UP News:  35 लाख का लोन पास कराने बैंक पहुंची ‘जज’ साहिबा — कागज़ देख ठनका बैंक मैनेजर का माथा, फिर एक फोन कॉल और….

UP News:  35 लाख का लोन पास कराने बैंक पहुंची ‘जज’ साहिबा — कागज़ देख ठनका बैंक मैनेजर का माथा, फिर एक फोन कॉल और....

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बिजनौर में फर्जी जज का खुलासा: देहरादून LLB वाली आयशा परवीन और अनस ने फर्जी कागजात से HDFC बैंक में ₹35 लाख लोन मांगा; दोनों गिरफ्तार, बरामदियाँ हुईं।

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बिजनौर, उत्तर प्रदेश।

कल तक जगह-जगह जज बनकर अपना रौब दिखाती घूमने वाली आयशा परवीन अब सलाखों के पीछे पहुंच चुकी है। मुज़फ़्फरनगर के चरथावल इलाके की रहने वाली आयशा ने देहरादून से LLB की पढ़ाई की — लेकिन वकालत न कर, बिना किसी वैध पद के खुद को न्यायिक अधिकारी बताकर लोगों को ठगने का साज़िश रची। उसका इस फर्जीवाड़े में साथ देने वाला एक अन्य शख्स अनस भी पकड़ा गया है।

पुलिस के अनुसार ये दोनों तब रंगे हाथ पकड़े गए जब आयशा ने बिजनौर-शहर कोतवाली सिविल लाइन स्थित HDFC बैंक में ₹35 लाख का लोन फर्जी कागजात दिखाकर लेने की कोशिश की —  बैंक मैनेजर को कागजात पर शक़ हुआ तो उसने साइबर पुलिस को सूचना दी।

 

बैंक मैनेजर की सतर्कता से हुआ जालसाज़ी का पर्दाफाश

बैंक के सिविल लाइन ब्राँच में लोन फाइल करने के दौरान मैनेजर ने कागजात पर अनियमितता देखी और साइबर थाने को सूचना दी। साइबर टीम व स्थानीय पुलिस ने तुरंत पहुंच कर दोनों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया। पूछताछ में पता चला कि आयशा और अनस ने फर्जी आधार कार्ड, फर्जी पहचान पत्र (आई-कार्ड) बनवाए थे और आयशा की गाड़ी पर भी न्यायधीश की नेमप्लेट लगी थी — जिससे वह सार्वजनिक रूप से खुद को जज के रूप में पेश करती रही।

पुलिस ने दोनों के कब्जे से जब्त किए गए आइटम:

  • न्यायाधीश की नेमप्लेट लगी 1 कार
  • 3 मोबाइल फोन
  • फर्जी आधार कार्ड व फर्जी पहचान पत्र
  • अन्य संबंधित दस्तावेज व कागजात
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पुलिस की कार्रवाई और जांच-प्रक्रिया जारी

एएसपी कृष्ण गोपाल सिंह ने बताया कि दोनों से गहनता से पूछताछ कर यह पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि उन्होंने इससे पहले और किन-किन ठगियों में हिस्सा लिया है। उन्होंने कहा: “प्रारम्भिक पूछताछ में कई संदिग्ध पहलू मिल रहे हैं। साइबर साक्ष्यों व बैंक रेकॉर्ड के आधार पर आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”

 

पुलिस ने कहा कि यदि जांच में अन्य फर्जीवाड़ों के प्रमाण मिलते हैं तो संबंधित पीड़ितों से तहरीर लेकर मुक़दमे दर्ज किए जाएंगे।

 

फर्जी पद का उपयोग — कैसे हो रही थी ठगी?

पुलिस के मुताबिक आयशा ने:

  • फर्जी आई-कार्ड व आधार कार्ड बनवाकर खुद को न्यायिक अधिकारी बताया,
  • सार्वजनिक रूप से ‘जज’ की नेमप्लेट लगाकर लोगों व संस्थानों में भरोसा पैदा किया,
  • बैंक तथा अन्य स्थानों पर इस परिचय का दुरुपयोग करते हुए षड्यंत्र रचा — जिस पर अब पुलिस और साइबर टीम स्पष्टता लाएगी।

 

विशेष तौर पर बैंक लोन जैसी वित्तीय प्रक्रिया में कागजों की सत्यता बहुत मायने रखती है — यही कारण है कि बैंक मैनेजर की सतर्कता से बड़ा घोटाला टला और आरोपी पकड़े गए।


रिपोर्ट – नौमान माजिद 

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Author: Barabanki Express

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