निंदूरा-बाराबंकी।
ब्रह्मा देवस्थान जानीनगर में चल रही शिव महापुराण कथा के दूसरे दिन कथावाचक द्वारिका नंद महाराज ने शिव विवाह की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि आत्मा का परमात्मा से मिलन ही शिव में लीन हो जाना है। भगवान शंकर वैराग्य के देवता माने गए हैं परंतु शिव ने विवाह भी कर संसार गृहस्थ आश्रम में रहकर वैराग्य धर्म का अनुसरण करने का तरीका दिया।कथावाचक ने कहा कि शिव परिवार में भगवान का वाहन नंदी, मां पार्वती का शेर, गणेश जी का मूषक और कार्तिकेय का वाहन मोर है। शिव के गले में सर्प रहते हैं। सभी विपरीत विचारधारा के बीच सामंजस रखना ही शिवपुराण सिखाता है। भगवान के विवाह का वर्णन करते हुए कहा कि मैंना देवी व हिमालय राज की पुत्री के रूप में मां पार्वती का जन्म लेना प्रारंभिक काल में शिव की तपस्या करना उसी दौरान तारका सुर के आतंक को खत्म करने के लिए शिव का तंद्रा भंग हुई। तब जाकर शिव पार्वती का विवाह हुआ। इस मौके पर पूर्व प्रधान अशोक यादव, भगवती प्रसाद, सोनू, राम गोपाल, संदीप, नंदलाल, रामराज, राजाराम सहित सैकड़ो भक्तगण मौजूद रहे।
रिपोर्ट- ललित राजवंशी
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