
बाराबंकी, उत्तर प्रदेश।
सरयू नदी के किनारे चल रही करोड़ों की बाढ़ सुरक्षा परियोजनाओं का जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने रविवार को निरीक्षण किया, लेकिन यह दौरा स्थानीय ग्रामीणों की नजर में केवल औपचारिकता बनकर रह गया। मंत्री न तो सबसे अधिक प्रभावित कटान क्षेत्रों तक पहुंचे और न ही निर्माण की गुणवत्ता की गंभीरता से समीक्षा की गई। इसके विपरीत पहली ही बारिश में धंसी इंटरलॉकिंग सड़क और अधूरे जल जीवन मिशन ने सरकारी योजनाओं की जमीनी हकीकत उजागर कर दी।
प्रजेंटेशन तक सीमित रहा निरीक्षण
मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, खाद्य एवं रसद राज्य मंत्री सतीश चंद्र शर्मा के साथ ग्राम कोठरी गौरिया पहुंचे। वहां पहले से लगे प्रजेंटेशन बोर्डों के माध्यम से उन्हें परियोजना की जानकारी दी गई। इसके बाद वे बिना सुरक्षा जैकेट पहने ही स्टीमर के जरिए नदी के भीतर निर्माण कार्य देखने निकल पड़े।

यह बाढ़ सुरक्षा परियोजना लगभग ₹4.56 करोड़ की लागत से संचालित हो रही है, जिसमें ईसी बैग, जियो बैग, नायलॉन क्रेट और पाइपिंग स्क्रीन जैसी तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है।
कटान से जूझते गांव, लेकिन मंत्री नहीं पहुंचे
कोठरी और सूबेदार पुरवा जैसे गांव जहाँ सरयू नदी की कटान से भूमि तेजी से क्षरित हो रही है, वहां मंत्री का न पहुंचना ग्रामीणों के लिए निराशाजनक रहा। जब ग्रामीणों ने इस ओर ध्यान दिलाया तो मंत्री ने जवाब दिया – “इन क्षेत्रों को स्थानीय मंत्री देख लेंगे।” ग्रामीणों ने इस पर तीखा विरोध जताया और कहा कि सबसे ज्यादा संकटग्रस्त स्थानों की अनदेखी सरकारी उदासीनता को दर्शाती है।
पहली बरसात में ही धंसी करोड़ों की सड़क
कोठरी गौरिया तक बनाई गई इंटरलॉकिंग सड़क पहली ही बारिश में धंस गई। यह सड़क रपटा पुल के पास बनाई गई थी। ग्रामीणों का आरोप है कि सड़क की नींव अधूरी थी और निर्माण कार्य में मानकों की खुली अनदेखी की गई। अब लाखों रुपये की लागत से बनी सड़क टूट कर बर्बाद हो गई है। लोगों ने इस मामले की उच्चस्तरीय जांच और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है।

आरती देवी ने खोल दी ‘जल जीवन मिशन’ की पोल
निरीक्षण के दौरान जब मंत्री ने गांव की एक दुकान पर मौजूद आरती देवी से पूछा – “नल से पानी आता है?” तो जवाब मिला – “टोटी तो लगी ही नहीं है, सिर्फ पाइप ज़मीन में गड़ा है, लेकिन पानी नहीं आता।” इस पर मंत्री ने अधिकारियों को फटकार लगाई और निर्देश दिया कि सभी घरों में नल कनेक्शन और जल आपूर्ति तत्काल सुनिश्चित की जाए।
ग्रामीणों में नाराजगी: ‘सिर्फ दिखावा, कोई समाधान नहीं’
पूरा निरीक्षण ग्रामीणों की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर पाया। लोगों का कहना है कि मंत्री ने न तो वास्तविक खतरे की जगहों पर जाकर निरीक्षण किया, न जनता की समस्याएं गंभीरता से सुनीं। एक ग्रामीण ने तंज कसते हुए कहा – “जब मंत्री को ही खतरे की गंभीरता नहीं दिखती, तो फिर नीचे के अधिकारियों से क्या उम्मीद करें?”
निष्कर्ष
सरकारी योजनाओं और जमीनी हकीकत के बीच की खाई एक बार फिर उजागर हो गई है। निरीक्षण अगर केवल तस्वीरों और प्रस्तुतियों तक सीमित रहेगा, तो सरयू जैसी नदियों के तटवर्ती गांवों को हर साल बाढ़ और कटान से जूझना ही पड़ेगा।
रिपोर्ट – आफताब अहमद
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Author: Barabanki Express
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