Barabanki: रेठ नदी में किसानों का ‘जल सत्याग्रह’, 25 दिन से जारी धरने के बाद भी नहीं सुनी जा रही बात

 


बाराबंकी, उत्तर प्रदेश।
अपनी दस सूत्रीय मांगों को लेकर पिछले 25 दिनों से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे कुर्सी थाना क्षेत्र के उमरा औद्योगिक क्षेत्र के किसानों ने अब ‘जल सत्याग्रह’ शुरू कर दिया है। गुरुवार (10 जुलाई, 2025) सुबह करीब एक दर्जन किसान पास स्थित रेठ नदी के पानी में उतर गए और अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करने लगे। उनकी सुनवाई न होने से नाराज किसानों ने यह कदम उठाया है।
थानाध्यक्ष ने दिया आश्वासन, पर धरना जारी
सूचना मिलने पर घंटों बाद थानाध्यक्ष अनिल कुमार सिंह मौके पर पहुंचे। उन्होंने किसानों से बातचीत की और उनकी मांगों के निवारण का जल्द आश्वासन दिया, जिसके बाद किसानों को नदी से बाहर निकाला गया। हालांकि, किसान अपनी मांगों पर अडिग हैं और उन्होंने अपना अनिश्चितकालीन धरना जारी रखा है।
क्या हैं किसानों की मुख्य मांगें?
भारतीय किसान यूनियन (लोकतांत्रिक गुट) के प्रदेश उपाध्यक्ष शिवम तिवारी के नेतृत्व में ये किसान अपनी मांगों को लेकर भीषण गर्मी और बारिश के बीच भी डटे हुए हैं। शिवम तिवारी ने आरोप लगाया कि:
  • कमीशनखोरी: कमीशनखोरी के चलते गांवों का किसान तहसीलों और थानों के चक्कर काट रहा है।
  • चकबंदी में धांधली: कुर्सी के बहरौली में चल रही चकबंदी में धांधली की जा रही है।
  • रेठ नदी का अतिक्रमण और प्रदूषण: उमरा में रेठ नदी की भूमि पर सड़क बना दी गई है। फैक्ट्रियों द्वारा नदी में गंदा और दूषित पानी छोड़ा जा रहा है, जिसे रोका जाना चाहिए। साथ ही, अतिक्रमण हटाकर रेठ नदी की सफाई कराई जाए।
  • जल दोहन और गिरता जलस्तर: औद्योगिक क्षेत्र में फैक्ट्रियों द्वारा अत्यधिक जल दोहन किया जा रहा है, जिससे भूमिगत जलस्तर लगातार गिरता जा रहा है।
शिवम तिवारी ने स्पष्ट कहा है कि किसानों की मांगें पूरी होने तक उनका अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन जारी रहेगा। उन्होंने जरूरत पड़ने पर किसान महापंचायत करने की भी चेतावनी दी है।
कुर्सी थानाध्यक्ष अनिल कुमार सिंह ने बताया कि किसानों को समझा-बुझाकर नदी से बाहर बुला लिया गया है और उन्हें शांतिपूर्वक बाहर धरना देने के लिए कहा गया है। उन्होंने यह भी बताया कि किसानों की समस्याओं और मांगों को उच्च अधिकारियों तक पहुंचा दिया गया है।
इस मौके पर नसीर लाला, सूफियान, गाजी, कौशल सिंह, अमर सिंह सहित कई अन्य किसान मौजूद रहे। किसानों का यह जल सत्याग्रह स्थानीय प्रशासन के लिए एक चुनौती बना हुआ है, और यह देखना होगा कि उनकी मांगों पर कब तक कोई ठोस कार्रवाई होती है।
रिपोर्ट – शादाब 

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Barabanki Express
Author: Barabanki Express

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