Barabanki: वर्दी की धौंस दिखाकर सिपाही ने नाबालिग बहनों के साथ की अभद्रता, सार्वजनिक तौर पर चरित्र हनन का भी आरोप; एसपी और सीएम से न्याय की गुहार

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बाराबंकी में पुलिसकर्मी द्वारा नाबालिग बहनों से गाली-गलौज और चरित्र हनन का मामला सामने आया है। पीड़िता ने SP से शिकायत की, लेकिन कार्रवाई न होने पर सोशल मीडिया से लगाई न्याय की गुहार। पढ़ें पूरी खबर।


बाराबंकी, उत्तर प्रदेश।

जहां एक ओर सूबे की योगी आदित्यनाथ सरकार बेटियों को सुरक्षित और सशक्त बनाने के लिए ‘मिशन शक्ति’ जैसे अभियान चला रही है, वहीं दूसरी ओर यूपी पुलिस के एक सिपाही द्वारा नाबालिग बहनों के साथ सार्वजनिक अभद्रता और चरित्र हनन का शर्मनाक मामला सामने आया है।

मामला शहर कोतवाली क्षेत्र के लखपेड़ाबाग मोहल्ले का है, जहां मंगलवार सुबह 6 बजे, मोहल्ले में ही किराए पर रहने वाला पुलिसकर्मी विकास शर्मा पड़ोसी की नाबालिग बेटियों से मारपीट और गाली-गलौज करने पर उतर आया।

 

क्या है पूरा मामला?

पीड़िता ने बताया कि उनके घर की मरम्मत चल रही थी और बारिश के कारण गिट्टी की कुछ बोरियां उन्होंने घर के बाहर किनारे रखवा दी थीं। सुबह विकास शर्मा ने अपनी गाड़ी निकालते समय उन बोरियों को हटाने के लिए कहा। युवती ने जवाब दिया कि पापा घर पर नहीं हैं, वे आएंगे तो बात कर लीजिएगा।

इतना सुनते ही विकास शर्मा आपा खो बैठा। आरोप है कि उसने दोनों बहनों को “धंधा करती है”, “गंवार”, “आवारा”, “बत्तमीज़”, “साली” जैसे अपशब्द कहे और उनके चरित्र पर भद्दे आरोप लगाए। जब पीड़िता ने विरोध किया तो आरोपी गाड़ी से निकलकर उन्हें मारने दौड़ा, किसी तरह दोनों बहनें घर में घुसकर अपनी जान बचा सकीं।

Barabanki: वर्दी की धौंस दिखाकर सिपाही ने नाबालिग बहनों के साथ की अभद्रता, सार्वजनिक तौर पर चरित्र हनन का भी आरोप; एसपी और सीएम से न्याय की गुहार
आरोपी पुलिसकर्मी विकास शर्मा

 

पुलिस की चुप्पी और वर्दी का रौब

पीड़िता का आरोप है कि विकास शर्मा लगातार अपनी वर्दी का रुतबा दिखाकर धमकी देता रहा — “मैं पुलिस में हूं, तुम्हारे जैसे लोग मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते।”

आरोप है कि विकास की पत्नी ने भी मौके पर पहुंचकर अपशब्द कहे और गाली-गलौज की। पीड़िता ने तत्काल 112 नंबर पर कॉल कर पुलिस को बुलाया, लेकिन पुलिस केवल औपचारिकता निभाकर लौट गई, आरोपी से पूछताछ तक नहीं की।

 

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SP और सीएम पोर्टल पर शिकायत, लेकिन अब तक कार्रवाई नहीं

पीड़िता के पिता, जो घटना के वक्त नाइट ड्यूटी पर थे, ने वापस लौटकर नगर कोतवाली, एसपी अर्पित विजयवर्गीय, महिला आयोग और मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई है।

परिवार का आरोप है कि चूंकि आरोपी पुलिस विभाग में कार्यरत है, इसलिए स्थानीय पुलिस उसे बचा रही है और पीड़ित परिवार की कोई सुनवाई नहीं हो रही।

पुलिस के उदासीन रवैए से आहत होकर पीड़िता ने सोशल मीडिया पर वीडियो साझा कर न्याय की गुहार लगाई है।

प्रश्न उठता है – क्या वर्दी अपराधियों की ढाल बन चुकी है?

इस पूरे प्रकरण ने पुलिस विभाग की निष्पक्षता और महिला सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। जब वर्दीधारी ही बेटियों के सम्मान को रौंदे और विभाग चुप्पी साधे बैठे रहे — तो आम जनता किससे उम्मीद करे?

रिपोर्ट – कामरान अल्वी 

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Author: Barabanki Express

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