Barabanki:
बाराबंकी में प्रधान प्रतिनिधि द्वारा दबंगई के बल पर पुश्तैनी जमीन और पेड़ हड़पने की शिकायत पर पुलिस ने पीड़ित का ही कर दिया चालान, पीड़ित ने DM शशांक त्रिपाठी और CM योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई।

बाराबंकी, उत्तर प्रदेश।
ज़िले के सुबेहा थाना क्षेत्र में पुश्तैनी ज़मीन को लेकर बड़ा विवाद सामने आया है। ग्राम पूरे लोधी मजरे शरीफाबाद निवासी हनुमंत लाल सिंह पुत्र दीनानाथ सिंह ने मौजूदा ग्राम प्रधान प्रतिनिधि मातादीन यादव और उनके बेटे पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
पीड़ित के अनुसार, उनकी पुश्तैनी ज़मीन गाटा संख्या 2474 और 2475 में हिस्सेदारी को लेकर विवाद चल रहा है। मामला न्यायालय में विचाराधीन है, अदालत ने ज़मीन की पैमाइश होने तक दोनों पक्षों को यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं। इसके बावजूद, विपक्षी पक्ष अदालती आदेश को ताक पर रखकर दबंगई कर रहा है।
पेड़ काटकर लकड़ी बेचने का आरोप
हनुमंत लाल का आरोप है कि 7 सितंबर की सुबह करीब 5 बजे ग्राम प्रधान प्रतिनिधि मातादीन यादव, उनका बेटा बाबूलाल यादव और ठेकेदार सतऊ करीब दो दर्जन मजदूरों व मशीन के साथ उनकी ज़मीन पर पहुंचे। आरोप है कि उन्होंने आधा दर्जन से अधिक चिलवल के पेड़ जबरन कटवा डाले। विरोध करने पर लड़ाई झगड़े पर आमादा हो गए।
उनकी शिकायत पर डायल 112 पुलिस मौके पर पहुंची लेकिन विपक्षियों ने उनकी भी नहीं सुनी। जिसके बाद पीड़ित ने एसपी बाराबंकी अर्पित विजयवर्गीय को फोन लगाया। तब जाकर सुबेहा थाने की पुलिस मौके पर पहुंची और पेड़ों की कटाई रुकवाई, लेकिन तीन पेड़ों की लकड़ी ठेकेदार उठा ले गया। दो पेड़ों की लकड़ी मौके पर ही पड़ी रही।
शिकायत पर कार्रवाई सिफर, पीड़ित का ही चालान
पीड़ित ने इस घटना की शिकायत थाना समाधान दिवस और थाने पर लिखित रूप से दर्ज कराई, लेकिन आरोप है कि प्रधान के प्रभाव के चलते कोई कार्रवाई नहीं हुई।
पीड़ित का कहना है कि 17 सितंबर को विपक्षियों ने मौके पर पड़ी लकड़ी और उसी ज़मीन पर लगे पीपल के पेड़ को काटकर उठा लिया। इसकी शिकायत लेकर जब वो सुबेहा थाने गया तो पुलिस ने उल्टा उसका ही चालान कर दिया।
स्थानीय पुलिस द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाने पर पीड़ित ने अब जिलाधिकारी बाराबंकी शशांक त्रिपाठी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई है।
ग्रामीणों में आक्रोश
इस पूरे मामले को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश है। उनका कहना है कि न्यायालय और प्रशासनिक आदेशों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। वहीं, पीड़ित परिवार का कहना है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो वह भूख हड़ताल जैसे कठोर कदम उठाने पर मजबूर होंगे।
रिपोर्ट – मंसूफ अहमद
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Author: Barabanki Express
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