Barabanki: एक बार फिर ‘बैडवर्क’ में बदल सकता है ज़ैदपुर पुलिस का ‘गुडवर्क’, जाने हाईकोर्ट के किस आदेश ने उड़ायी पुलिस महकमे की नींद


बाराबंकी-यूपी। 
21 नवंबर 2023 को जैदपुर पुलिस ने जिन मार्फीन तस्करों को पकड़ लेने का गुडवर्क दिखाकर अपनी पीठ ठोकी थी। हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद अब वही गुडवर्क पुलिस के गले की फास बनता नज़र आ रहा है। दरअसल इस मामले में भी हाईकोर्ट ने बिल्कुल वैसा ही आदेश पारित कर दिया है जैसा उसने वर्ष 2024 में टिकरा उज़मा निवासी सहीम पुत्र तसव्वर के मामले में दिया था। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद एक बार फिर लोगो को फर्ज़ी मुकदमों में फसा कर अपराधी बनाने के खेल का भंडाफोड़ होने की आशंका से पुलिस महकमे में खलबली मच गई है।

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आपको बताते चले कि बाराबंकी की थाना ज़ैदपुर पुलिस ने दिनांक 22-11-2023 की शाम करीब 7:30 बजे थाना क्षेत्र अंतर्गत टिकरा से हरख जाने वाली सड़क पर चंदौली नहर पुलिया के पास से बाइक व एक्टिवा सवार चार तस्करो लखनऊ निवासी हसनैन पुत्र कमरुद्दीन, राशिद पुत्र स्व0 गुलाम रसूल, मो0 यूसुफ पुत्र नन्हा अली व बाराबंकी के रामनगर इलाक़े के रहने वाले नूरूल हसन पुत्र अली हसन को गिरफ्तार कर उनके कब्ज़े से 620 ग्राम अवैध मारफीन व अवैध मारफीन की 100 पुड़िया बरामद करने का गुडवर्क दिखाते हुए चारो को एनडीपीएस एक्ट के तहत जेल भेज दिया था।

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केस के विचारण के दौरान जेल में निरुद्ध मुल्जिमों द्वारा न्यायालय में प्रार्थना पत्र देकर खुद के निर्दोष होने और पुलिस द्वारा 21-11-2023 की शाम लखनऊ के इंदिरा नगर से पकड़कर ज़ैदपुर थाने लाने और 22-11-2023 को फर्जी तरीके से मारफीन की बरामदगी दिखाकर जेल भेजने का आरोप लगाया। अभियुक्तों द्वारा न्यायालय से उनके व उन्हें पकड़कर लाने वाले पुलिसकर्मियों के मोबाइल नम्बरो की सीडीआर व लखनऊ के कुछ स्थानों पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज तलब कर परीक्षण करने की भी अपील की गयी, जिससे उनकी बेगुनाही साबित हो सके। लेकिन अभियोजन पक्ष के विरोध पर अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट नम्बर 8 अमित सिंह प्रथम ने उक्त अपील को ख़ारिज कर दिया।
फारूक अय्यूब – अधिवक्ता हाईकोर्ट
जिसके बाद मुल्जिमों ने हाईकोर्ट लखनऊ के तेज तर्रार अधिवक्ता फारूक अय्यूब के ज़रिए इस आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय लखनऊ में अपील दाखिल की। अधिवक्ता फारूक अय्यूब ने बताया कि माननीय उच्च न्यायालय ने वर्ष 2024 में सहीम बनाम सरकार केस की तरह ही निचली अदालत के आदेश को यह कहते हुए रद्द कर दिया है कि ट्रायल कोर्ट ने आवेदक की दलील पर विचार किये बिना ही उसे सरसरी तौर पर खारिज कर दिया। साथ ही ट्रायल कोर्ट को यह आदेश दिया है कि वो उच्च न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए आवेदक के आवेदन पर नए सिरे से विचार करे। जस्टिस सरल श्रीवास्तव ने अपने आदेश में स्पष्ट रूप से कहा कि आवेदकों के मोबाइल नम्बरो की सीडीआर व सीसीटीवी कैमरों की फुटेज बतौर साक्ष्य इकट्ठा किए जाए।

एक बार फिर हो सकता है पुलिसिया फ़र्ज़ीवाड़े का भंडाफोड़?

अधिवक्ता फारूक अय्यूब ने बताया कि हसनैन और उसके साथियों की तरह  ही ज़ैदपुर थाने की पुलिस ने  27-02-2023 को टिकरा गांव निवासी सहीम पुत्र तसव्वर को भी टिकरा से हरख जाने वाली सड़क पर चंदौली नहर पुलिया के पास से 3 किलो 100 ग्राम अवैध मारफीन के साथ गिरफ्तार करने का दावा कर जेल भेजा था। ट्रायल के दौरान सहीम ने अदालत में आवेदन देकर बताया कि पुलिस ने उसे फर्ज़ी फसाया है। अपने साढू के लड़के को बोर्ड की परीक्षा दिलाने वह दिनांक 26.02.2023 को लखनऊ गया था। रात हो जाने के कारण वह मलेशेमऊ लखनऊ में रूक गया था। दिनांक 27.02.2023 को समय लगभग 10 बजे प्रातः ज़ैदपुर थाने के कुछ पुलिसकर्मी उसे वही से जबरन अपने साथ जैदपुर थाने ले आये और थाने पर बैठा कर घरवालो से नाजायज धन की मांग करते रहे। मांग पूरी न होने पर मार्फीन बरामदगी का फर्जी केस बनाकर जेल भेज दिया। अपने आवेदन में सहीम ने उसके व उसे पकड़कर लाने वाले पुलिसकर्मियों के मोबाइल नम्बरो की सीडीआर और सीसीटीवी कैमरों की फुटेज तलब करने की गुहार लगाई थी।

श्री अय्यूब ने बताया कि ट्रायल कोर्ट ने हसनैन की तरह सहीम के आवेदन को भी ख़ारिज कर दिया था। बाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के आदेश पर ट्रायल कोर्ट ने सहीम को पकड़ कर लाने वाले दरोगा आलोक सिंह, सिपाही अमित, महेश सिंह और आरोपी के मोबाइल नम्बरो की सीडीआर व सार्वजनिक स्थानों पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज तलब कर लिए। अधिक समय बीत जाने के चलते सीसीटीवी फुटेज तो नही मिल सकी लेकिन पुलिसकर्मियों के मोबाइल नम्बरो की सीडीआर ने पुलिस के फर्ज़ीवाड़े की पोल खोल दी। 27-02-2023 की सुबह सहीम व  पुलिसकर्मियों की लोकेशन लखनऊ में ही पायी गयी, जबकि अदालत में दिए बयान में सभी पुलिसकर्मियों द्वारा उक्त तारीख को बाराबंकी में होने का दावा किया गया था। पुलिस का फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद कोर्ट ने करीब 14 महीनों से जेल में बंद सहीम को दोषमुक्त करार देते हुए दिनांक 03-05-2024 को उसकी रिहाई का परवाना जारी किया था। इस मामले में सहीम को फर्ज़ी तरीके से जेल भेजने को लेकर पुलिस की जमकर किरकिरी भी हुई थी।

देखें सहीम बनाम सरकार केस में कोर्ट का फैसला

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रिपोर्ट – मन्सूफ अहमद

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Author: Barabanki Express

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