Barabanki:
बाराबंकी के फतेहपुर तहसील क्षेत्र में पराली प्रबंधन केंद्र की लापरवाही से किसान परेशान। खेतों में 15 दिन से पड़ी धान की पराली नहीं उठाई गई, जिससे गेहूं की बुवाई में देरी हो रही है। किसानों ने उपजिलाधिकारी को शिकायत पत्र भेजा।

बाराबंकी, उत्तर प्रदेश।
बाराबंकी जिले के फतेहपुर तहसील क्षेत्र के किसानों की परेशानी इन दिनों पराली प्रबंधन केंद्र की लापरवाही के कारण बढ़ गई है। खेतों में पड़ी धान की पराली न उठाए जाने से किसान अगली फसल की बुवाई नहीं कर पा रहे हैं। किसानों का कहना है कि प्रशासन द्वारा पराली जलाने पर सख्त प्रतिबंध है, जबकि पराली प्रबंधन केंद्र के कर्मचारी खेतों से पराली उठाने में पूरी तरह उदासीन हैं।
15 दिन से खेतों में पड़ी पराली, फसल बुवाई पर असर
भैसुरिया मुजाहिदपुर समेत कई गांवों में धान की कटाई के 15 दिन बाद भी पराली खेतों में जमी हुई है। किसानों ने बताया कि पराली के कारण खेतों की नमी सूख रही है, जिससे गेहूं की बुवाई में देरी हो रही है।
स्थानीय किसान गौतम प्रकाश, वेद प्रकाश, बाल्मिक वर्मा, मनोज वर्मा, शिवराज वर्मा, रमेश चंद्र, आशीष देव, अजय प्रकाश, दिलीप कुमार, रामचंद्रभान सिंह, अंकुर वर्मा, प्रमोद कुमार, कृष्ण देव, शिव शंकर और रामकुमार वर्मा सहित दर्जनों किसानों ने बताया कि उन्होंने कई बार पराली प्रबंधन सेंटर के कर्मचारियों को अवगत कराया, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
किसानों का कहना है कि “सरकार पराली जलाने पर जुर्माना लगा रही है, लेकिन पराली उठाने की जिम्मेदारी निभाने वाला विभाग पूरी तरह नाकाम है।”
किसानों ने उपजिलाधिकारी को भेजी शिकायत
किसानों ने सामूहिक रूप से उपजिलाधिकारी फतेहपुर को शिकायत पत्र भेजकर कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि अगर प्रशासन ने जल्द समाधान नहीं निकाला, तो अगली फसल का उत्पादन गंभीर रूप से प्रभावित होगा।
प्रशासनिक अधिकारियों का जवाब
फतेहपुर तहसील पराली प्रबंधन केंद्र के प्रभारी सिद्धार्थ मौर्य ने बताया कि, “भैसुरिया मुजाहिदपुर गांव हमारे सर्कल में नहीं आता है। यह रामनगर सर्कल के अंतर्गत आता है।”
वहीं, रामनगर पराली प्रबंधन केंद्र के प्रभारी प्रशांत त्रिपाठी ने कहा कि, “अगर कहीं पराली उठाने में देरी या समस्या है, तो तत्काल प्रभाव से उसका समाधान कराया जाएगा। हमारी टीम लगातार खेतों से पराली उठाने का कार्य कर रही है।”
किसान बोले — “प्रबंधन की लापरवाही से समय और धन दोनों बर्बाद”
किसानों का कहना है कि देरी से पराली हटने के कारण उन्हें ट्रैक्टर से जुताई करने में अधिक समय और डीजल की लागत बढ़ रही है। उनका यह भी आरोप है कि प्रशासन केवल कागज़ों में पराली प्रबंधन दिखा रहा है, जबकि ज़मीनी हकीकत कुछ और है।
रिपोर्ट – मंसूफ अहमद
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Author: Barabanki Express
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