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बाराबंकी जिले के फतेहचंद्र जगदीश राय इंटर कॉलेज में मिड-डे-मील योजना बंद, 13 साल से एमडीएम बना रही रसोइयों को प्रधानाचार्य ने हटाया। धोखे से अंगूठा लगवाने का आरोप, 685 छात्र भूखे लौट रहे घर। मुख्यमंत्री से शिकायत, अभिभावकों ने जताया आक्रोश।

बाराबंकी, उत्तर प्रदेश।
जिले के सफदरगंज क्षेत्र स्थित फतेहचंद्र जगदीश राय इंटर कॉलेज में मिड-डे-मील (MDM) योजना पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। कॉलेज की रसोई पिछले 10 दिनों से बंद है, जिसके चलते करीब 685 छात्र-छात्राओं को भूखे ही घर लौटना पड़ रहा है। आरोप है कि कार्यवाहक प्रधानाचार्य ने रसोइयों से मानदेय बढ़ाने का झांसा देकर कागजों पर अंगूठा लगवाया और फिर उन्हें पद से हटा दिया, ताकि अपने चहेते लोगों को नियुक्त किया जा सके।
13 साल से एमडीएम बना रही रसोइयों को हटाया
ग्राम पंचायत सफदरगंज स्थित इस कॉलेज में रामू चौहान, अनीता अवस्थी, अनीता यादव और निर्मला यादव पिछले 13 वर्षों से बच्चों के लिए एमडीएम का भोजन बना रही थीं। लगभग 10 दिन पहले कार्यवाहक प्रधानाचार्य कैलाश नारायण ने उन्हें बुलाया और कहा कि उनका मानदेय बढ़ने वाला है, इसलिए कागजों पर अंगूठा लगा दें।
निरक्षर रसोइयों ने बिना शक किए दस्तावेजों पर अंगूठा लगा दिया। आरोप है कि इसके बाद प्रधानाचार्य ने उन्हें नौकरी से निकालते हुए किचन से भगा दिया और खाना बनाने से रोक दिया।
पीड़ित रसोइयों का कहना है कि जब भी वे कॉलेज पहुंचती हैं तो प्रधानाचार्य उनसे दुर्व्यवहार करते हैं और काम करने से रोक देते हैं। नतीजा यह हुआ कि 20 अगस्त से स्कूल में मिड-डे-मील नहीं बन रहा और बच्चे भूखे लौट रहे हैं।
मुख्यमंत्री और प्रशासन से शिकायत
पीड़ित रसोइयों ने इस पूरे मामले की शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और जिला प्रशासन से की है। उनका कहना है कि प्रधानाचार्य ने धोखे से अंगूठा लगवाकर उन्हें पद से हटाया है, ताकि अपनी पसंद के लोगों को रसोइया पद पर नियुक्त कर सके।
वहीं, कार्यवाहक प्रधानाचार्य कैलाश नारायण ने इन आरोपों से इनकार किया है। उनका कहना है कि रसोइयों ने सामूहिक रूप से त्यागपत्र दिया है।
गैस के बजाय लकड़ी पर बनता था भोजन
रसोइयों का आरोप है कि शासन के आदेशों के बावजूद कॉलेज में एमडीएम गैस सिलेंडर पर न बनवाकर लकड़ी पर बनवाया जा रहा था। आरोप है कि प्रधानाचार्य गैस का पैसा हड़पने के लिए यह सब कर रहे थे।
- कॉलेज में 685 छात्रों के लिए केवल 4 रसोइए ही काम कर रहे थे, जबकि मानक के अनुसार 6 रसोइयों की नियुक्ति होनी चाहिए।
- बरसात में गीली लकड़ी से उठने वाला धुआं स्कूल में फैल जाता था, जिससे बच्चों को पढ़ाई करने में दिक्कत होती थी।
- अभिभावकों ने कई बार शिकायत की, लेकिन अधिकारियों ने कोई संज्ञान नहीं लिया।
- खुले आसमान में रसोई होने के कारण रसोइयों को धूप और बारिश में काम करना पड़ता था।
- धुएं में बैठकर पढ़ाई करने के कारण कई छात्र-छात्राओं के बीमार पड़ने की भी शिकायतें सामने आई हैं।
अभिभावकों में नाराजगी
रसोइयों को हटाए जाने और मिड-डे-मील बंद होने से अभिभावक भी बेहद नाराज हैं। उनका कहना है कि गरीब बच्चों के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना को प्रिंसिपल ने अपने स्वार्थ के लिए चौपट कर दिया है। अभिभावकों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि मामले की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और दोषी प्रधानाचार्य पर कार्रवाई हो।
रिपोर्ट – नूर मोहम्मद
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Author: Barabanki Express
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