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Barabanki: प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना में बड़ा घोटाला आया सामने, घूस लेकर रेवड़ी की तरह अपात्रों को बांटे गए आवास, जांच रिपोर्ट सामने आने से मचा हड़कंप

 

हैदरगढ़-बाराबंकी।
नगर पंचायत हैदरगढ़ में अपात्रों से अवैध वसूली कर उन्हें प्रधानमंत्री आवास देने के प्रकरण में शिकायत के बाद शासन स्तर से कराई गई जांच में मामला सही पाए जाने पर गलत जिओ टैग करने के आरोप में तीन सर्वेयरों को बर्खास्त कर मामला रफादफा कर दिया गया है। वही अपात्रों को आवास दिए जाने की पुष्टि के बावजूद लाभार्थियों का सत्यापन करने डूडा के घूसखोर अधिकारियों व कर्मचारियों पर कोई कार्रवाई न होना चर्चा का विषय बना हुआ है।  

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बताते चलें कि प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के अंतर्गत नगर पंचायत हैदरगढ़ में कुल 372 लाभार्थियों के आवास स्वीकृत किए गए थे। जिसमें बड़े पैमाने पर वसूली कर अपात्रों को आवास दिए गए थे, कुछ ऐसे लोगों की दूसरी किस्त भी जारी कर दी गई थी जिन्होंने फाउंडेशन और नींव तक नहीं भरी थी। किसी दूसरे घर का जियो टैग कर पैसा निकाल लिया गया था। मामले को लेकर चेयरमैन आलोक तिवारी द्वारा डूडा के अधिकारियों व कर्मचारियों पर अवैध वसूली कर अपात्रों को आवास देने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री सहित कई उच्च अधिकारियों से शिकायत की गई थी।

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चेयरमैन का आरोप था कि नगर पंचायत में कई ऐसे लोगों का जियो टैग कर दिया गया था जिनकी नींव तक नहीं भरी गई थी। इसके बावजूद भी दूसरी किस्त जारी कर दी गई, जबकि भुगतान होने से पहले पीओं डूडा द्वारा स्वयं पत्रावली चेक की जाती है। चेयरमैन आलोक तिवारी की शिकायत पर अपर जिलाधिकारी अरूण कुमार सिंह द्वारा तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई थी जिसमें परियोजना अधिकारी, जिला सेवा योजना अधिकारी व तहसीलदार हैदरगढ़ को जाँच सौंपी गई थी। लेकिन मिलीभगत के चलते जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। काफी समय बीत जाने के बाद भी जब मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई तो एक बार फिर मामले की शिकायत अपर मुख्य सचिव अमृत अभिजात से की गई थी। जिसके बाद निदेशक राज्य नगरीय विकास अभिकरण द्वारा कमेटी गठित कर जांच के निर्देश दिए गए।

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शासन के निर्देश पर स्नो फाउंटेन कंसल्टेंट्स के अधिकारियों द्वारा बीती 14 सितम्बर 2024 को नगर पंचायत हैदरगढ़ पहुंचकर जांच की गई। जांच में कई स्थानों पर सर्वेयरों द्वारा जीरो लेवल जिओ टैग एक स्थान पर तथा फाउंडेशन लेवल जियोटैग अन्यत्र स्थान पर होना पाया गया। कुछ अपात्र लाभार्थियों के भी फाउंडेशन लेवल जियोटैग किए जाने की पुष्टि हुई। यही नहीं जाँच में निकलकर आया कि फाउंडेशन लेवल जियोटैग बिना फाउंडेशन बने ही कर दिये थे, इसके अलावा सर्वेयर रवि पटेल लगभग दो महीने से निकाय में कार्यरत हैं परंतु एक भी आवास नहीं दिखा सके टीम को भुवन पोर्टल लोकेशन के आधार पर घर खोजना पड़ा।

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जांच में मामला सही पाए जाने पर स्नो फाउंटेन ने तीन सर्वेयरों कृष्ण रस्तोगी, रवि पटेल तथा संतोष यादव को कार्य मुक्त करते हुए उनकी सेवा समाप्त कर दी है। साथ ही तीनो की जियो टैग आईडी करने के लिए पीओ डूडा को पत्र भी लिखा है। लेकिन अनियमितता और अपात्रों को आवास दिए जाने की पुष्टि के बावजूद मामले में दोषी डूडा के अधिकारियों व कर्मचारियों पर कोई कार्रवाई न होने से उच्चाधिकारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में आ गयी है।
रिपोर्ट – मोहम्मद इदरीस

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Author: Barabanki Express

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