Barabanki: करोड़ो की सरकारी ज़मीन पर हीरो एजेंसी की अवैध बिल्डिंग — हाईकोर्ट और योगी सरकार के आदेशों की खुली अवहेलना; सवालों के घेरे में अधिकारियों की भूमिका

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बाराबंकी में सरकारी ज़मीन पर बनी हीरो एजेंसी की अवैध बिल्डिंग पर प्रशासन चुप। हाईकोर्ट और योगी सरकार के आदेशों की खुली अवहेलना, भू-माफिया पर गंभीर आरोप। जानें पूरी रिपोर्ट।

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बाराबंकी, उत्तर प्रदेश। 

प्रदेश में सरकारी ज़मीनो से अवैध अतिक्रमण हटाने और अवैध रूप से बनी इमारतो को लेकर जहां हाई कोर्ट से लेकर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार तक सख्त कार्रवाई के निर्देश दे रही है, वहीं राजधानी लखनऊ से महज़ 28 किलोमीटर दूर बाराबंकी ज़िले में तैनात कुछ चर्चित अधिकारी इन निर्देशों की सरेआम अनदेखी करते हुए भू माफियाओ को संरक्षण देते नजर आ रहे हैं।

मामला लखनऊ-अयोध्या हाईवे पर दशकों से खड़ी हीरो एजेंसी की अवैध बिल्डिंग का है। बिना नक्शा पास कराए बनाई गई इस इमारत को अवैध घोषित करते हुए इसे गिराने के लिए प्रशासन ने 30 दिनों की समय-सीमा दी थी, जिसे बीते हुए भी कई महीने बीत चुके है, लेकिन अब तक एजेंसी मालिक द्वारा न तो निर्माण हटाया गया और न ही प्रशासन ने कोई कार्रवाई की।

 

प्रशासन की चुप्पी और समय सीमा का उल्लंघन

25 जुलाई 2025 को प्रशासन द्वारा जारी नोटिस में अवैध निर्माण हटाने के लिए 30 दिनों का समय दिया गया था। लेकिन तीन महीने से अधिक बीतने के बाद भी न तो अवैध निर्माण हटा, और न ही किसी अधिकारी ने मौके पर कार्रवाई की।

Barabanki: सरकारी ज़मीन पर भू माफिया की अवैध बिल्डिंग — हाईकोर्ट और योगी सरकार के आदेशों की खुली अवहेलना, सवालों के घेरे में अधिकारियों की भूमिका

इससे जनता में यह सवाल उठ रहा है कि क्या प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत के बिना इतना बड़ा अतिक्रमण लंबे समय तक संभव है?

 

सोशल एक्टिविस्ट और अधिवक्ता ने खोला बड़ा राज

स्थानीय लोगों और सोशल एक्टिविस्टों में इस मामले को लेकर चर्चाओं का बाज़ार गर्म है। इसी बीच सिविल लाइंस निवासी सोशल एक्टिविस्ट और हाईकोर्ट के अधिवक्ता द्वारा तहसीलदार नवाबगंज को दिए गए एक शिकायती पत्र में अवैध बिल्डिंग से जुड़ा सनसनी खेज खुलासा होने से हड़कंप मच गया है। शिकायतकर्ता का दवा है कि हीरो एजेंसी की अवैध बिल्डिंग सरकारी ज़मीन पर बनी हुई है।

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शिकायत में लगाए गए गंभीर आरोप

शिकायत के अनुसार, मोहम्मद उमर वारसी उर्फ भैय्यू पिछले कई वर्षों से ग्राम बड़ेल अंदर सीमा स्थित नॉन-ज़ेड.ए. भूमि गाटा संख्या 445 मिन को अवैध रूप से कब्जा कर “बाराबंकी ऑटो सेल्स एंड सर्विसेज़” नाम से अपना व्यवसाय चला रहे हैं।

यह भूमि राज्य सरकार की संपत्ति (बंजर भूमि) के रूप में दर्ज है, जिसका क्षेत्रफल लगभग 0.098 हेक्टेयर (10548.63 वर्ग फीट) है।

प्रशासन द्वारा 25 जुलाई 2025 को जारी नोटिस में अवैध निर्माण हटाने के लिए 30 दिनों का समय दिया गया था, लेकिन अब तक उसका पालन नहीं हुआ।

 

भू-माफिया पर गंभीर आरोप

इसके अलावा शिकायत में यह भी कहा गया है कि मोहम्मद उमर वारसी एक पेशेवर भू-माफिया हैं, जिसने बाराबंकी ज़िले में कई सरकारी ज़मीन और शत्रु संपत्तियां (Enemy Property) अवैध रूप से कब्जा की हैं। ग्राम समाज की भूमि पर कब्जे के संबंध में उसके विरुद्ध ग्राम प्रधान द्वारा थाना सतरिख में एफआईआर भी दर्ज कराई गई है।

हाईकोर्ट के आदेशों का भी हवाला

शिकायत पत्र में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जनहित याचिका संख्या 2923/2025 के आदेश का भी उल्लेख किया गया है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि —  यदि किसी व्यक्ति ने सरकारी या सार्वजनिक भूमि पर अवैध कब्जा किया है, तो संबंधित अधिकारी का कर्तव्य है कि वह इसकी सूचना उच्चाधिकारियों को दे और अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करे।

यदि अधिकारी ऐसा नहीं करते हैं, तो उन्हें “सह-अभियुक्त (Abettor)” माना जाएगा और आपराधिक विश्वासभंग (Criminal Breach of Trust) के तहत कार्यवाही हो सकती है।

जनता में गुस्सा और सरकार की साख पर असर

बाराबंकी प्रशासन ने इस मामले में अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया, जिससे सरकार की ज़ीरो टॉलरेंस नीति पर सवाल उठने लगे हैं।

स्थानीय नागरिकों और समाजसेवियों का कहना है कि यदि इतने स्पष्ट प्रमाणों के बावजूद भी कार्रवाई नहीं होती है, तो यह प्रदेश में भ्रष्टाचार और अधिकारियों की मिलीभगत का बड़ा उदाहरण है।
लोगों का मानना है कि यदि इस तरह के मामलों पर तुरंत कार्रवाई न हुई, तो सीएम योगी की छवि और उनकी ज़ीरो टॉलरेंस नीति पर असर पड़ सकता है।

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निष्कर्ष

बाराबंकी की यह घटना सिर्फ एक अवैध निर्माण का मामला नहीं है, बल्कि यह सवाल उठाती है कि क्या सरकार के सख्त आदेश ज़मीनी स्तर पर लागू भी हो रहे हैं या नहीं?

यदि प्रशासनिक लापरवाही यूं ही जारी रही, तो यह मामला राज्य सरकार की साख और न्यायिक व्यवस्था दोनों के लिए गंभीर चुनौती बन सकता है।


रिपोर्ट – कामरान अल्वी 

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Barabanki Express
Author: Barabanki Express

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