Barabanki: सड़कों पर मौत बनकर दौड़ रहे पुरानी बाइक-स्कूटर से बने ‘जुगाड़’ वाहन, DM से शिकायत के बावजूद कार्रवाई ठंडे बस्ते में

 


बाराबंकी, उत्तर प्रदेश।
जनपद के शहरी और ग्रामीण इलाकों में पुरानी मोटरसाइकिलों और स्कूटरों को ठेलिया में जोड़कर बनाए गए ‘जुगाड़ वाहन’ सामान की ढुलाई का एक आम साधन बन गए हैं। हालांकि, ये जुगाड़ वाहन सड़क सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा साबित हो रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार विभाग इस पर लगाम कसने में नाकाम दिख रहा है।
सुरक्षा नियमों की खुली धज्जियां
ये जुगाड़ वाहन अक्सर अपनी लंबाई और चौड़ाई से अधिक स्थान घेरकर सरिया, एंगल और अन्य भारी वस्तुओं का परिवहन करते हैं, जिससे सड़कों पर चलने वाले अन्य वाहनों और राहगीरों के लिए खतरा पैदा हो जाता है। इनमें न तो कोई वैध पंजीयन संख्या होती है, न बैकलाइट और न ही इंडिकेटर जैसे सुरक्षा उपकरण। अत्यधिक पुराने होने के कारण ये सामान्य वाहनों की तुलना में कई गुना अधिक प्रदूषण भी फैला रहे हैं।

सबसे चिंताजनक बात यह है कि ये जुगाड़ वाहन बीमित भी नहीं होते, जिसके कारण यदि इनसे कोई दुर्घटना होती है, तो पीड़ित को किसी भी प्रकार की क्लेम राशि मिलने की संभावना नहीं रहती। इसके अलावा, सरकार को बीमा पर लगने वाले GST का भी नुकसान होता है।
लोडर ई-रिक्शा की कमी और राजस्व का नुकसान
जिले में लगभग 9000 ई-रिक्शा (सवारी) संचालित हैं, लेकिन इनके सापेक्ष लोडर ई-रिक्शा की संख्या नगण्य है। इसके चलते सरकार को पंजीयन कर, परिवहन कर और बीमा पर GST के रूप में भारी राजस्व की क्षति हो रही है। इन अवैध जुगाड़ वाहनों की संख्या में संक्रमण की तरह वृद्धि हो रही है, लेकिन परिवहन विभाग और यातायात पुलिस ने कभी भी इनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। यही कारण है कि ये वाहन धड़ल्ले से थाना, चौकी और यातायात बूथों के सामने से नियमों का खुला उल्लंघन करते हुए दौड़ रहे हैं।

महज 20-22 हजार में तैयार, नियमों का उल्लंघन
सूत्रों की मानें तो ऐसे जुगाड़ वाहन मात्र 20 से 22 हजार रुपये में तैयार हो जाते हैं। बताया जाता है कि मेजर पेट्रोल पंप के पास एक मैकेनिक इन्हें बनाने का काम करता है। मोटर व्हीकल एक्ट में इन्हें मोटर वाहन नहीं माना जाता है, जिसके कारण दुर्घटना की स्थिति में पीड़ित की न तो FIR दर्ज होती है और न ही वह क्लेम ले सकता है। जुगाड़ वाहन के चालक को भी अक्सर अपने वाहन का पंजीयन नंबर तक नहीं पता होता है। किसी भी वाहन की RC (पंजीकरण प्रमाण पत्र) में उल्लिखित वाहन के स्वरूप में परिवर्तन आरटीओ की अनुमति के बिना अवैध होता है।
शिकायत के बाद भी कार्रवाई ठप
जुगाड़ वाहनों की इस गंभीर समस्या को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता अजय वर्मा ने बीती 10 जून 2025 को जिलाधिकारी बाराबंकी से लिखित में शिकायत दर्ज कराई थी। जिलाधिकारी ने इस पर तत्काल संज्ञान लेते हुए एआरटीओ बाराबंकी को कार्रवाई के लिए निर्देशित भी किया था। हालांकि, एक माह बीत जाने के बाद भी परिवहन विभाग इन बेलगाम जुगाड़ वाहनों पर कोई लगाम नहीं कस सका है, जिससे आमजन की सुरक्षा खतरे में बनी हुई है और सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है। अब देखना यह है कि परिवहन विभाग कब इस गंभीर समस्या पर ध्यान देता है और प्रभावी कार्रवाई करता है।
रिपोर्ट – मंसूफ अहमद 

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Author: Barabanki Express

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