Barabanki: बदहाली से जूझ रही जिला अस्पताल की डायलिसिस यूनिट, आए दिन खराब हो रही मशीनें; मरीज़ परेशान, जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान

 


बाराबंकी, उत्तर प्रदेश।
बाराबंकी के जिला सरकारी अस्पताल से एक बेहद गंभीर और चिंताजनक खबर सामने आई है। साल 2022 में निर्धन वर्ग के किडनी मरीजों को बेहतर सुविधाएँ देने के बड़े-बड़े दावों के साथ शुरू की गई डायलिसिस सुविधा अब महज ढाई साल में ही मरीजों के लिए मुसीबत का सबब बन गई है।
मशीनों की बदहाली, मरीजों की मुश्किल
अस्पताल में स्थापित डायलिसिस यूनिट में कुल 8 मशीनें हैं, लेकिन रख-रखाव की कमी और गुणवत्ता से समझौते का आलम यह है कि इनमें से ज़्यादातर मशीनें अक्सर खराब पड़ी रहती हैं। नतीजतन, किडनी मरीजों को समय पर डायलिसिस नहीं मिल पा रही, जिससे उनकी स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। चिकित्सकीय मानकों के अनुसार, गंभीर किडनी रोगियों को सप्ताह में कम से कम दो से तीन बार डायलिसिस मिलना अनिवार्य है, पर मशीनों के आए दिन खराब रहने के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा।
“संजीवनी कंपनी” की लापरवाही बनी जानलेवा
जिला अस्पताल की ये डायलिसिस मशीनें “संजीवनी कंपनी” के माध्यम से संचालित की जाती हैं, जिसे सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है। इसके बावजूद, अस्पताल स्टाफ की बार-बार शिकायतों के बावजूद कंपनी के इंजीनियर सही समय पर मशीनों की मरम्मत के लिए नहीं पहुँचते। उनकी लापरवाही और टालमटोल का रवैया लगातार मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है।

मरीजों और उनके परिजनों को घंटों इंतज़ार करना पड़ता है। कई बार तो उन्हें डायलिसिस के लिए बाहर प्राइवेट सेंटरों में जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है, जो कि बेहद खर्चीला है। प्राइवेट में एक डायलिसिस का खर्च 3,000 से 5,000 रुपये तक आता है, जिससे कमजोर आर्थिक स्थिति वाले मरीज प्राइवेट अस्पताल में जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते और उनकी जान जोखिम में पड़ जाती है।
सुविधाओं का अभाव और प्रशासन की चुप्पी
अस्पताल स्टाफ और मरीजों के बीच रोज़ाना तनाव की स्थिति बनी रहती है। कई मरीजों ने अपनी समस्या बताते हुए कहा कि मशीनों के खराब रहने से तो उन्हें परेशानी होती ही है। यहां की व्यवस्था भी सही नहीं रहती, एसी से पानी टपका करता है तो वहीं, स्वीपर की कमी के चलते साफ सफाई भी नहीं रहती। मरीजों के साथ आए तीमारदारों ने बताया कि उनके बैठने की जगह पर AC-कूलर तो दूर, पंखे की व्यवस्था भी ठीक से नहीं है। ऐसे में तीन से चार घंटे तक उन्हें भीषण गर्मी में ही इंतज़ार करना पड़ता है।

यह स्थिति सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली और प्रशासनिक अनदेखी को उजागर करती है, जिसका खामियाजा गरीब और बीमार जनता को भुगतना पड़ रहा है। इस गंभीर स्थिति पर जब जिला अस्पताल के सीएमएस से संपर्क करने का प्रयास किया गया, तो उनका मोबाइल कवरेज एरिया से बाहर होने के चलते उनसे संपर्क नहीं हो सका।

रिपोर्ट – मंसूफ अहमद / उस्मान

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Author: Barabanki Express

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