Barabanki:
बाराबंकी के जैदपुर में भीम आर्मी कार्यकर्ता की आत्महत्या मामले ने नया मोड़ लिया है। परिवार ने पुलिस पर तहरीर बदलने और आरोपी पुलिसकर्मियों को बचाने का आरोप लगाया। भीम आर्मी ने गन्ना संस्थान में धरना प्रदर्शन शुरू किया।

बाराबंकी (उत्तर प्रदेश)।
जिले के जैदपुर थाना क्षेत्र के ग्राम मौथरी में पुलिस और विपक्षियों के कथित उत्पीड़न से आहत भीम आर्मी कार्यकर्ता द्वारा आत्महत्या किए जाने के मामले ने नया मोड़ ले लिया है।मृतक के परिजनों ने पुलिस प्रशासन पर आरोपी थानाध्यक्ष और दरोगा को बचाने के लिए तहरीर बदलने के गंभीर आरोप लगाए हैं। इंसाफ की मांग को लेकर परिजनों और भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने गन्ना संस्थान में धरना प्रदर्शन भी शुरू कर दिया है।
विवाद से लेकर आत्महत्या तक — पूरा घटनाक्रम
परिजनों के मुताबिक, मृतक अशोक कुमार पुत्र केशवराम, निवासी ग्राम मौथरी, मजदूरी कर अपने परिवार का पालन-पोषण करते थे।
25 सितंबर 2025 को गाँव के ही रामू पुत्र नौमी लाल से पैसों के लेन-देन को लेकर उनका मामूली विवाद हुआ। परिजनों का आरोप है कि इस विवाद के बाद विपक्षियों ने जैदपुर पुलिस से मिलीभगत कर झूठे मुकदमे में अशोक को फंसा दिया।
परिजनों के अनुसार विवाद की रात ही विपक्षियों ने घर में घुसकर मारपीट की और अशोक की पत्नी लक्ष्मीवती के साथ अभद्र व्यवहार किया
अगले दिन 26 सितंबर को जब अशोक की पत्नी लक्ष्मीवती थाने पहुंची और विपक्षियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने की कोशिश की, तो पुलिस ने उसकी तहरीर लेने से इनकार कर दिया।
आरोप है कि पुलिस ने उल्टा उसे ही थाने में बैठा लिया और अशोक का शांतिभंग की धाराओं में चालान कर दिया गया।
पुलिसकर्मियों पर रिश्वत मांगने और धमकी देने का आरोप
परिजनों ने बताया कि जमानत पर छूटने के बाद जब अशोक ने उच्चाधिकारियों से शिकायत की तो थानाध्यक्ष संतोष कुमार सिंह और उपनिरीक्षक निर्मल सिंह नाराज हो गए।
आरोप है कि दोनों ने अशोक से ₹75,000 की अवैध मांग की और रुपये न देने पर NDPS एक्ट जैसे गंभीर मुकदमे में फंसाने की धमकी दी।
धमकी से भयभीत अशोक ने अपनी जमीन बेचने का प्रयास किया, लेकिन खरीदार न मिलने पर भय और मानसिक तनाव के कारण 1 अक्टूबर 2025 की रात गांव के बाहर पेड़ से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

सुसाइड नोट में पुलिसकर्मियों और पत्रकार का नाम
आत्महत्या से पहले अशोक ने एक सुसाइड नोट लिखकर अपने परिचितों को व्हाट्सएप किया।
उसमें उन्होंने अपनी मौत का जिम्मेदार बनाया:
- विपक्षी रामू, अरविंद,
- स्थानीय पत्रकार अमित कुमार,
- थानाध्यक्ष जैदपुर संतोष कुमार सिंह,
- दरोगा निर्मल सिंह।
परिवार का आरोप — “पुलिस ने तहरीर में हेराफेरी की”
धरने पर बैठे मृतक के बेटे रवि कुमार ने बताया कि उन्होंने 1 अक्टूबर को ही एसएचओ और दरोगा को नामजद करते हुए पुलिस अधीक्षक बाराबंकी को शिकायत पत्र दिया और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की। लेकिन मौक़े पर मौजूद सीओ और एएसपी द्वारा उन पर तहरीर से पुलिसकर्मियों के नाम हटाने का दबाव बनाया गया।
परिजनों ने बताया कि जब उन्होंने इनकार किया तो पोस्टमार्टम के दौरान शव दिलाने के नाम पर उनके बाबा से धोखे से सादे कागज पर हस्ताक्षर करा लिए गए, जिसके बाद पुलिस ने मनमाफिक तहरीर लिखकर आरोपी पुलिसकर्मियों के नाम हटा दिए।

भीम आर्मी का धरना, मुआवजा और न्याय की मांग
जैदपुर थाने में दर्ज मुकदमे में जब आरोपी पुलिसकर्मियों के नाम नहीं मिले तो परिजनों और भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने गन्ना संस्थान में धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया।
भीम आर्मी नेताओं ने मांग की है कि—
- आरोपी पुलिसकर्मियों को मुकदमे में नामजद कर गिरफ्तार किया जाए,
- परिवार को ₹50 लाख मुआवजा और एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए,
- मामले की न्यायिक (ज्यूडिशियल) जांच कराई जाए।
भीम आर्मी का कहना है कि पुलिस प्रशासन आरोपी पुलिस वालों को बचाने की साजिश कर रहा है। नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर न्याय नहीं मिला तो वे लखनऊ से दिल्ली तक आंदोलन छेड़ देंगे।
रिपोर्ट – मंसूफ़ अहमद / उस्मान
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Author: Barabanki Express
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