बाराबंकी-यूपी।
बाराबंकी जिले के सुबेहा थाने में तैनात एक दरोगा पर दलित महिला से अभद्रता करने, गाली-गलौज करने और उसकी जमीन पर अवैध कब्जा हटवाने के एवज में 50 हजार रुपये की रिश्वत मांगने का संगीन आरोप लगा है। पीड़िता का दावा है कि इस पूरे मामले में एक पूर्व प्रधान की भी मिलीभगत है, जिससे कानून के रखवालों की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
ग्राम गुड़पुरवा की रहने वाली दलित महिला गुड्डा रावत पिछले कई दिनों से अपनी जमीन पर हुए अवैध कब्जे को हटवाने के लिए सुबेहा थाने के चक्कर काट रही हैं। पीड़िता का आरोप है कि शरीफाबाद ग्राम पंचायत के पूर्व प्रधान आर.के. चौधरी ने पुलिस की मिलीभगत से उसकी जमीन पर कब्जा करवा दिया है।
दरोगा सुभाष यादव पर रिश्वत और अभद्रता का आरोप
गुड्डा रावत ने सीधे तौर पर सुबेहा थाने में तैनात दरोगा सुभाष यादव पर आरोप लगाया है। उनके मुताबिक, दरोगा ने उनसे 50 हजार रुपये की मांग की। जब महिला ने पैसे देने में असमर्थता जताई और इनकार किया, तो दरोगा ने उसके साथ गाली-गलौज और अभद्रता की।
विवादों में रहते हैं दरोगा सुभाष यादव, थाने की छवि पर सवाल
रिपोर्ट के अनुसार, हल्का नंबर-1 में तैनात दरोगा सुभाष यादव अक्सर अपनी कार्यशैली को लेकर विवादों में रहते हैं। उन पर पहले भी पैसे मांगने और दबंगों को संरक्षण देने के आरोप लगते रहे हैं, जिससे सुबेहा थाने की छवि लगातार धूमिल हो रही है।
इस घटना ने एक बार फिर यह गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या दलित होना इस लोकतंत्र में अब भी एक अभिशाप है, और क्या बाराबंकी में दलितों को न्याय मिलना मुश्किल हो गया है। पीड़िता के साथ हुई इस कथित अभद्रता और रिश्वतखोरी के आरोपों पर बाराबंकी जिला प्रशासन और पुलिस अधीक्षक अर्पित विजयवर्गीय से तत्काल संज्ञान लेने की अपेक्षा की जा रही है। यदि इस मामले में त्वरित और सख्त कार्रवाई नहीं होती है, तो सुबेहा थाने की पहचान एक बार फिर दलाली और दमन के केंद्र के रूप में स्थापित हो सकती है।
रिपोर्ट – अरविन्द सिंह ‘नायक’

Author: Barabanki Express
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