Barabanki: थाना प्रभारी पर सामूहिक दुष्कर्म के आरोपियों से सांठगांठ और पीड़िता को धमकाने का आरोप, एसपी ने दर्ज कराई थी FIR

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बाराबंकी के असंद्रा थाने के प्रभारी आलोक मणि त्रिपाठी पर दुष्कर्म के आरोपियों से सांठगांठ और पीड़िता को धमकाने के गंभीर आरोप लगे हैं। एसपी से न्याय की गुहार के बाद भी जांच में ढिलाई बरती जा रही है।

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बाराबंकी, उत्तर प्रदेश।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जहां महिलाओं और युवतियों के सम्मान पर आंच डालने वालों को “यमराज से भेंट” कराने की चेतावनी दे रहे हैं, वहीं राजधानी से सटे बाराबंकी जिले के असंद्रा थाने के प्रभारी आलोक मणि त्रिपाठी पर दो बहनों के साथ सामूहिक दुष्कर्म के आरोपियों से मोटी रकम लेकर पीड़िता और उसके परिजनों को धमकाने के गंभीर आरोप लग रहे है।

पीड़िता का कहना है कि थाना प्रभारी ने न केवल दुष्कर्म के आरोपियों के खिलाफ उसकी शिकायत दर्ज करने से इंकार किया बल्कि उल्टा उसे, उसकी बहन और माता-पिता को ही फर्जी मुकदमे का आरोपित बना दिया।

 

घटना का विवरण

असंद्रा थाना क्षेत्र के एक गांव की रहने वाली पीड़िता ने बताया कि गांव के दबंग लोग सरकारी ज़मीन पर कब्जा कर रहे थे। विरोध करने पर 3 नवंबर 2025 की सुबह करीब 5 बजे जब वह अपनी मां और बहन के साथ शौच के लिए जा रही थी, तभी घात लगाए बैठे गांव के ही मायाराम, रामपाल, पुत्रगण पंचम, जशकरन, बलकरन पुत्रगण मायाराम, व छंगू ने उन्हें दबोच कर जबरन सामूहिक दुष्कर्म किया और प्राइवेट अंगों पर घातक वार किए।

मां के चिल्लाने पर आरोपी पक्ष के लगभग दो दर्जन लोग वहां पहुंच गए और पूरे परिवार पर लाठी-डंडों और धारदार हथियारों से हमला किया गया।

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थाने में शिकायत पर अभद्रता और दुत्कार

पीड़िता के अनुसार जब वह न्याय की उम्मीद में असंद्रा थाने पहुंची तो थाना प्रभारी आलोक मणि त्रिपाठी ने अभद्रता की और एफआईआर दर्ज करने से मना कर दिया। आरोप है कि रिश्वत लेने के बाद थाना प्रभारी ने उल्टा आरोपियों की तहरीर पर पीड़िता, उसकी बहन और माता-पिता को ही आरोपी बना दिया।

एसपी से गुहार के बाद दर्ज हो सकी एफआईआर 

हताश होकर पीड़िता ने एसपी बाराबंकी अर्पित विजयवर्गीय से शिकायत की। एसपी के निर्देश पर एफआईआर दर्ज हुई, लेकिन आरोप है कि अब आरोपियों को बचाने के लिए थाना प्रभारी मेडिकल जांच करवाने से टालमटोल कर रहे हैं, ताकि मेडिकल रिपोर्ट में दुष्कर्म और मारपीट की पुष्टि न हों सके।

 

फर्जी केस में फंसाने की धमकियां 

आरोप है कि लगातार धमकियां देकर सुलह के लिए मजबूर करने का प्रयास किया जा रहा हैं। पीड़िता ने बताया कि उसका छोटा भाई जो गांव में नहीं रहता, उसे भी झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी दी जा रही है ताकि परिवार सुलह कर ले। पीड़िता का समर्थन करने वाले गांव के लोगों को भी पुलिस द्वारा धमकाएं जाने का आरोप परिवार लगा रहा है।

 

विवादों से घिरे रहे हैं थाना प्रभारी

असंद्रा थाना प्रभारी आलोक मणि त्रिपाठी की कार्यशैली पहले भी विवादों में रही है। पूर्व में भी विवादित कार्यशैली और अवैध वसूली के आरोपों के चलते ही उन्हें नगर कोतवाल के पद वे हटाया गया था। इससे पहले रामसनेही घाट थाने में भी वे वसूली प्रकरणों को लेकर सुर्ख़ियों में रह चुके हैं।

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स्थानीय लोगों में चर्चा है कि यदि 100 करोड़ की अवैध संपत्ति के मामले में फंसे डीएसपी ऋषिकांत शुक्ला की तरह उनकी और उनके करीबियों की संपत्ति की निष्पक्ष जांच कराई जाए तो चौंकाने वाले परिणाम सामने आ सकते है।

 

स्थानीय लोगों की मांग

ग्रामीणों और समाजसेवियों ने पुलिस विभाग से मांग की है कि थाना प्रभारी को तत्काल निलंबित कर इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराई जाए ताकि पीड़िता को न्याय मिल सके।


रिपोर्ट – कामरान अल्वी 

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Author: Barabanki Express

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