Barabanki: जिला अस्पताल के डॉक्टर का गज़ब कारनामा, ऑपरेशन के दौरान महिला के पेट में छोड़ दी पट्टी – मौत के मुंह में जाने से बाल-बाल बची महिला 

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बाराबंकी जिला अस्पताल के सर्जन पर लापरवाही का गंभीर आरोप। महिला के ऑपरेशन के दौरान पेट में पट्टी छोड़ दी गई, जिससे जान पर बन आई। पति ने डॉक्टर के खिलाफ शराब पीकर ऑपरेशन करने और पैसे लेने के आरोप लगाए, कार्रवाई की मांग की।

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बाराबंकी, उत्तर प्रदेश।

बदहाल व्यवस्था और लापरवाह डॉक्टरों के लिए बदनाम बाराबंकी जिला अस्पताल एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार मामला इतना चौंकाने वाला है कि सुनने वालों के भी होश उड़ गए। आरोप है कि अस्पताल के एक सर्जन ने महिला मरीज के ऑपरेशन के दौरान पेट के अंदर पट्टी छोड़ दी, जिससे उसकी जान पर बन आई।

मामला बदोसराय थाना क्षेत्र के ग्राम अमनियापुर निवासी दिलीप कुमार वर्मा की पत्नी प्रीति वर्मा से जुड़ा है। पीड़ित ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) बाराबंकी को दिए शिकायती पत्र में जिला अस्पताल के सर्जन डॉ. एस. बी. सिंह पर गंभीर लापरवाही और नशे में ऑपरेशन करने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं।

 

क्या है पूरा मामला

दिलीप कुमार ने बताया कि करीब 5 महीने पहले उनकी पत्नी प्रीति वर्मा को अचानक पेट में तेज़ दर्द हुआ। इलाज के लिए वे जिला अस्पताल बाराबंकी पहुंचे, जहाँ डॉ. एस. बी. सिंह (सर्जन) ने जांच के बाद बताया कि “बच्चेदानी में गांठ है” और तत्काल ऑपरेशन करना पड़ेगा।

सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद 17 जून 2025 को महिला को भर्ती किया गया और 18 जून 2025 को ऑपरेशन हुआ। डॉक्टर ने 4–5 दिन तक अपनी देखरेख में रखा और 23 जून 2025 को “पूर्ण रूप से स्वस्थ” बताकर डिस्चार्ज कर दिया।

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लेकिन ऑपरेशन के करीब 15–20 दिन बाद महिला की हालत बिगड़ने लगी। ऑपरेशन वाली जगह से पानी का रिसाव शुरू हुआ। जब दिलीप अपनी पत्नी को लेकर फिर अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टर ने दवाइयां देकर कहा — “सब ठीक हो जाएगा।” लेकिन कुछ दिन बाद खून और मवाद का रिसाव शुरू हो गया।

 

शिकायतकर्ता का आरोप: डॉक्टर ने बार-बार नजरअंदाज की शिकायत

दिलीप का कहना है कि उन्होंने बार-बार अल्ट्रासाउंड करवाकर दिखाया, मगर डॉक्टर एस.बी. सिंह हर बार यही कहते रहे — “ऐसा ऑपरेशन के बाद हो जाता है, ठीक हो जाएगा।”

स्थिति लगातार बिगड़ती रही, और 8 अक्टूबर 2025 को प्रीति को तेज़ दर्द शुरू हो गया। परिवार की मजबूरियों के कारण वे तत्काल अस्पताल नहीं पहुंच सके और वही पुरानी दवाइयां देते रहे।

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लेकिन हालात और बिगड़ गए। 22 अक्टूबर 2025 को जब प्रीति की हालत गंभीर हो गई, तो दिलीप उसे लेकर पटेल मेडिकल सेंटर, बाराबंकी पहुंचे। वहाँ मौजूद महिला डॉक्टर प्रिया सिंह ने जांच की तो हैरान रह गईं। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन के दौरान मरीज के पेट में पट्टी का गुल्ला छोड़ दिया गया जो अब पेशाब की नली में फंस गया है।

अगर उसे तुरंत न निकाला गया तो महिला की जान जा सकती है। डॉक्टर प्रिया तुरंत मरीज़ को ओटी में ले गई और काफी प्रयास के बाद बिना ऑपरेशन के ही पेशाब के रास्ते से एक पट्टी का बंडल बाहर निकाला, जो कथित रूप से डॉ. एस. बी. सिंह द्वारा ऑपरेशन के दौरान पेट में छोड़ दिया गया था।

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डॉक्टर पर शराब पीकर ऑपरेशन करने का आरोप

पीड़ित ने अपने पत्र में यह भी आरोप लगाया कि डॉ. एस. बी. सिंह शराबी प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं, जो अक्सर ड्यूटी पर नशे की हालत में रहते हैं और ऑपरेशन करते समय भी शराब का सेवन करते हैं। दिलीप ने कहा कि यह घोर लापरवाही और “मेडिकल क्राइम” की श्रेणी में आता है, जिससे उनकी पत्नी की जान खतरे में पड़ गई।

उन्होंने बताया कि अस्पताल परिसर में डॉक्टर के कुछ कथित दलाल सक्रिय हैं, जो मरीजों के परिजनों को डॉ. सिंह से ऑपरेशन कराने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। इन दलालों में एक अजय नाम का युवक शामिल है, जो हर समय डॉक्टर के साथ रहता है और कथित रूप से पैसे की वसूली करता है।

 

सीएमओ और प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग

पीड़ित ने मुख्य चिकित्साधिकारी बाराबंकी, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, जिलाधिकारी बाराबंकी, स्टेट मेडिकल काउंसिल उत्तर प्रदेश और इंडियन मेडिकल काउंसिल नई दिल्ली से मांग की है कि मामले का स्वतः संज्ञान लिया जाए और
डॉ. एस. बी. सिंह के खिलाफ सेवा से बर्खास्तगी, प्रैक्टिस लाइसेंस निरस्तीकरण और आपराधिक मुकदमा दर्ज करने की कार्रवाई की जाए।

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बाराबंकी जिला अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति और प्रणालीगत भ्रष्टाचार पर बड़ा सवाल खड़े करने वाले इस मामले को लेकर जब जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ जय प्रकाश मौर्या से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि मामला उनके संज्ञान में है लेकिन उन्हें लिखित में कोई शिकायत नहीं मिली है। 

सीएमओ ने शिकायती पत्र लेने से किया इंकार 

पीड़ित का आरोप है कि मामले की शिकायत लेकर वो लगातार दो दिनों तक सीएमओ कार्यालय के चक्कर काटता रहा लेकिन सीएमओ ने उसका शिकायती पत्र हो लेने से इंकार कर दिया। जिसके बाद शनिवार को पीड़ित ने जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी से मिलकर मामले में कार्रवाई की मांग की है।


रिपोर्ट – मंसूफ अहमद / उस्मान 

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Author: Barabanki Express

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