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बाराबंकी में FSDA टीम की लापरवाही ने निर्दोष कंपनी को कर दिया बदनाम, डायरेक्टर के मोबाइल पर घनघनाने लगे हजारों लोगो के फोन, जानिए क्या है पूरा मामला

बाराबंकी, उत्तर प्रदेश।
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि विभाग (FSDA) की एक महत्वपूर्ण छापेमारी कार्रवाई के साथ-साथ चौंकाने वाली लापरवाही सामने आई है। मसौली क्षेत्र में मिलावटी और खुले ब्रांडेड तेल-नमक की पैकिंग की सूचना पर गुरुवार को FSDA की टीम ने मसौली चौराहे पर जय गुरुदेव मार्केट स्थित एक दुकान पर दबिश दी, लेकिन इसके बाद जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति में गलत नाम लिखने की गलती ने पूरे मामले का रुख ही बदल दिया।
FSDA की छापेमारी में बरामद हुआ भारी मात्रा में नकली सामान
गुरुवार को FSDA की टीम — जिसमें सहायक आयुक्त शैलेन्द्र प्रताप सिंह, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि अधिकारी नीरद पाण्डेय, अरुण कुमार, भगौती प्रसाद, अर्शी फारूकी, पल्लवी तिवारी, डॉ. अंकिता यादव, सलिल कुमार सिंह और अनुराधा मिश्रा शामिल थे — ने मसौली चौराहे पर जय गुरुदेव मार्केट स्थित एक दुकान पर छापा मारा।

छापेमारी के दौरान जो सामग्री बरामद की गई, वह इस प्रकार रही:
- खुला सरसों तेल – 75 लीटर (कीमत ₹11,250 लगभग)
- पतंजलि ब्रांड का सरसों तेल – 30 लीटर (कीमत ₹4,500 लगभग)
- खुला नमक – 525 किलोग्राम (कीमत ₹10,000 लगभग)
- टाटा नमक – 492 किलोग्राम (कीमत ₹15,000 लगभग)
इसके अलावा मौके से भरी और खाली हार्पिक की बोतलें, दंतकांति टूथपेस्ट, फेवीकोल की ट्यूब्स, एवरयूथ ब्रांड की फेस क्रीम और बड़ी मात्रा में रैपर्स भी बरामद किए गए।
पूरे मामले में खाद्य सुरक्षा विभाग ने गोरखपुर के चौरी चौरा निवासी रवि चौरसिया के खिलाफ थाना मसौली में मुकदमा दर्ज कराया है। दुकान को सील कर कानूनी कार्यवाही शुरू कर दी गई है।
प्रेस नोट में लापरवाही: निर्दोष कंपनी का नाम घसीटा, मचा हड़कंप
छापेमारी तक मामला ठीक रहा, लेकिन विवाद तब शुरू हुआ जब FSDA द्वारा जारी प्रेस नोट में “मसौली समृद्धि फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड” का नाम जोड़ दिया गया। यह कंपनी जय गुरुदेव मार्केट में ही किराए पर दो दुकानों लेकर वैधानिक रूप से बीज, खाद और कीटनाशकों का कारोबार करती है।

जब अगले दिन शुक्रवार को यह प्रेस नोट अखबारों और डिजिटल न्यूज़ पोर्टलो में प्रकाशित हुआ, तो कंपनी का नाम खबरों में देखकर कंपनी से जुड़े लोगों और किसानों में हड़कंप मच गया। कंपनी के डायरेक्टर वीरेंद्र कुमार ने कड़ा ऐतराज जताते हुए बताया:
“हमारी कंपनी एक पंजीकृत किसान उत्पादक संस्था है, जो वैधानिक रूप से कृषि उत्पादों के क्रय-विक्रय, भंडारण और विपणन जैसे कार्य करती है। जिले के हजारों किसान हमारी कंपनी से जुड़े हैं। इस तरह की गलत सूचना से कंपनी की साख को गहरा नुकसान पहुंचा है।”
FSDA को भेजा गया शिकायत पत्र, की गई सार्वजनिक सुधार की मांग
कंपनी के निदेशक वीरेंद्र कुमार ने इस भूल सुधार के लिए FSDA के सहायक आयुक्त शैलेन्द्र प्रताप सिंह को लिखित शिकायत दी है और मांग की है कि:
- प्रेस नोट में किए गए नाम संबंधी गलती को तत्काल सुधारा जाए
- मीडिया के माध्यम से सही जानकारी सार्वजनिक की जाए
- कंपनी की छवि पर पड़े दुष्प्रभाव को हटाने के लिए स्पष्टीकरण जारी किया जाए

प्रशासनिक जिम्मेदारी पर सवाल: जब कार्रवाई सही जगह हुई तो नाम गलत कैसे गया?
यह मामला प्रशासनिक पारदर्शिता और जिम्मेदारी पर सवाल खड़े करता है। जब FSDA की टीम ने दुकान पर सटीक छापा मारा, बरामदगी की, मुकदमा दर्ज किया, तो फिर प्रेस नोट में गलत नाम का उल्लेख क्यों हुआ? क्या यह मात्र टाइपिंग मिस्टेक है, या फिर जांच में लापरवाही का संकेत?
इस लापरवाही से न सिर्फ एक पंजीकृत कंपनी की प्रतिष्ठा पर आंच आई है, बल्कि जिले के हजारों किसानों में भी भ्रम और अविश्वास का माहौल बन गया है। हद तो तब हो गई जब इस मामले को लेकर FSDA का पक्ष जानने के लिए हमने जब FSDA के सहायक आयुक्त शैलेन्द्र प्रताप सिंह को फोन लगाया तो उन्होंने कॉल रिसीव करना भी जरूरी नहीं समझा।

निष्कर्ष: कार्रवाई सराहनीय, पर गलत रिपोर्टिंग ने बढ़ाई समस्या
जहां एक ओर FSDA की छापेमारी कार्रवाई मिलावटी और नकली सामान के खिलाफ एक अहम कदम मानी जा सकती है, वहीं प्रेस नोट की गलत सूचना ने पूरी कार्रवाई को संदेह के घेरे में ला खड़ा किया है। प्रशासन को न सिर्फ इस भूल को सुधारना चाहिए, बल्कि भविष्य में सतर्कता बरतने की भी आवश्यकता है, ताकि निर्दोष संस्थाएं और आम जनता अफवाहों और गलत सूचनाओं का शिकार न बनें।
रिपोर्ट – मंसूफ अहमद

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Author: Barabanki Express
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