बाराबंकी।
आवारा हवा का झोंका हूं, आ निकला हूं पल दो पल के लिए… गाने के यह बोल जैसे ही मंच से सुनाई दिए तो लोग कुर्सियां छोड़कर खड़े हो गए। चारों तरफ तालियों की गूंज सुनाई देने लगी। भीड़ से भरे ऑडिटोरियम को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता था कि अल्ताफ राजा को सुनने के लिए लोग आज भी उतने ही बेताब है।
शुक्रवार को देवा मेला के ऐतिहासिक ऑडिटोरियम में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। सुरों के बादशाह को मंच पर देखकर श्रोताओं का उत्साह सातवें आसमान पर था। अल्ताफ राजा ने आने से जिसके आए बहार, हम वो दीवाने है जो ताजा हवा लेते है, दिल सच्चा ,सूरत आपकी शुभांल्लाह, हमें तो लूट लिया, मिल के हुश्न वालों ने, झूम बराबर, झूम शराबी, तुम तो ठहरे परदेशी साथ क्या निभाओगे, गाकर लोगों को पुराने दौर में पहुंचा दिया।
इसके बाद एक के बाद एक प्रस्तुति ने लोगों की शाम यादगार बना दी। फिर अल्ताफ राजा ने जा बेवफा, जा बेवफा हमें प्यार नहीं करना, से उन्होंने बाद अपनी आगे की प्रस्तुति को बढ़ाया। गानों के बीच में उनकी शायरी ने प्रस्तुति में जैसे चार चांद लगा दिए। फिर तुम्हें दिल्लगी भूल जानी पड़ेगी, महोब्बत की राहों में आकर तो देखो, अन्य धमाकेदार प्रस्तुतियां ने कार्यक्रम को शीर्ष पर पहुंचा दिया।
रिपोर्ट – सरला यादव
Author: Barabanki Express
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