
आगरा, उत्तर प्रदेश।
आगरा के खेरिया मोड़ (जगनेर रोड) पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) विधायक भगवान सिंह कुशवाहा के चाचा के साथ मारपीट के मामले में शाहगंज पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है। इस मामले में नगर निगम के सेनेटरी इंस्पेक्टर प्रदीप गौतम और प्रताप को नामजद करते हुए 20 अज्ञात लोगों को भी आरोपी बनाया गया है। इस कार्रवाई से आक्रोशित नगर निगम कर्मचारियों ने शुक्रवार सुबह हड़ताल कर दी और नगर निगम में तालाबंदी कर जमकर हंगामा किया। यह घटना न केवल भाजपा के भीतर हलचल का कारण बनी, बल्कि सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो ने बेलगाम अफसरशाही भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या है पूरा मामला?
विधायक भगवान सिंह के चाचा जगदीश कुशवाहा की खेरिया मोड़ पर “नत्थी मिष्ठान भंडार” नाम से एक दुकान है। बुधवार को नगर निगम का सेनेटरी विभाग खेरिया मोड़ पर सफाई और सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ अभियान चला रहा था। इसी दौरान सेनेटरी इंस्पेक्टर प्रदीप गौतम जगदीश कुशवाहा की मिठाई की दुकान पर पहुंचे।
जगदीश कुशवाहा का आरोप है कि दुकान में प्लास्टिक के गिलास मिलने पर इंस्पेक्टर ने ₹1000 का चालान काटा, लेकिन मौके पर ₹3000 नकद ले लिए। इस पर जगदीश कुशवाहा ने आपत्ति जताई और बात बढ़ गई। थोड़ी देर में नगर निगम के अन्य कर्मचारी भी मौके पर पहुंच गए और कथित रूप से विवाद बढ़ता चला गया। आरोप है कि विवाद इतना बढ़ा कि निगम कर्मचारियों ने दुकानदार से हाथापाई कर दी और मौके पर अफरा-तफरी मच गई।
जगदीश कुशवाहा का आरोप है कि बाद में बुलडोजर से उनकी दुकान का शटर और काउंटर भी तोड़ डाला गया। जब उन्होंने इसका विरोध किया, तो उन्हें जमीन पर गिराकर पीटा गया। उनकी पत्नी और भाई के साथ भी अभद्रता की गई।
पुलिस की कार्रवाई और निगम कर्मचारियों का विरोध
इस घटना का एक वीडियो भी सामने आया था, जिसमें नगर निगम के कर्मचारी जगदीश कुशवाहा की पिटाई करते हुए दिख रहे हैं। डीसीपी सिटी सोनम कुमार ने बताया कि जगदीश कुशवाहा की तहरीर पर मामला दर्ज कर लिया गया है। प्रदीप गौतम और प्रताप नामजद हैं, जबकि 20 अज्ञात लोग भी आरोपी हैं। डीसीपी ने कहा कि वीडियो फुटेज जिसमें निगम कर्मचारी पिटाई करते दिख रहे हैं और सीसीटीवी फुटेज जिसमें बुलडोजर से तोड़फोड़ नजर आ रही है, दोनों अहम सबूत हैं।
दूसरी ओर, इस मामले में नगर निगम कर्मचारियों में भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि जो वीडियो दिखाए जा रहे हैं, वे घटना के बाद के हैं, और उनके कर्मचारियों के साथ भी मारपीट की गई थी, लेकिन उनकी शिकायत पर कोई केस दर्ज नहीं किया गया। कर्मचारियों ने बृहस्पतिवार को नगर निगम में प्रदर्शन भी किया था।
यह घटना सत्ताधारी पार्टी के भीतर भी टकराव का कारण बन रही है और नगर निगम के अतिक्रमण विरोधी अभियान की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठा रही है।
रिपोर्ट – नौमान माजिद
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Author: Barabanki Express
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