Barabanki:
बाराबंकी के मसौली थाना क्षेत्र के देवकलिया गांव में पुलिस की लापरवाही के कारण भूमि विवाद हिंसा में बदल गया। कोर्ट आदेश के बावजूद कार्रवाई न होने से दो पक्षों में लाठी-डंडे चले, 5 लोग गंभीर रूप से घायल हुए। ग्रामीणों ने पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठाए।

बाराबंकी (उत्तर प्रदेश)।
ज़िले के मसौली थाना क्षेत्र के देवकलिया गांव में शनिवार की सुबह भूमि विवाद को लेकर दो पक्षों में जमकर लाठी-डंडे चले, जिसमें पाँच लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।
गांव में हुई यह खूनी वारदात पुलिस प्रशासन की लापरवाही का नतीजा बताई जा रही है, क्योंकि शिकायतें पहले से दी जा रही थीं, लेकिन पुलिस ने कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की।
पुलिस की अनदेखी बनी खूनी संघर्ष की वजह
देवकलिया गांव की गाटा संख्या 602 (रकबा 9 एअर) की जमीन को लेकर विवाद कई महीनों से चल रहा है। यह जमीन राजस्व अभिलेखों में इदरीश पुत्र अमीरे के नाम दर्ज है। इसके बावजूद बगल की गाटा संख्या 600 के खातेदार रामकेश कई बार कब्जे की कोशिश कर चुके हैं।
इसे लेकर इदरीश पक्ष ने सिविल जज कोर्ट नंबर-13 में वाद भी दायर किया है। जिसमें अदालत से इदरीस के पक्ष में स्थगन आदेश (Stay Order) भी जारी है, लेकिन इसके बावजूद रामकेश पक्ष ने 8 अक्टूबर को कोर्ट के स्थगन आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए इदरीश की ज़मीन पर पुआल की खरही डाल दी।
इदरीश ने इस मामले की शिकायत मसौली थाना पुलिस से की थी, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। पुलिस की यही ढिलाई शनिवार को बड़े विवाद की वजह बन गई।
पुलिस की ढिलाई से भड़की मारपीट
शनिवार की सुबह इदरीश भी अपनी ज़मीन पर खरही लगाने पहुँचे, तभी रामकेश, विकास, रामहेत पुत्रगण रामसेवक, अमर यादव पुत्र संतराम, रमई पुत्र अरविंद, राकेश और रामकिशुन ने लाठी-डंडों से लैस होकर हमला बोल दिया। इदरीस को पिटता देख उसके परिवार के लोग भी मौके पर पहुंच गए और दोनों पक्षों के बीच भयंकर मारपीट शुरू हो गई।
इस झगड़े में इदरीस पक्ष के मो. सलीम और मो. सिद्दीक पुत्रगण मैकु, तथा दूसरे पक्ष से रामकेश और रामहेत पुत्रगण रामसेवक गंभीर रूप से घायल हुए। इसी बीच बच्चो को स्कूल छोड़कर लौट रहे एमन शिबली को भी विकास और रामहेतु ने पीटकर घायल कर दिया गया।
पाँच घायलो में चार जिला अस्पताल रेफर
सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुँची, लेकिन घटना के बाद, जब पूरा बवाल शांत हो चुका था। सभी घायलों को सीएचसी बड़ागांव में भर्ती कराया गया, जहाँ से चार को जिला अस्पताल बाराबंकी रेफर किया गया।
ग्रामीणों का आरोप है कि —
“अगर पुलिस ने समय रहते कब्जे की कोशिश पर कार्रवाई की होती, तो आज ये मारपीट नहीं होती। पुलिस को पहले से विवाद की जानकारी थी।”
थाना प्रभारी का बयान
प्रभारी निरीक्षक अमित प्रताप सिंह ने बताया कि —
“दोनों पक्षों में काफी समय से ज़मीन का विवाद चल रहा है। शनिवार को पुआल लगाने को लेकर झगड़ा हुआ। दोनों पक्षों से तहरीर मिली है, जांच की जा रही है।”
हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि —
“पुलिस की निष्क्रियता ही इस पूरे विवाद का कारण बनी। थाने में बार-बार शिकायत के बावजूद कोई कदम नहीं उठाया गया।”
ग्रामीणों में गुस्सा, बोले — पुलिस ने मामला बढ़ने दिया
गांव के लोगों का कहना है कि यह विवाद महीनों से दबा हुआ था।
स्थानीय पुलिस ने दोनों पक्षों के बीच समझौता तो कराया, लेकिन अवैध कब्जे या कोर्ट के स्थगन आदेश के उल्लंघन पर ठोस कार्रवाई नहीं की।
ग्रामीणों का आरोप है कि —
“पुलिस की यह ढिलाई कुछ लोगों के हौसले बढ़ा रही है। अगर शुरू में कार्रवाई की होती, तो लाठी-डंडे चलने की नौबत ही नहीं आती।”
प्रशासनिक निष्क्रियता पर उठे सवाल
यह घटना न केवल एक भूमि विवाद का मामला है, बल्कि यह प्रशासनिक जिम्मेदारी पर भी बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करती है।
जहाँ कोर्ट ने साफ़ आदेश दिए थे, वहां पुलिस ने न कोर्ट आदेश लागू कराया, न ही शिकायत पर एक्शन लिया।
अब जब दोनों पक्षों के लोग अस्पताल में हैं, तब पुलिस “जांच की जा रही है” कहकर खुद को बचाने की कोशिश कर रही है।
रिपोर्ट – नूर मोहम्मद
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Author: Barabanki Express
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