बाराबंकी-यूपी।
बुलडोजर एक्शन को लेकर प्रदेश की योगी सरकार को एक और बड़ा झटका लगा है। बुलडोजर एक्शन से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय इलाहाबाद की लखनऊ बेंच ने याचिकाकर्ता के खिलाफ हुई कार्यवाही को प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों व वादी के कानूनी समाधान पाने के अधिकार का उल्लंघन माना और राज्य सरकार को दोषी अधिकारियों से 25 हज़ार रुपए वसूलकर क्षतिपूर्ति के रूप में बाराबंकी निवासी याचिकाकर्ता को देने के आदेश दिए हैं।
बाराबंकी की रामसनेहीघाट तहसील के ग्राम मथुरा नगर में जमीदारी खात्मा के पूर्व राज घराना राय राजेश्वर बली के परिवार के धर्मराज बली द्वारा गाटा संख्या-977 (खेवट नंबर-1 मोहाल रामपुर) कदीम परती भूमि पर मकान बनाने हेतु दिया गया था। जिसमें रामबरन, सत्यनाम उर्फ गोले छप्पर-मड़हा, जानवरों की नांद आदि रखकर रिहाइश के रूप में कई दशक से निवास करते चले आ रहे हैं। बीते 27 फरवरी 2025 को जेसीबी और पुलिस बल के साथ यहां पहुंच कर रामसनेहीघाट तहसील प्रशासन ने याचिका कर्ता राम बरन चौहान के कब्जे वाली उपरोक्त भूमि पर से कब्जा हटाकर सब तहस-नहस कर दिया था।
मामला जब उच्च न्यायालय पहुंचा तो हाईकोर्ट को भी तहसील प्रशासन रामसनेहीघाट ने भ्रामक सूचना देने निंदनीय कार्य किया। उपरोक्त मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता के मामले में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन हुआ है। साथ ही वादी के कानूनी समाधान पाने के अधिकार का भी उल्लंघन किया गया है। जो कि उसका संवैधानिक अधिकार है। अदालत ने राज्य सरकार को आदेश की तिथि से दो सप्ताह की अवधि के भीतर याचिकाकर्ता को 25 हज़ार रुपये की लागत का भुगतान करने के आदेश दिए हैं। अदालत ने यह भी कहा कि राज्य सरकार इसके लिए स्वतंत्र होगी कि वह जांच के बाद इस गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार अधिकारी से उक्त राशि वसूल करे।
रिपोर्ट – मन्सूफ अहमद
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Author: Barabanki Express
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