Barabanki:
बाराबंकी में सूदखोरों का आतंक! खोमचे वाले से लेकर कारोबारी तक सब बने शिकार। हर्ष टंडन और नीरज जैन की आत्महत्याओं ने खोली सूदखोरी की पोल। पुलिस की धीमी कार्रवाई पर उठा सवाल, प्रशासन की चुप्पी पर आक्रोश।

बाराबंकी, उत्तर प्रदेश
बाराबंकी ज़िले में सूदखोरी का जाल इस कदर फैल चुका है कि आज कोई वर्ग इससे अछूता नहीं रहा। चाहे खोमचे पर बैठा गरीब दुकानदार हो या फिर शहर के बीचोंबीच कपड़ों का बड़ा व्यापारी — सूदखोरों के शिकंजे में फँसकर सबकी ज़िंदगी तबाह हो रही है।
सूदखोर मोटे ब्याज दरों पर पैसा देते हैं — 10 प्रतिशत प्रति माह या उससे भी ज़्यादा ब्याज पर। वसूली के लिए इनके अपने गैंग और गुर्गे हैं, जो ज़रूरत पड़ने पर धमकी, मारपीट और मानसिक प्रताड़ना तक पहुँच जाते हैं।
सूत्रों के मुताबिक, ये सूदखोर अपने घरों या ऑफिस में बुलाकर गुर्गों से लोगों की लाठी-डंडों से पिटाई तक करवाते हैं, ताकि बाकी लोग डर में रहें।
कई मामलों में ये सूदखोर मजबूरी का फायदा उठाकर खाली स्टाम्प पेपर, चेक और प्रॉपर्टी डॉक्युमेंट्स पर जबरन हस्ताक्षर या अंगूठे के निशान तक ले लेते हैं।
कहा जा रहा है कि अगर पुलिस अपने खुफिया नेटवर्क को सक्रिय करे तो कई सूदखोरों के यहाँ से सैकड़ों गरीबों के मकान, दुकान और वाहन के कागजात बरामद हो सकते हैं।
पूरे शहर में फैला सूदखोरी का नेटवर्क
बाराबंकी शहर के पीरबटावन, घंटाघर, बेगमगंज, रेलवे स्टेशन चौराहा, धनोखर, नाका सतरिख, नाका पैसार, लखपेड़ाबाग और आवास विकास कॉलोनी में सूदखोरों ने लंबा-चौड़ा नेटवर्क बना रखा है।
ये सूदखोर अपने मुखबिरों के जरिए उधारी लेने वालों की पूरी जानकारी पहले ही निकाल लेते हैं। अगर कोई जानकार या प्रभावशाली व्यक्ति का करीबी निकल आता है तो उसे पैसा देने से मना कर देते हैं। लेकिन जो कमज़ोर या गरीब दिखे, उसे अपने जाल में फँसाने में देर नहीं लगाते।
ग्राहक लाने वालों को जहां मोटा कमीशन दिया जाता है। वही अगर कोई व्यक्ति समय पर ब्याज नहीं दे पाता, तो सूदखोर अपने गुर्गों से उसकी सार्वजनिक पिटाई, गाली-गलौज और अपमान तक कराते हैं। कई बार लोगों के परिवार तक को धमकाया जाता है।
हर्ष टंडन से नीरज जैन तक — सूदखोरी ने ली दो व्यापारियों की जान
पिछले वर्ष व्यापारी नेता हर्ष टंडन ने सूदखोरों के जाल में फँसकर आत्महत्या कर ली थी। लोग उस दर्दनाक घटना को अभी भूल भी नहीं पाए थे कि शहर के मशहूर कल्पना साड़ी सेंटर के मालिक पवन उर्फ डब्बू जैन के छोटे भाई नीरज जैन ने भी इसी कारण अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली।

नीरज जैन ने लाइसेंसी रिवॉल्वर से खुद को गोली मार ली।
घटना के बाद पुलिस को तीन पन्नों का सुसाइड नोट और 15 मिनट की एक ऑडियो क्लिप मिली, जिसमें कथित सूदखोर बाप-बेटे उन्हें लगातार धमका रहे थे, गालियाँ दे रहे थे और आत्महत्या के लिए उकसा रहे थे।
सुसाइड नोट में लिखा था — “अब और बर्दाश्त नहीं कर सकता। व्यापार में घाटा, धमकियाँ, गालियाँ और सार्वजनिक अपमान ने मेरी ज़िंदगी नर्क बना दी। सूदखोरों ने धोखाधड़ी कर मेरी दुकान का एग्रीमेंट भी करा लिया।”
ऑडियो क्लिप में नीरज की मां से लेकर पत्नी तक को अपशब्द कहे गए। अपमान और मानसिक प्रताड़ना के बीच आखिरकार नीरज टूट गए और मौत को गले लगा लिया।
पुलिस की कार्रवाई पर उठे सवाल
मृतक के भाई धीरज जैन की तहरीर पर कोतवाली नगर पुलिस ने उमाकांत उपाध्याय, सत्येंद्र उपाध्याय उर्फ बबलू, रंजीत बलराम सिंह (साड़ी वाले), अमरीश रस्तोगी (बस अड्डा वाले), वीर बहादुर, रंजीत शुक्ला और शुभम वर्मा के खिलाफ मुकदमा तो दर्ज किया। लेकिन अब तक किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
शहर में यह चर्चा तेज़ है कि प्रशासन ने आरोपियों को अग्रिम ज़मानत (anticipatory bail) दाखिल करने के लिए समय देने के उद्देश्य से कार्रवाई में देरी की। बताया जा रहा है कि आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई की तारीख 27 अक्टूबर 2025 लगी है।
स्थानीय लोगों सोशल मीडिया पर खुलेआम आरोप लगा रहे है कि “सुसाइड नोट और ऑडियो क्लिप जैसे महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों को नज़रअंदाज़ कर पुलिस प्रशासन सूदखोरों को बचा रहा है, ताकि वे आराम से घर पर दीपावली मना सकें और मामले को मैनेज कर सकें।”
कमज़ोरों को फँसाने की सोची-समझी साज़िश
सूदखोर आम तौर पर अशिक्षित, मज़दूर, ठेले वाले और छोटे दुकानदारों को निशाना बनाते हैं। पहले उन्हें लालच दिया जाता है — “पैसा लो और व्यापार बढ़ाओ”, फिर ब्याज के जाल में फँसाकर उन्हें बर्बाद कर दिया जाता है।
अगर कोई ब्याज नहीं चुका पाता, तो सूदखोर उसके घर, दुकान या गाड़ी तक जब्त कर लेते हैं।
इनमें से कई सूदखोर खुद को ‘पाक-साफ’ दिखाने के लिए सफेद कुर्ता-पायजामा पहनकर नेताओं के आसपास घूमते हैं, ताकि उनकी छवि “समाजसेवी” जैसी दिखे। लेकिन हकीकत यह है कि गरीबों के खून-पसीने से इन्होंने अकूत संपत्ति खड़ी कर ली है।
जनता का सवाल — प्रशासन कब जागेगा?
व्यापारियों में अब खौफ़ है। लोग कह रहे हैं कि अगर हर्ष टंडन की मौत के बाद सूदखोरों का साम्राज्य ध्वस्त करने की सख्त कार्रवाई हुई होती, तो नीरज जैन की जान बच सकती थी।
अब जनता की माँग है कि सूदखोरी में लिप्त लोगों की संपत्ति जब्त की जाए, और सूदखोरों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई हो।
रिपोर्ट – कामरान अल्वी
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Author: Barabanki Express
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