Barabanki: पुलिस थानों में बगैर ख़र्चा-पानी नहीं हो रही पीड़ितों की सुनवाई, पीड़ित न्याय के लिए भटकने को मजबूर

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बाराबंकी के दरियाबाद थाने में मारपीट की शिकायत लेकर गए खून से लथपथ पीड़ित से हल्का दरोगा ने कार्रवाई के लिए खर्चा पानी देने की डिमांड कर दी। मना करने पर पीड़ित को बैरंग ही थाने से वापस कर दिया गया। पढ़ें पूरी खबर विस्तार से

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बाराबंकी, उत्तर प्रदेश।

जिले के तेज तर्रार एसपी अर्पित विजयवर्गीय जहां बार-बार मातहतों को फरियादियों के साथ शालीनतापूर्वक व्यवहार और उनकी शिकायतो के गुणवत्तापूर्ण निस्तारण के निर्देश दे रहे है। वही ज़मीनी स्तर पर इन निर्देशों की धज्जियां उड़ने की खबरें आए दिन सामने आ रही है।

ताज़ा मामला ज़िले के दरियाबाद थाने से सामने आया है। जहां मारपीट की शिकायत लेकर पहुंचे खून से लथपथ फरियादी बालकराम से हल्का दरोगा शिवाकांत मिश्रा ने खर्चा पानी की मांग की और खर्चा पानी देने से मना करने पर उसे बैरंग ही वापस कर दिया।

 

उधार की रकम को लेकर चचेरे भाई ने किया हमला

दरियाबाद कोतवाली क्षेत्र के खजुरिहा मजरे सैदखानपुर निवासी पीड़ित बालक राम की माने तो अपने चाचा के लड़के सजनलाल को मुंबई कमाने जाने के लिए उसने 1000 रुपए उधार दिए थे, लेकिन वो मुंबई नहीं गया। बुधवार को उसने फोन कर कहा कि वो मुंबई नहीं गया है इसलिए तुम घर आकर अपने पैसे वापस ले लो। बालक राम जब उसके घर गया तो विपक्षी हमलावर हो गया और पीड़ित के सिर पर ईट मारकर उसे घायल कर दिया। इसके बाद जमीन पर गिराकर लात घूंसो और डंडे से पिटाई कर दी।

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परिवार के लोगों को जान से मारने की धमकीं 

बालक राम ने बताया कि उसके चीखने चिल्लाने की आवाज सुनकर दौड़े परिवार के लोगों ने उसे विपक्षी सजन लाल के चंगुल से छुड़ाकर उसकी जान बचाई। आरोप है कि विपक्षी सजन लाल ने धमकी दी है कि उसके परिवार के लोगों को लाठी से पीटकर हत्या कर देगा।

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दरोगा ने कार्रवाई के लिए मांगा खर्चा-पानी 

इस घटना के बाद जब खून से लथपथ बालक राम शिकायत लेकर थाने पहुंचा तो वहां मौजूद हल्का नंबर तीन के दरोगा शिवाकांत मिश्रा ने उससे कार्रवाई के लिए रुपयों की मांग की। पीड़ित में जब अपनी गरीबी का हवाला देकर रुपए देने में असमर्थता जताई तो दरोगा ने कहा कि फिर कार्रवाई की बात भूल जाओ। बिना रुपयों के कोई कार्रवाई नहीं होती।

फरियादी की हालत पर भी नहीं खाया तरस

बालक राम ने बताया कि उसने दरोगा शिवाकांत मिश्रा को अपनी चोटें दिखाई लेकिन उनके व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। उसकी शिकायत दर्ज करना तो दूर उन्होंने पीड़ित की डॉक्टरी तक कराना उचित नहीं समझा। जिसके बाद निराश होकर पीड़ित थाने से वापस लौट आया।

रिपोर्ट – मंसूफ अहमद / उस्मान 

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Author: Barabanki Express

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