UP News:
गोंडा में बिना रजिस्ट्रेशन संचालित एस.बी.एस. अस्पताल में 24 घंटे के भीतर दो नवजात शिशुओं की मौत। शव देने के लिए 49 हजार की मांग का आरोप। सांसद राजा भैया ने उच्च स्तरीय जांच और अवैध अस्पतालों पर कार्रवाई की मांग की।

गोंडा, उत्तर प्रदेश।
जनपद गोंडा में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और अवैध अस्पतालों की मनमानी ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। गोंडा-बहराइच रोड पर बिना रजिस्ट्रेशन संचालित एस.बी.एस. हॉस्पिटल के न्यू बॉर्न इंसेंटिव केयर यूनिट (NICU) में 24 घंटे के भीतर दो नवजात शिशुओं की मौत हो गई। इस मामले में मृतकों के परिजनों ने गंभीर आरोप लगाए हैं, वहीं सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ‘राजा भैया’ ने घटना को लेकर मंडलायुक्त को पत्र लिखते हुए उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
पहला मामला: शव देने के लिए 49 हज़ार की मांग
सताईपुरवा मजरे बड़गांव निवासी मोहित कुमार ने बताया कि उनकी पत्नी की डिलीवरी जिला महिला अस्पताल गोंडा में हुई थी। जन्मे शिशु की तबीयत खराब बताकर डॉक्टरों ने कहा कि बच्चे ने गंदा पानी पी लिया है। इसी दौरान एक व्यक्ति ने उन्हें डॉ. परवेज इक़बाल खान के एस.बी.एस. अस्पताल भेजा।
अस्पताल में 1,000 रुपये एडमिशन फीस ली गई और बच्चे के स्वस्थ होने का भरोसा दिलाया गया। लेकिन चौथे दिन डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे की मौत हो गई है। आरोप है कि अस्पताल प्रशासन ने शव देने के लिए 49,000 रुपये मांगे। डायल-112 पुलिस के हस्तक्षेप के बाद ही शव परिजनों को सौंपा गया।

दूसरा मामला: इलाज के दौरान मौत
10 सितंबर को कटरा बाजार निवासी विनय सिंह की पत्नी किरन सिंह का प्रसव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) कटरा बाजार में हुआ। नवजात की हालत खराब होने पर उसे भी डॉ. परवेज के एस.बी.एस. अस्पताल रेफर किया गया। वहां इलाज के दौरान 11 सितंबर की शाम को बच्चे की मौत हो गई।
सांसद राजा भैया ने जताई नाराज़गी
लगातार सामने आ रही मौतों और अवैध अस्पतालों के संचालन को लेकर सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ‘राजा भैया’ ने नाराज़गी जताई है। उन्होंने मंडलायुक्त को पत्र लिखकर कहा कि जिले में बड़े पैमाने पर अवैध अस्पताल चल रहे हैं और स्वास्थ्य विभाग मूकदर्शक बना हुआ है।
उन्होंने आरोप लगाया कि जिला चिकित्सालय और महिला अस्पताल में कार्यरत कई डॉक्टर, दलालों के माध्यम से मरीजों को गुमराह कर निजी अस्पतालों में भेजते हैं। यह न केवल गंभीर लापरवाही है, बल्कि सरकार की छवि धूमिल करने का षड्यंत्र भी प्रतीत होता है। सांसद ने दोषियों पर सख्त कार्रवाई और निजी अस्पतालों में दलाली पर रोक लगाने की मांग की है।
CMO का विवादित बयान
इस घटना पर गोंडा की मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) डॉ. रश्मि वर्मा का बयान भी विवादों में आ गया है। पत्रकारों के सवाल पर उन्होंने कहा – “एक बच्चा मर गया तो सब आ गए, लेकिन जब हजार जिंदा होते हैं तो लड्डू खाने क्यों नहीं आते?”
उनके इस बयान ने परिजनों और आम जनता में आक्रोश पैदा कर दिया है।
गोंडा में अवैध अस्पतालों और डॉक्टरों की लापरवाही से मासूमों की जानें जा रही हैं। दो-दो नवजात शिशुओं की मौत के बाद अब सवाल है कि क्या प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग इस मामले में ठोस कार्रवाई करेगा या यह भी अन्य मामलों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा।
रिपोर्ट – निरंकार त्रिवेदी
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Author: Barabanki Express
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