Barabanki:
बाराबंकी में भू माफिया बाबा पठान पर दर्जनभर मुकदमे के बावजूद पुलिस और प्रशासन हाथ तक नहीं लगा पा रहे। वहीं अवैध कॉम्प्लेक्स और यूनिवर्सिटी कब्ज़ों पर भी ढिलाई से जनता में आक्रोश। ज़ीरो टॉलरेंस या सेलेक्टिव टॉलरेंस? पूरी खबर पढ़ें।

बाराबंकी, उत्तर प्रदेश।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सदन में बार-बार माफियाओं को “मिट्टी में मिला देने” की बात कहते हैं। लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। राजधानी लखनऊ से महज़ 20 किलोमीटर दूर बाराबंकी में हालात यह हैं कि भू माफिया सरकारी ज़मीन को अपनी बपौती समझकर बेच रहे हैं, और जिला प्रशासन हाथ पर हाथ धरे तमाशा देख रहा है।
बेख़ौफ़ भू माफिया दे रहा ग्राम प्रधान को धमकियां
नवाबगंज तहसील की ग्राम पंचायत खसपरिया में गाटा संख्या 1844 (राजस्व अभिलेखों में बंजर/जंगल) पर एचएम ग्रीन सिटी के एमडी और कुख्यात भू माफिया बाबा पठान उर्फ अबूबकर ने अवैध कब्ज़ा जमा रखा है।

ग्राम प्रधान दिलीप कुमार महीनों से अफसरों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन जवाब में सिर्फ आश्वासन और धमकियां मिल रही हैं। प्रधान का आरोप है कि बाबा पठान और उसका साथी हफीजउल्ला इस जमीन को लगातार बेच रहे हैं और विरोध करने पर जान से मारने की धमकी तक दी जा रही है।

दर्जनभर मुकदमे और पुलिस प्रशासन की कार्रवाई ठप्प
बाबा पठान और उसके पार्टनर पर सरकारी ज़मीन कब्ज़ाने के करीब दर्जनभर मुकदमे नगर कोतवाली में दर्ज हो चुके है। पूर्व ज़िलाधिकारी सत्येन्द्र कुमार के समय इसे भू माफिया घोषित करने और गैंगस्टर चार्ट खोलने की प्रक्रिया भी शुरू हुई थी।

फिर न जाने क्या चमत्कार हुआ कि बुलेट ट्रेन की स्पीड से बढ़ रही कार्यवाही की रफ़्तार पर अचानक ब्रेक लग गए और अंततः फाइलों पर ऐसी धूल जमी कि अधिकारियों को इसकी फाइल दिखना ही बंद हो गई।
सवाल यही है कि –
एक-दो मामूली मुकदमों पर पत्रकारों और आम लोगों की हिस्ट्रीशीट खोलने और गैंगस्टर लगाने वाली पुलिस आज तक बाबा पठान को छूने तक की हिम्मत नहीं जुटा सकी।
बाबा पठान पर पुलिस की इतनी मेहरबानी लोगो के हलक से नीचे नहीं उतर रही है। लोग पूछ रहे हैं – क्या पुलिस प्रशासन का “ज़ीरो टॉलरेंस” सिर्फ गरीबों और कमजोरों के लिए है?
भैय्यू वारसी की अवैध हीरो एजेंसी– प्रशासन की नाकामी की दूसरी मिसाल
सिविल लाइंस स्थित ग्राम बड़ेल की गाटा संख्या 445 पर शहर का एक और रसूखदार मोहम्मद उमर वारसी उर्फ भैय्यू दो दशक से बिना मानचित्र स्वीकृत कराए विशाल कॉम्प्लेक्स बनाकर हीरो एजेंसी चला रहा है।

विनियमित क्षेत्र के अवर अभियंता की रिपोर्ट पर उप जिला मजिस्ट्रेट आनंद तिवारी ने वाद संख्या 76/2025 अंतर्गत धारा 10 आरबीओ एक्ट 1958 के तहत बीती 25 जुलाई 2025 को एजेंसी मालिक को 30 दिनों के भीतर उक्त अवैध कॉम्प्लेक्स को हटाने के निर्देश दिए गए थे।
अवैध निर्माण न हटाने पर तहसील प्रशासन द्वारा नियमानुसार ध्वस्तीकरण की कार्यवाही करने और उसपर आने वाले खर्च को भू राजस्व बकाया की भांति वसूले जाने की चेतावनी भी दी गई थी।
लेकिन 30 दिन की डेड लाइन गुज़र जाने के बाद भी न तो एजेंसी मालिक ने अवैध निर्माण हटाया और न ही प्रशासन ने बुलडोज़र चलाया। सवाल यह है – क्या प्रशासन का बुलडोज़र भी रसूख देखकर चालू होता है ?
17 साल से यूनिवर्सिटी का अवैध कब्ज़ा, अचानक जागा प्रशासन
देवा-चिनहट रोड स्थित श्री रामस्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी पर तालाब, चकमार्ग और नाली की ज़मीन पर 17 साल से कब्ज़ा है। पूर्व प्रधानों से लेकर वर्तमान ग्राम प्रधान और किसान संगठन इसकी शिकायत करते रहे, लेकिन प्रशासन के कानों पर जूं तक न रेंगी।

लेकिन 3 सितम्बर को एबीवीपी कार्यकर्ताओं पर पुलिस द्वारा बर्बरता पूर्वक लाठियां भांजी जाने के बाद जैसे ही ABVP कार्यकर्ताओं ने सरकार के खिलाफ प्रदेश व्यापी प्रदर्शन शुरू किया, प्रशासन अचानक जागा और बुलडोज़र लेकर अवैध कब्ज़ा हटवाने पहुंच गया। लोग पूछ रहे हैं – क्या अवैध कब्ज़े तभी हटेंगे जब सत्ताधारी दल के छात्र संगठन सड़कों पर उतरेंगे?

जनता का कटाक्ष – “ज़ीरो टॉलरेंस या सेलेक्टिव टॉलरेंस?”
ज़िले में ऐसे सैकड़ों मामले हैं जहां भू माफिया सरकारी ज़मीन पर डाका डालकर करोड़ों कमा रहे हैं। लेकिन प्रशासन रसूखदारों पर कार्रवाई से बचता है।
जनता तंज कस रही है –
👉 गरीब और आम जनता पर तो बुलडोज़र पलभर में चल जाता है, लेकिन रसूखदारों के आगे प्रशासन घुटनों पर बैठ जाता है।
👉 दर्जनभर मुकदमों वाला भू माफिया आज़ाद घूम रहा है और जमीनें बेच रहा है, लेकिन पत्रकारों और विरोधियों पर एक मुकदमा दर्ज होते ही पुलिस हिस्ट्रीशीट खोल देती है।
ज़िला प्रशासन की सेलेक्टिव कार्रवाई पर उठे सवाल
बाराबंकी का हाल बताता है कि “ज़ीरो टॉलरेंस” का नारा सिर्फ मंचों और सदन तक सीमित है। ज़मीन पर प्रशासन की कार्यप्रणाली से साफ़ है कि यहां ज़ीरो टॉलरेंस नहीं, बल्कि सेलेक्टिव टॉलरेंस लागू है – और वो भी सिर्फ रसूखदारों के लिए।
रिपोर्ट – कामरान अल्वी
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Author: Barabanki Express
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