Barabanki:
महादेवा महोत्सव के सांस्कृतिक मंच पर अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक रामायणम फाउंडेशन के संस्थापक प्रयागराज की धरती से आए शांतनु महाराज ने एक से बढ़कर एक सुंदर भजनों एवं प्रवचन की शानदार प्रस्तुती देकर श्रोताओं को झूमने पर विवश कर दिया।

बाराबंकी, उत्तर प्रदेश।
महादेवा महोत्सव के सांस्कृतिक मंच पर अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक रामायणम फाउंडेशन के संस्थापक प्रयागराज की धरती से आए शांतनु महाराज ने एक से बढ़कर एक सुंदर भजनों एवं प्रवचन की शानदार प्रस्तुती देकर श्रोताओं को झूमने पर विवश कर दिया। उन्होंने सर्वप्रथम आदि देव महादेव के आराध्य श्री राम की स्तुति श्री राम जय राम, जय जय राम से श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया।
इसके बाद शिव भजन कैलाश के निवासी नमो बार-बार हो व सज रहे भोले बाबा निराले, निराले दूल्हे में निराले दूल्हे में, की प्रस्तुती से पूरा माहौल भक्तिमय बना दिया। दीवाना तेरा आया बाबा तेरी नगरी में सुनाया तो दर्शक झूमने लगे। इसके बाद उन्होंने अपनी प्रसिद्ध रचना राम भजन जिन्हें दाम प्यारे उन्हें दाम दे दो मुझे राम प्यारे मुझे राम दे दो की शानदार प्रस्तुति देकर खूब तालियां बटोरी।
शौर्य गाथा सुनाते हुए शांतनु महाराज ने कहा कि भारत विश्व मे अपनी कला, संस्कृत, शौर्य, ज्ञान व विज्ञान के बल पर विश्व गुरु था। जो हमेशा समस्त जगत में स्थापित रहेगा क्योंकि भारत की पावन धरा पर श्री राम भगवान, कृष्ण आदि देवी देवता अवतरित हुए। जिन्होंने अत्याचारी राक्षसों का वध कर राम आजाद की स्थापना की गई।
उन्होंने आदि, अनंत, अजन्मे शिव की महिमा का बखान करते हुए प्रवचन के माध्यम से श्रोताओं को बताया कि शिव निराकार हैं। जिनका कोई आकार नहीं है। रसगध से विहीन है जो कालों के काल महाकाल और अपने भक्तों के द्वारा मांगे जाने पर अपना सर्वस्व निछावर कर देते हैं। जिसका जीता जागता उदाहरण लंका नरेश रावण के मांगने पर स्वर्णमयी लंका को दान देकर स्वयं कैलाश वासी हो गए।
सहयोगी गायक सर्वेश तिवारी, अंकित पाठक, शुभम सिंह ने स्वर से स्वर मिलाया। तबला वादक आदित्य, वायलिन ललित डोगरे, बैंजो नवीन शर्मा, पैड पर कुलदीप की उंगलियां की हरताल से शिव महिमा का बखान हो रहा था। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एमएलसी अंगद सिंह ने शांतनु महाराज को प्रशस्ति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर तहसीलदार विपुल कुमार सिंह, नायब तहसीलदार विजय प्रकाश तिवारी आदि तमाम लोग उपस्थित रहे।
भारतीय संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए ठुकराई विदेश की नौकरी
कथावाचक शांतनु महाराज ने भारत की संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए 2012 में विदेश में नौकरी का ऑफर ठुकरा दिया और राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भक्ति रस की गंगा बहाई। गौरक्षपीठ पर आयोजित कथा के दौरान प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ भी उन्हें सम्मानित कर चुके हैं।
रिपोर्ट – निरंकार त्रिवेदी
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Author: Barabanki Express
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