बाराबंकी-यूपी।
ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब मजदूरों को गांव में ही रोज़गार उपलब्ध कराकर पलायन रोकने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा प्रदेश सरकार की देख-रेख में चलाई जा रही मनरेगा योजना जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के चलते भ्रष्टाचार की भेट चढ़ गई है। ग्राम प्रधानों द्वारा एन एम एम एस पोर्टल पर फर्जी डिमांड और जॉब कार्ड धारकों की फर्जी हाज़िरी दिखाकर कच्चे कार्यों के नाम पर लाखों का वारा न्यारा किया जा रहा है।
बाराबंकी ज़िले के निंदूरा ब्लॉक अंतर्गत कई ग्राम पंचायतों में मनरेगा योजना के तहत सिर्फ कागजो पर कार्य हो रहा है। एन एम एम एस पोर्टल पर जाब कार्ड धारकों द्वारा कही कच्ची पटाई तो कही बांध निर्माण तो कही तालाब व अमृत सरोवर पर कार्य हो रहा है। जिसमे महिला मजदूर भी शामिल है। लेकिन मौक़े पर कहीं पोर्टल पर दर्ज संख्या से कम मजदूर कार्य कर रहे है तो कहीं पर मजदूर नदारद है और जेसीबी व ट्रैक्टर से कार्य करवा कर मनरेगा का पैसा हजम किया जा रहा है। यह कहना गलत नहीं होगा कि गांव के मजदूरों को गांव में ही काम देने के लिए चलाई गई केंद्र सरकार की मनरेगा योजना मजदूरों के बजाय प्रधान व ब्लॉक के अधिकारियों का कल्याण करने में लगी है।

बाराबंकी एक्सप्रेस संवाददाता ने 29 व 30 मई 2025 को निंदूरा ब्लॉक अंतर्गत सालेपुर गांव में चल रहे तालाब खुदाई कार्य का जायज़ा लिया तो मौक़े पर एक भी मजदूर कार्य करता नहीं मिला जबकि कागज़ों पर 98 श्रमिकों की फर्जी हाज़िरी दिखाकर पैसा निकाला जा रहा है। इसी तरह खण्डसरा गांव में चकबध पर 15 श्रमिक कार्य करते मिले जबकि कागजों पर 80 मजदूर दर्शाए गए थे। वहीं भद्रास में 112 श्रमिक दिखाएं गए लेकिन मौके पर एक भी श्रमिक नहीं पाया गया। इसी तरह 29 मई 2025 को मदीनपुर में 73 श्रमिक व 30 मई 2025 को मदीनपुर में 76 श्रमिक कागज़ों पर कार्य कर रहे थे। लेकिन हमारे संवाददाता को मौके पर एक भी श्रमिक नहीं मिला।

इसी तरह जॉब कार्ड धारकों को रोज़गार देने के नाम पर फर्जीवाड़ा करके शासन को चूना लगाया जा रहा है। इस भ्रष्टाचार से प्रधान व ब्लॉक के अधिकारी तो मालामाल हो रहे हैं। लेकिन दूसरी तरफ मजदूरों को उनके गांव में रोज़गार देने की सरकार की मंशा को पलीता लग रहा है। सरकार द्वारा मनरेगा योजना में हो रहे भ्रष्टाचार को रोकने के लिए एन एम एम एस पोर्टल पर मजदूरों की सुबह और शाम उपस्थित मौके पर ही दर्ज करने के निर्देश दिए है। किंतु इसके विपरीत रात्रि में भी उपस्थित दर्ज करी जा रही हैं। ऐसा नहीं है कि अधिकारियों को इस गोरखधंधे की खबर नहीं है। लेकिन फिर भी मिलीभगत के चलते सब कुछ जानते हुए भी वो अंजान बने हुए हैं। हाल ये है कि खंड विकास अधिकारी आलोक सिंह पत्रकारो के फोन तक नहीं उठाते हैं।
सहायक टेकनीशियन के साथ अन्य की भूमिका भी संदिग्ध
मनरेगा योजना के तहत हुए कार्यों की एमबी करने के लिए सहायक टेक्नीशियन तैनात किए गए हैं। लेकिन यह प्रधानों से मिलीभगत करके स्वयं भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। सूत्र बताते हैं कि संविदा के तहत इन टेक्नीशियन को 10 से 12 हजार रुपए का मानदेय मिलता है। लेकिन प्रतिदिन यह लोग लखनऊ से अपने लग्जरी वाहनों से ब्लॉक व क्षेत्र में आते हैं। आखिर यह सब कैसे हो पा रहा है। यह तो यही टेकनीशियन ही बता सकते है। टेकनीशियन ही नहीं बल्कि इस योजना से जुड़े अन्य लोग भी भ्रष्टाचार की गंगा में बराबर से गोते लगा रहे है। इस संबंध में जब बाराबंकी के मुख्य विकास अधिकारी अन्ना सुदन से बात की गई तो उन्होंने मामले की जांच कराने की बात कही हैं।
रिपोर्ट – ललित राजवंशी
Author: Barabanki Express
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