बांदा-यूपी।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जहां गौवंश के भरण पोषण, बीमारी से इलाज व ठंड से बचाव के लिए भारी भरकम बजट जारी कर रही है। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की खाऊ कमाऊ नीतियों के चलते इस बजट का एक बड़ा हिस्सा कागज़ों में ही खर्च हो रहा है जिसके चलते धरातल पर गौशालाओं में कुछ अलग ही नज़ारा देखने को मिल रहा है। दर हकीकत गौशाला गौवंशीय पशुओं की कब्रगाह साबित हो रहे हैं जहां बेजुबान बीमारी और ठंड से तड़प तड़पकर दम तोड़ने को मजबूर है।
गौवंश की बदहाली का ताज़ा मामला यूपी के बांदा ज़िले से सामने आया है। जहां बबेरू विकास खंड की बबेरू गौशाला गौवंशो के लिए कब्रगाह साबित हो रही है। ठंड और बीमारी के चलते यहां गौवंशीय पशु तड़प तड़पकर दम तोड़ रहे हैं। लेकिन गौशाला के केयर टेकर की माने तो सूचना देने के बावजूद चिकित्सक व जिम्मेदार अधिकारी इनकी सुध लेने नही आ रहे। जिससे आए दिन गौवंश की मृत्यु हो रही है।
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गौशाला में मौजूद केयर टेकर फेरन ने हमारे संवाददाता को बताया कि गौशाला में आधा दर्जन से ज्यादा पशु बीमार है। कई की मौत भी हो चुकी है। पन्द्रह दिन पहले पशु चिकित्सक बबेरू को जानकारी दी गई थी। लेकिन डाक्टर साहब ने मौके पर आने की जरूरत ही नही समझी और फरमान सुना दिया कि यही से दवा ले आओ। केयर टेकर ने बताया कि उसने डॉक्टर से कहा भी कि आपको आना पड़ेगा। इन पशुओ को क्या बीमारी है और इन्हें क्या इंजेक्शन लगना है जब मुझे यही नही मालूम तो कौन सी दवा ले आऊं? इस लिए मैं नही आ पाऊंगा।
सुने केयर टेकर का बयान
अब सवाल यह है कि क्या केयर टेकरो को गौवंशो की बीमारी के इलाज की ट्रेनिंग दी गयी है जो वो खुद से ही बीमार गौवंश का इलाज कर सके? क्या पशुओं के इलाज के नाम पर सरकार से मोटी तनख्वाह लेने वाले पशु-चिकित्सक की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती? अब देखना यह है कि यह मामला सामने आने के बाद ऐसे बेपरवाह अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है। या फिर ऐसे नाकारा लोगो की वजह से ऐसे ही तड़प तड़पकर बेजुवान गौवंश की मौतें होती रहेगी?
रिपोर्ट – नवल तिवारी
Author: Barabanki Express
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