाराधीन थीं, आखिरकार सोमवार को अपने घर लौट गईं। अस्पताल प्रशासन और चिकित्सकों की लगातार देखभाल और मानवीय प्रयासों से बीमाला अब पूरी तरह स्वस्थ हैं और अपने बेटों से मिलकर बेहद खुश नजर आईं।

विदाई के समय बीमाला बाउरी ने डॉक्टरों और अस्पताल कर्मियों को आशीर्वाद देते हुए कहा — “आप सबने मुझे नया जीवन दिया है। मैं बाराबंकी के लोगों और डॉक्टरों की सेवा को कभी नहीं भूलूंगी।”

 

 

रेलवे क्रॉसिंग के पास घायल मिली थीं बीमाला बाउरी

11 मार्च 2025 को बीमाला बाउरी बाराबंकी रेलवे क्रॉसिंग के पास घायल अवस्था में मिलीं थीं। राहगीरों ने तत्काल 108 एंबुलेंस को सूचना दी और उन्हें जिला अस्पताल पहुंचाया। उस समय उनके कूल्हे की हड्डी और दाहिने पैर में गंभीर चोटें थीं।

ऑर्थो सर्जन डॉ. अफसर खान ने उनका सफल ऑपरेशन किया और करीब सात महीनों तक निरंतर उपचार के बाद बीमाला धीरे-धीरे स्वस्थ हो गईं।

 

गलती से ट्रेन बदलने से पहुंचीं बाराबंकी

बीमाला बाउरी, बल्लवपुर, कुमारखला, जिला बर्धमान (पश्चिम बंगाल) की निवासी हैं। वे होली पर अपनी बेटी के घर बिजनौर (उत्तर प्रदेश) जा रही थीं, लेकिन गलती से दूसरी ट्रेन में बैठ गईं। यात्रा के दौरान अचानक तबीयत बिगड़ने से उन्हें कुछ याद नहीं रहा और वे अनजाने में बाराबंकी पहुंच गईं। अगली सुबह वे रेलवे स्टेशन के पास घायल अवस्था में मिलीं।

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डॉ. अफसर खान ने परिवार से मिलाने में निभाई बड़ी भूमिका

जब बीमाला की हालत में सुधार हुआ तो उन्होंने अपना नाम और पता बताना शुरू किया। इसके बाद डॉ. अफसर खान ने अपने परिचितों की मदद से पश्चिम बंगाल में उनके परिवार को खोजने का प्रयास शुरू किया। कई प्रयासों के बाद जब परिवार से संपर्क हुआ, तो खुशी से बेटों की आंखों में आंसू आ गए।

अगले ही दिन रामदास बाउरी और असीम बाउरी बाराबंकी पहुंचे और मां को स्वस्थ देखकर भावुक हो उठे।

 

अस्पताल ने निभाया परिवार जैसा फर्ज

डॉ. अफसर खान ने बताया — “पिछले सात महीनों से पूरा अस्पताल स्टाफ बीमाला बाउरी की सेवा में जुटा रहा। नर्स, वार्ड बॉय, फार्मासिस्ट — सभी ने उन्हें अपने परिवार की तरह संभाला। आज जब वे जा रही हैं, तो ऐसा लग रहा है जैसे घर का कोई अपना विदा हो रहा हो।”

 

 

परिवार ने जताया डॉक्टरों के प्रति आभार

बेटे रामदास बाउरी ने कहा — “हम बाराबंकी जिला अस्पताल के सभी डॉक्टरों और स्टाफ का दिल से शुक्रिया अदा करते हैं। उन्होंने हमारी मां की देखभाल ऐसे की जैसे हम खुद करते।”

 

 

सीएमएस बोले — हर लावारिस मरीज हमारा अपना है

मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. जयप्रकाश मौर्य ने कहा — “जिला अस्पताल बाराबंकी में जब कोई मरीज लावारिस अवस्था में आता है, तो हम उसे अपने परिवार का सदस्य मानकर संपूर्ण उपचार करते हैं। बीमाला बाउरी तीसरी ऐसी महिला हैं जिन्हें पूर्ण स्वस्थ कर उनके घर भेजा गया है।”

 

 

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विदाई के भावुक क्षण में मौजूद रहे सभी अधिकारी

इस मौके पर सीएमएस डॉ. जयप्रकाश मौर्य, पूर्व सीएमएस डॉ. बी.पी. सिंह, डॉ. अफसर खान, फार्मासिस्ट जितेंद्र शर्मा, मैनेजर राजकुमार, नर्सिंग स्टाफ, और वार्ड बॉय टीम सहित पूरा अस्पताल परिवार मौजूद रहा।


रिपोर्ट – मंसूफ अहमद / उस्मान 

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Author: Barabanki Express

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