Barabanki:
बाराबंकी के जनेस्मा पीजी कॉलेज के बर्खास्त लिपिक मदन मोहन गौतम को छात्रों से अवैध वसूली और फर्जी अंकपत्र जारी करने के मामले में एंटी करप्शन कोर्ट गोरखपुर ने पांच साल की सजा सुनाई। कोर्ट ने कहा — शिक्षा में भ्रष्टाचार अस्वीकार्य है।

बाराबंकी, उत्तर प्रदेश।
छात्रों से अवैध रूप से पैसे वसूलने और फर्जी अंकपत्र जारी करने के आरोप में फंसे जनेस्मा पीजी कॉलेज के बर्खास्त लिपिक मदन मोहन गौतम को एंटी करप्शन कोर्ट, गोरखपुर ने दोषी करार देते हुए पांच साल की कठोर कैद की सजा सुनाई है। अदालत ने इस मामले को शिक्षा व्यवस्था पर कलंक बताते हुए कहा कि “शिक्षा जैसी पवित्र सेवा में भ्रष्टाचार अस्वीकार्य है।”
क्या था पूरा मामला
यह मामला 13 जून 2018 (सम्भवतः 2028 में टाइपो) का है, जब जनेस्मा पीजी कॉलेज, बाराबंकी के प्रिंसिपल आर.एस. यादव ने नगर कोतवाली बाराबंकी में कॉलेज के तत्कालीन लिपिक मदन मोहन गौतम के खिलाफ धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार और कदाचार की गंभीर शिकायत दर्ज कराई थी।
प्रिंसिपल द्वारा दी गई तहरीर में बताया गया कि जिलाधिकारी के आदेश पर की गई आंतरिक जांच में यह पाया गया कि मदन मोहन गौतम ने कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों से अवैध धन उगाही की थी।
छात्रों से पैसे लेकर फर्जी अंकपत्र जारी करने का आरोप
जांच रिपोर्ट के अनुसार,
- लिपिक मदन गौतम ने छात्र शिवशंकर प्रताप (पुत्र स्व. रामफल) से अंकपत्र जारी करने के बदले रिश्वत की मांग की, और पैसे न देने पर छात्र का मूल अंकपत्र गायब कर दिया।
- बाद में गौतम ने अपने सहयोगियों की मदद से द्वितीय प्रति (डुप्लीकेट) अंकपत्र तैयार कर छात्र को सौंप दिया।
- इसी तरह, छात्रा लक्ष्मी देवी (पुत्री रामजीत) से अंकपत्र देने के नाम पर ₹1,000 की अवैध वसूली की गई। जब इस पर संदेह हुआ तो जांच में पाया गया कि छात्रा से पैसे लेकर उसका मूल अंकपत्र अपने पास रखकर गौतम ने डुप्लीकेट प्रति जारी की थी।
जांच में यह भी सामने आया कि जब कॉलेज प्रशासन ने सभी लिपिकों को शेष अंकपत्र पुस्तकालय प्रभारी को जमा करने का आदेश दिया, तो लक्ष्मी देवी का मूल अंकपत्र भी इन्हीं दस्तावेजों में मिला, जिसे बाद में मदन मोहन गौतम ने स्वयं सरेंडर किया।
जांच में खुला रैकेट का राज
प्रिंसिपल की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि मदन गौतम कॉलेज में एक पूरे रैकेट के साथ कार्य कर रहा था, जो छात्रों से अंकपत्र और अन्य प्रमाणपत्रों के नाम पर अवैध उगाही करता था। इस भ्रष्टाचार के कारण कई छात्रों का भविष्य दांव पर लग गया।
अधिकारियों ने बताया कि मदन गौतम ने अपने पद और जिम्मेदारियों का घोर दुरुपयोग किया और विश्वविद्यालय की छवि को धूमिल किया।
कोतवाली में दर्ज हुआ मुकदमा, फिर बढ़ी धाराएं
शुरुआत में यह मामला नगर कोतवाली बाराबंकी में जालसाजी (Forgery) और धोखाधड़ी की धाराओं में दर्ज किया गया था।
विवेचना (जांच) के दौरान जब आरोपों में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act) की धाराएं जुड़ गईं, तब मुकदमे की चार्जशीट एंटी करप्शन कोर्ट, गोरखपुर में दाखिल की गई।
कोर्ट का फैसला और सजा
लगभग सात साल की लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद, एंटी करप्शन कोर्ट गोरखपुर ने सुनवाई पूरी करते हुए आरोपी मदन मोहन गौतम को कदाचार और भ्रष्टाचार के अपराध में दोषी पाया।
कोर्ट ने आरोपी को 5 साल की कठोर कैद और जुर्माने की सजा सुनाई। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि, “शिक्षा जैसी पवित्र सेवा में भ्रष्टाचार अस्वीकार्य है। यह न केवल संस्था के लिए, बल्कि समाज के लिए भी घातक है।”
रिपोर्ट – मंसूफ़ अहमद
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Author: Barabanki Express
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