
मुंबई, महाराष्ट्र।
बॉम्बे हाईकोर्ट (नागपुर बेंच) ने एक महत्वपूर्ण फैसले में यौन उत्पीड़न के एक मामले में 25 वर्षीय व्यक्ति को बरी कर दिया है। यह मामला 2015 का है, जिसमें व्यक्ति पर 17 वर्षीय नाबालिग लड़की को “आई लव यू” कहने और उसका हाथ पकड़ने का आरोप था। निचली अदालत ने उसे POCSO एक्ट और IPC की धारा 354A व 354D के तहत 3 साल की सजा सुनाई थी।
न्यायमूर्ति उर्मिला जोशी-फाल्के ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि केवल “आई लव यू” कहना और एक बार हाथ पकड़ना ‘यौन इरादे’ (sexual intent) को साबित नहीं करता है।
अदालत ने कहा कि ऐसे शब्दों के साथ कोई ऐसा व्यवहार होना चाहिए जो स्पष्ट रूप से यौन उद्देश्यों की ओर संकेत करता हो, लेकिन इस मामले में ऐसा कोई साक्ष्य नहीं पाया गया। न्यायमूर्ति जोशी-फाल्के ने टिप्पणी की कि किसी कार्य को यौन उत्पीड़न मानने के लिए उस कृत्य में स्पष्ट यौन मंशा का होना अनिवार्य है।
इस आधार पर, बॉम्बे हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को रद्द करते हुए आरोपी को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया। यह फैसला यौन उत्पीड़न के मामलों में ‘यौन इरादे’ की परिभाषा और उसके प्रमाण को लेकर एक महत्वपूर्ण न्यायिक व्याख्या प्रदान करता है।
रिपोर्ट – नौमान माजिद
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Author: Barabanki Express
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