
बाराबंकी, उत्तर प्रदेश।
नगर क्षेत्र के ककरहिया में आज प्रोफेसर टीचर एंड नॉन टीचिंग इम्प्लाइज ऑर्गेनाइजेशन (प्रोटान शिक्षक संघ) द्वारा एक जिला स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में शिक्षकों ने वर्तमान शिक्षा सत्र में नामांकन बढ़ाने पर ज़ोर देने के साथ-साथ, उत्तर प्रदेश सरकार की ‘स्कूलों को मर्ज करने की नीति’ का पुरजोर विरोध किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोटान शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश के प्रदेश प्रभारी आर.एल. गौतम ने की, जबकि संचालन राम मनोहर ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में विनोद कुमार वर्मा उपस्थित रहे।
नामांकन बढ़ाने पर ज़ोर और नई कमेटियों का गठन
प्रोटान शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष रफी अहमद ने अपने संबोधन में कहा कि वर्तमान शिक्षण सत्र 2025-26 में नामांकन पर विशेष ज़ोर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अभिभावकों से संपर्क कर बच्चों को विद्यालयों में प्रवेश लेने के लिए प्रेरित किया जाएगा, ताकि शिक्षण कार्य सुचारु रूप से संचालित हो सके। इस जिला स्तरीय कार्यक्रम में प्रोटान शिक्षक संघ का चुनाव भी संपन्न हुआ, जिसमें जिला और ब्लॉक स्तरीय कमेटियों का गठन किया गया।
‘मर्जिंग नीति’ पर गंभीर सवाल
संगठन के प्रदेश प्रभारी आर.एल. गौतम ने 16 जून 2025 को शासन द्वारा जारी उस आदेश पर चिंता व्यक्त की, जिसमें अपर्याप्त नामांकन वाले विद्यालयों को मर्ज करने की प्रक्रिया का उल्लेख है। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE Act-2009), भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21(A) और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम का स्पष्ट उल्लंघन है।
प्रोटान शिक्षक संघ के जिला महासचिव इमामुद्दीन अंसारी ने ज़ोर देते हुए कहा कि उनका संगठन छात्रों के शैक्षिक अधिकारों, सुलभ शिक्षा, शिक्षकों, शिक्षामित्रों और सरकारी स्कूलों की गरिमा की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
शिक्षा की रीढ़ पर खतरे और निजीकरण का डर
संघ के जिला संयोजक मो. इसहाक ने मर्जिंग नीति का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि यह कदम उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था की रीढ़ को कमजोर कर देगा। उन्होंने तर्क दिया कि वर्तमान में विद्यालयों की भौगोलिक स्थिति सुलभ है, लेकिन मर्जिंग से ग्रामीण क्षेत्रों में विद्यालयों की दूरी बढ़ेगी, जिससे बालिकाओं, दिव्यांगों और छोटे बच्चों की उपस्थिति में भारी गिरावट आएगी। इसका सीधा दुष्प्रभाव उनके सर्वांगीण विकास और शिक्षा पर पड़ेगा।
मो. इसहाक ने यह भी कहा कि इससे उत्तर प्रदेश में शासन द्वारा चलाए जा रहे समावेशी शिक्षा, सर्व शिक्षा अभियान और समग्र शिक्षा अभियान, निपुण लक्ष्य जैसे महत्वपूर्ण कार्यों और उद्देश्यों अधूरे रह जाएंगे। उन्होंने आगाह किया कि प्रधानाध्यापकों के पद समाप्त होने से उनकी कार्यक्षमता, प्रभावशीलता और निर्णय क्षमता प्रभावित होगी। साथ ही, वर्तमान में कार्यरत सहायक अध्यापकों के भविष्य में पदोन्नति के अवसर सीमित हो जाएंगे, जिसका उनकी कार्यप्रणाली और मानसिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
उन्होंने निजीकरण को बढ़ावा मिलने और शिक्षा के व्यवसायीकरण तथा बाज़ारीकरण की आशंका भी जताई, जिससे मध्यमवर्गीय और सर्वसाधारण अभिभावकों के बच्चों के लिए शिक्षा महँगी और पहुँच से बाहर हो जाएगी। उन्होंने भारतीय संविधान की मूल अवधारणा का हवाला देते हुए कहा कि सरकार की भावना जनकल्याणकारी होनी चाहिए, लेकिन मर्जिंग का निर्णय इस अवधारणा के विपरीत प्रतीत हो रहा है।
अभिभावकों और बच्चों पर सीधा असर
प्रोटान शिक्षक संघ के जिला महासचिव अरविंद यादव ने विस्तार से बताया कि सरकारी बेसिक स्कूलों में मुख्य रूप से समाज के आधुनिक संसाधनहीन, आर्थिक रूप से कमजोर और शिक्षा के प्रति कम जागरूक तबके के बच्चे पढ़ते हैं, जिनकी शिक्षा-दीक्षा और सर्वांगीण विकास की शत-प्रतिशत जिम्मेदारी इन्हीं विद्यालयों पर है। उन्होंने कहा कि विद्यालय नजदीक और सुलभ होने के कारण बच्चे आसानी से उपस्थित होकर गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करते हैं, जिससे उनका सर्वांगीण विकास होता है। यदि विद्यालय बंद हो जाएंगे, तो उनकी प्राथमिक शिक्षा पर बहुत ही गहरा और बुरा प्रभाव पड़ेगा, जिससे बच्चों के लिए माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा में प्रवेश लेना बहुत मुश्किल हो जाएगा।
मर्जिंग रोकने और नामांकन बढ़ाने की मांग
प्रोटान शिक्षक संघ के जिला सचिव रमेश चंद्र ने उत्तर प्रदेश सरकार से राष्ट्र और छात्रहित में मर्जिंग योजना को तत्काल प्रभाव से रोकने की अपील की। उन्होंने सुझाव दिया कि कम नामांकन वाले विद्यालयों में नामांकन बढ़ाने के लिए नवाचारात्मक उपाय किए जाने चाहिए।
इस कार्यक्रम में राम आधार रावत, दिनेश कुमार, सुनील कुमार, महेंद्र गौतम, सुनील वर्मा, संदीप पाल सहित कई अन्य शिक्षक गण उपस्थित रहे।
रिपोर्ट – मंसूफ अहमद
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Author: Barabanki Express
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