
बाराबंकी, यूपी।
बाराबंकी जिले के जहांगीराबाद थाना क्षेत्र में पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाते हुए अवैध वसूली का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहाँ एक सिपाही पर ऑनलाइन जुआ खेलने के आरोप में ग्रामीणों को जेल भेजने की धमकी देकर 81 हज़ार रुपये ऐंठने का आरोप लगा है। यह मामला तब चर्चा में आया जब जिले के तेज-तर्रार पुलिस अधीक्षक अर्पित विजयवर्गीय को इसकी भनक लगी और उन्होंने तत्काल कार्रवाई की।
क्या है ‘रक्षक’ से ‘भक्षक’ बनने की पूरी कहानी?
जहांगीराबाद थाना क्षेत्र के बनवा गांव के जब्बार (जो पान की दुकान चलाते हैं) और उनके गांव के ही बुल्लू व सद्दाम ने कुछ समय पहले पिपरमेंट का तेल बेचा था। बताया जा रहा है कि पैसा हाथ आते ही 28 अप्रैल 2025 को जहांगीराबाद थाने में तैनात सिपाही रवि का उन्हें फोन आ गया। आरोप है कि सिपाही रवि ने तीनों को ऑनलाइन जुआ खेलने के गंभीर आरोप में जेल भेजने की धमकी दी।
सिपाही की धमकी से डरे हुए तीनों लोगों ने कथित तौर पर थाने की ‘दलाली’ करने वाले गांव के ही शोएब नाम के एक व्यक्ति से संपर्क किया। इसके बाद, मामला रफ़ादफ़ा करने के नाम पर बुल्लू से 60 हज़ार रुपये, जब्बार से 11 हज़ार रुपये और सद्दाम से 10 हज़ार रुपये यानी कुल मिलाकर 81 हज़ार रुपये की मोटी रकम दलाल शोएब और सिपाही रवि द्वारा ऐंठ ली गई।
थाने तक पहुंची बात, SP का सख्त एक्शन और फिर ‘खेल‘
जब गांव में यह खबर फैलते-फैलते थाने तक पहुंची, तो थाने में तैनात सिपाही पवन गांव पहुंचे और रकम देने वाले तीनों लोगों से संपर्क किया। उन्होंने अपने मोबाइल में तीनों के बयान दर्ज किए और उन्हें थाने आकर ‘बड़े साहब’ (थाना प्रभारी) से मिलने का फरमान सुनाया। ‘बड़े साहब’ के फरमान पर तीनों पीड़ित अगले ही दिन थाने में पेश हुए, जहाँ एक बार फिर उनके बयान दर्ज किए गए। उन्हें जल्द पैसा वापस दिलाने का आश्वासन देकर वापस भेज दिया गया।
हालांकि, हफ्तों बीत जाने के बाद भी न तो थाने से कोई खबर आई और न ही पैसा वापस मिला। सूत्रों के अनुसार, इस बीच पैसा दिलाने वाले दलाल शोएब को थाने बुलाया गया, जहाँ उसने लिया गया पैसा सिपाही रवि को देना कबूल कर लिया। लेकिन, इसके बाद कथित तौर पर ‘बड़े साहब’ के स्तर से मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
यह पीड़ितों की खुशकिस्मती कहें या थाने वालों की बदकिस्मती, कि इसी बीच मामले की भनक जिले के तेज-तर्रार पुलिस अधीक्षक अर्पित विजयवर्गीय को लग गई। उन्होंने तत्काल एक्शन लेते हुए पैसा वसूली करने वाले सिपाही रवि को लाइन हाजिर कर दिया और क्षेत्राधिकारी नगर सुमित त्रिपाठी को मामले की जांच सौंप दी।
मामले में नया मोड़: पत्रकार का हस्तक्षेप और पैसे की ‘रिकवरी’, जांच पर सवाल
बताया जा रहा है कि इसके बाद मामले में एक नया मोड़ आ गया। अवैध वसूली के मामले में फंस रहे सिपाही को बचाने के लिए ज़िले के एक तथाकथित पत्रकार ने मोर्चा संभाल लिया। सूत्रों के मुताबिक, इस कथित पत्रकार ने मामला रफ़ादफ़ा करने की शर्त पर पीड़ितों को उनका पूरा 81 हज़ार रुपया वापस दिलवा दिया है।
वहीं, इस मामले में सीओ सिटी की जांच कहां तक पहुंची है, इस बारे में अभी तक कोई पुख्ता जानकारी हासिल नहीं हो सकी है। जहांगीराबाद पुलिस द्वारा कथित तौर पर संगठित तरीके से की गई अवैध वसूली का यह मामला पूरे जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है। सवाल यह उठ रहा है कि क्या वसूली का पैसा वापस लौटा देने भर से सिपाही का अपराध माफ हो जाएगा या उस पर कोई और कड़ी कार्रवाई होगी? पुलिस की जवाबदेही पर उठ रहे ये सवाल कब शांत होंगे?
रिपोर्ट – कामरान अल्वी
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Author: Barabanki Express
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