
बाराबंकी-यूपी।
यूपी के बाराबंकी ज़िले की नगर कोतवाली पुलिस का हैरान करने वाला कारनामा सामने आया है। यहां पीड़िता की लिखित शिकायत के बावजूद पुलिस ने सरेआम मारपीट और छेड़छाड़ के आरोपियों पर मुकदमा दर्ज करने की जगह शांतिभंग की कार्रवाई कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर डाली। पीड़िता द्वारा पुलिस कप्तान से न्याय की गुहार लगाने पर घटना के दस दिनों के बाद एसपी के आदेश पर आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस की यह कार्यशैली पूरे शहर में चर्चा का विषय बन गई है।
पुलिस की कार्यशैली को सवालों के घेरे में खड़ा करने वाली यह घटना बीते 18 अप्रैल 2024 की है। जब शासकीय चिह्न लगी सफेद रंग की स्कोर्पियो गाड़ी नम्बर UP 41 AE 1234 पर सवार चार युवकों ने मुकदमे की पेशी कर अपने भाई व मां के साथ वापस जा रही महिला को बीच बाजार रोक कर उसके साथ मारपीट व अश्लील हरकतें करने लगे। मां और भाई ने विरोध किया तो आरोपियों ने उनकी भी पिटाई कर डाली। आरोपियों में महिला का पति जावेद व उसका रिश्तेदार आसिफ भी शामिल थे। जो महिला को कोर्ट में चल रहा मुकदमा वापस न लेने पर जान से मारने की धमकी दे रहे थे।
दिन दहाड़े बीच सड़क गुंडागर्दी देख इकट्ठे हुए आसपास के लोगो व राहगीरो ने दो आरोपियों को स्कोर्पियो समेत दबोचकर पुलिस के हवाले कर दिया। लेकिन कोतवाली पुलिस ने महिला की रिपोर्ट दर्ज करने की जगह दोनो आरोपियों पर शांतिभंग की कार्रवाई कर मामला रफादफा कर दिया। कोतवाली पुलिस के इस कृत्य से आहत पीड़िता ने बाराबंकी के एसपी अर्पित विजयवर्गीय को शिकायती प्रार्थना पत्र देकर इंसाफ की गुहार लगाई। मातहतों की कारगुज़ारियों से दंग एसपी ने तत्काल आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश जारी कर दिए। तब जाकर घटना के करीब 10 दिनों के बाद नगर कोतवाली में पीड़िता की एफआईआर दर्ज हो सकी।

शासकीय चिह्न के दुरूपयोग पर नही हुई कार्रवाई
एसपी के निर्देश पर पुलिस ने महिला के साथ मारपीट व छेड़छाड़ के मामले की एफआईआर तो दर्ज कर ली। लेकिन निजी वाहन पर शासकीय चिह्न लगाकर दुरुपयोग के मामले में अभी भी पुलिस कार्रवाई का साहस नही जुटा सकी है। जबकि योगी सरकार द्वारा शासकीय चिह्न के दुरूपयोग को लेकर सख़्त कानून बनाया गया है। इसके तहत 2 साल की सज़ा और 5 हज़ार के जुर्माने का प्रावधान रखा गया है।

रिपोर्ट – मन्सूफ अहमद
Author: Barabanki Express
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