Barabanki: कागज़ों में सिमटा कानून, अजगर के साथ ‘शिवतांडव’ करने वाले युवक पर कार्रवाई का साहस नहीं जुटा सका वन विभाग और जिला प्रशासन

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बाराबंकी में अजगर के साथ शिवतांडव करने वाले युवक का वीडियो वायरल। वन्यजीव संरक्षण कानून के उल्लंघन के बावजूद वन विभाग और जिला प्रशासन की खामोशी पर उठे सवाल। आठ दिन बीतने के बाद भी कार्रवाई नहीं।

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बाराबंकी (उत्तर प्रदेश)।

नवरात्रि के दौरान दुर्गा पूजा पंडालों में जहां धार्मिक आस्था और भक्ति का माहौल था, वहीं बाराबंकी जिले में एक ऐसा वीडियो सामने आया जिसने प्रशासन की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

ज़िले के बड्डूपुर थाना क्षेत्र के खंता गांव स्थित दुर्गा पूजा पंडाल से वायरल हुए वीडियो में एक युवक भगवान शिव की भूमिका में अजगर लपेटकर ‘शिवतांडव’ करता नज़र आ रहा है।

 

अजगर के साथ ‘शिवतांडव’ — हर पल हो सकता था हादसा

वीडियो में युवक अपने गले और हाथों में करीब सात फीट लंबा अजगर लपेटे हुए दिखाई दे रहा है। वह झूमते हुए डांस करता है, यहां तक कि कई बार वह अजगर का मुंह अपने मुंह में डालने की कोशिश भी करता है।

स्थानीय लोगों के लिए यह दृश्य भले ही आकर्षण का केंद्र था, लेकिन यह किसी भी क्षण जानलेवा हादसे में बदल सकता था।
ग्रामीणों ने बताया कि अगर अजगर अचानक भीड़ में फिसल जाता तो वहां भगदड़ मच जाती और किसी की जान भी जा सकती थी।

युवक ने पाल रखा है अजगर

जानकारी के मुताबिक, युवक इस अजगर को अपने घर पर पालता है और झांकी या धार्मिक आयोजनों में इसका इस्तेमाल करतब दिखाने के लिए करता है।

पूजा समिति के अध्यक्ष नरेंद्र कुमार ने बताया कि युवक “कानपुर के आसपास” का रहने वाला है और वह हर साल इस तरह की झांकी प्रस्तुत करता है।

 

कानून की नजर में बड़ा अपराध

भारत के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 (Wildlife Protection Act, 1972) के तहत अजगर Schedule-I प्रजाति में आता है, यानी इसे पालना, बेचना या प्रदर्शन में इस्तेमाल करना गंभीर अपराध है।

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धारा 9 और 49 के अनुसार,

अजगर को पकड़ना, पालना या सार्वजनिक रूप से दिखाना कानूनन प्रतिबंधित है। इस अपराध पर —

  • 3 से 7 साल तक की कैद।
  • ₹10,000 से ₹25,000 तक का जुर्माना हो सकता है।
  • अगर अपराध दोहराया जाए तो सजा और भी कठोर होती है।

 

 

8 दिन बाद भी कार्रवाई नहीं — वन विभाग की ‘नींद’ पर उठे सवाल

1 अक्टूबर को इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद अब 8 दिन बीत चुके हैं, लेकिन वन विभाग और जिला प्रशासन किसी ठोस कार्रवाई तक नहीं पहुंच पाए हैं। न तो कार्यक्रम के आयोजकों पर कोई कार्रवाई की गई है और न ही अजगर के साथ स्टंट दिखाने वाले युवक के बारे में जानकारी जुटाई जा सकी है।

वन दरोगा सुभाष कुमार ने बताया कि नृत्य मंडली की जानकारी जुटाई जा रही है, लेकिन अब तक उस युवक या मंडली का कोई सुराग नहीं मिल सका है।

इधर, वन्यजीव प्रेमी और पर्यावरण कार्यकर्ता प्रशासन की निष्क्रियता पर कड़ी नाराज़गी जता रहे हैं। उनका कहना है कि जब वीडियो में सबूत साफ़ हैं तो फिर कार्रवाई में इतनी देर क्यों? क्या प्रशासन किसी दबाव में है?

 

अधिकारियों की कार्यशैली पर उठे गंभीर सवाल

मामले ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या बाराबंकी में वन्यजीव संरक्षण कानून सिर्फ कागज़ों में सीमित रह गया है?
जब एक युवक खुलेआम सोशल मीडिया पर संरक्षित प्रजाति के साथ स्टंट कर रहा है और प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है, तो वन विभाग की भूमिका पर सवाल उठना लाजमी है।

वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि प्रशासन अगर इस तरह के मामलों में तुरंत कार्रवाई नहीं करता, तो यह खतरनाक मिसाल बनेगी और ऐसे करतबों को बढ़ावा मिलेगा।

 

जनता और वन्यजीव प्रेमियों की मांग

स्थानीय पर्यावरण प्रेमियों और समाजसेवियों ने वन विभाग से तत्काल जांच कर आरोपी युवक की गिरफ्तारी, अजगर की सुरक्षित बरामदगी और संबंधित अधिकारियों की लापरवाही की जांच की मांग की है।

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लोगों का कहना है कि अगर इस बार सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो आने वाले त्योहारों में ऐसी घटनाएं फिर से दोहराई जा सकती हैं।

 

निष्कर्ष

धार्मिक आस्था अपनी जगह है, लेकिन किसी भी जीव के साथ ऐसा व्यवहार न तो कानूनी है और न ही नैतिक।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बाराबंकी प्रशासन और वन विभाग अपनी “नींद” कब तोड़ते हैं और इस गंभीर उल्लंघन पर क्या ठोस कदम उठाते हैं।


रिपोर्ट – ललित राजवंशी 

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Author: Barabanki Express

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