बाराबंकी-यूपी।
बीते दिनों जिला अस्पताल के ट्रामा सेंटर आने वाले मरीज़ को बाहर का महंगा इंजेक्शन लिखे जाने को लेकर मरीज़ के तीमारदार और डॉक्टर के बीच हुई तीखी नोकझोंक का वीडियो वायरल होने के बाद जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी ने ज़िले के सरकारी अस्पतालो और हेल्थ सेंटरों में तैनात डॉक्टरों को बाहर की दवाइयां न लिखने के सख्त आदेश जारी किए थे। लेकिन डीएम के कड़े आदेशो को हवा में उड़ाते हुए धड़ल्ले से मरीज़ो को बाहर की महंगी दवाइयों की पर्ची थमाकर उनका आर्थिक शोषण किया जा रहा है।
सस्ते इलाज की आस लेकर सरकारी अस्पताल आने वाले मरीज़ों के आर्थिक शोषण का ताज़ा मामला टिकैतनगर सीएचसी से सामने आया है। जहां क्षेत्र के ही टाडा पानापुर निवासी 77 वर्षीय बुजुर्ग सुरेश बहादुर सिंह शनिवार को तबियत खराब होने पर डॉक्टर डॉ० योगेंद्र प्रसाद मौर्या को दिखाने पहुंचे थे। बुजुर्ग द्वारा अपनी स्वास्थ्य समस्या बताने पर डॉक्टर ने अस्पताल के पर्चे पर मात्र दो दवाइयां लिखने के साथ ही एक अलग पर्ची पर एक दो नही बल्कि चार चार बाहर की महंगी दवाइयां लिखकर पर्ची बुजुर्ग के हाथ मे थमाते हुए बाहर के मेडिकल स्टोर से लाने का फरमान सुना दिया गया। इसके साथ ही पर्चे पर लिखी शुगर की जांच कराने जब बुजुर्ग सीएचसी के पैथालॉजी सेंटर पहुंचे तो वहाँ भी मशीन ख़राब होने की बात कहकर बाहर से जांच कराने के लिए कहा गया।
सुरेश बहादुर सिंह की ही तरह एक क्षेत्रीय पत्रकार की पत्नी साजमा बानो भी शनिवार को अपने पति के साथ लेडी डॉक्टर को दिखाने सीएचसी टिकैतनगर आई थी। जहां तैनात डॉक्टर महजबी द्वारा उन्हें ढेर सारी बाहरी दवाइयों की पर्ची थमा दी गयी। मरीज़ के साथ आए उनके पति ने सीएचसी अधीक्षक डॉक्टर वी०के० पटेल को फोन कर बाहर की दवाइयां लिखे जाने का विरोध किया तो अधीक्षक द्वारा कहा गया कि डॉक्टर से बात कराइये आपको अंदर से ही दवा दिला देते हैं। अधीक्षक से बात कराने के बाद डॉ० महजबी द्वारा पर्चे पर कुछ दवाई अंदर से लेने के लिए बढ़ाई गई।
उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार के उपमुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक से लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक मंचों के माध्यम से गरीब जनता के लिए सरकारी अस्पतालों में बेहतर व्यवस्था, फ़्री में इलाज व सरकारी अस्पतालों में मरीजों के लिए मुफ्त दवा उपलब्ध कराने के बड़े-बड़े दावे करते रहते हैं। लेकिन सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की मनमानी के चलती ज़मीनी हकीकत इन दावों के एकदम उलट नज़र आ रही है। बाहरी दवाइयां लिखकर और बाहर से जांच कराने को मजबूर कर गरीब असहाय मरीजों का जमकर आर्थिक शोषण किया जा रहा है।
रिपोर्ट – आफ़ताब अहमद

Author: Barabanki Express
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